हाइलाइट्स:
- Waqf Property पर कथित कब्जे की घटना ने बिहार में कानून व्यवस्था और भूमि विवादों को लेकर फिर उठाए सवाल
- मोतिहारी के बड़ा बरियारपुर में नूर मोहम्मद वक़्फ़ स्टेट की ज़मीन पर कब्ज़े की कोशिश
- वक़्फ़ बोर्ड अध्यक्ष और मोतवल्ली के विरोध पर हुई कथित गुंडागर्दी
- मामला पहुंचा स्थानीय प्रशासन तक, CO ने दी सख्त चेतावनी
- राज्य भर में कीमती Waqf Property पर नज़र रखने की ज़रूरत महसूस की जा रही है
बिहार में वक़्फ़ संपत्ति पर कब्ज़े की कथित कोशिश से उठे नए सवाल
बिहार के मोतिहारी ज़िले से आई एक खबर ने राज्य में Waqf Property को लेकर गहराते विवादों की ओर फिर से ध्यान खींचा है। IND Story’s नामक एक न्यूज़ पेज ने X (पूर्व में ट्विटर) पर यह जानकारी साझा की कि बड़ा बरियारपुर गाँव में नूर मोहम्मद वक़्फ़ स्टेट की लगभग 3 बीघा ज़मीन पर स्थानीय दबंगों द्वारा कथित रूप से कब्ज़ा करने की कोशिश की गई।
क्या है पूरा मामला?
ज़मीन और विवाद का संक्षिप्त विवरण
बताया जा रहा है कि इस ज़मीन पर वक़्फ़ स्टेट का अधिकार है और इसका देखरेख Waqf Property एक्ट के अंतर्गत आता है। वक़्फ़ बोर्ड के अध्यक्ष सैयद मोबिन अहमद को जब यह जानकारी मिली कि ज़मीन के एक हिस्से पर पक्का मकान बनाया जा रहा है, तो वह स्वयं मोतवल्ली के साथ मौके पर पहुँचे। लेकिन वहां कथित तौर पर दबंगों ने विरोध करने वालों के साथ दुर्व्यवहार किया और मारपीट की कोशिश की।
🪩काला क़ानून बने हुए 24 घंटे हुए और कब्ज़ा शुरु ,बिहार के मोतिहारी में मुसलमानों की ज़मीन पर क़ब्ज़ा करने की साज़िश ,
ज्ञात हो के बड़ा बरियारपुर में नूरमोहम्मद वक़्फ़ स्टेट की लगभग 3 बीघा जमीन है जिसके एक हिस्से को वहां के दबंगों द्वारा जबरन कब्जा कर पक्का मकान बनाया जा रहा था… pic.twitter.com/as45zch8AT
— IND Story's (@INDStoryS) April 7, 2025
प्रशासन की भूमिका और प्रतिक्रिया
CO कार्यालय तक पहुँचा मामला
घटना के बाद, मामला मोतिहारी के सर्कल ऑफिसर (CO) तक पहुँचा। CO ने तत्काल प्रभाव से कार्यवाही करते हुए कथित कब्जाधारियों को चेतावनी दी और कहा कि Waqf Property पर किसी प्रकार का अवैध निर्माण या अतिक्रमण बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
हालाँकि, यह देखना होगा कि प्रशासन इस चेतावनी को कितनी गंभीरता से लागू करता है और क्या भविष्य में ऐसे मामलों की पुनरावृत्ति रोकी जा सकती है।
वक़्फ़ संपत्तियों पर लगातार बढ़ते विवाद
क्यों बन रही हैं Waqf Property ज़मीनें निशाना?
भारत भर में Waqf Property को लेकर विवाद कोई नई बात नहीं है। खासकर शहरी इलाकों और विकासशील क्षेत्रों में वक़्फ़ संपत्तियों की बढ़ती कीमत ने इन्हें ज़मीन माफियाओं की नज़र में ला खड़ा किया है।
- ज़्यादातर संपत्तियों की सही रजिस्ट्रेशन नहीं है
- स्थानीय प्रशासन का सहयोग या लापरवाही
- वक़्फ़ अधिनियम की जानकारी का अभाव
- निगरानी तंत्र की कमी
ये सभी कारण इस तरह की घटनाओं को जन्म देते हैं।
नया वक़्फ़ बिल और जनता की चिंता
हाल ही में बिहार सरकार द्वारा वक़्फ़ से संबंधित नया विधेयक लाने की चर्चा के बाद से Waqf Property पर लोगों की चिंता और बढ़ गई है। कई संगठनों और धार्मिक नेताओं ने आशंका जताई है कि यह बिल वक़्फ़ संपत्तियों को निजी स्वामित्व में बदलने की राह खोल सकता है।
वक़्फ़ बोर्ड की मांगें और सुझाव
पारदर्शिता, निगरानी और डिजिटल रिकॉर्ड की ज़रूरत
वक़्फ़ बोर्ड अध्यक्ष और अन्य संबंधित संस्थाओं की मांग है कि:
- सभी Waqf Property का डिजिटल रजिस्ट्रेशन अनिवार्य हो
- ड्रोन सर्वे और GIS मैपिंग द्वारा संपत्तियों की पहचान हो
- प्रशासनिक स्तर पर विशेष वक़्फ़ प्रकोष्ठ की स्थापना हो
- अवैध कब्जों पर तुरंत कानूनी कार्यवाही की जाए
क्या है वक़्फ़ संपत्ति का कानूनी दर्जा?
भारतीय संविधान और वक़्फ़ अधिनियम, 1995
Waqf Property एक धार्मिक ट्रस्ट संपत्ति होती है, जिसे धर्मार्थ कार्यों के लिए स्थायी रूप से दान किया गया होता है। भारत में वक़्फ़ अधिनियम, 1995 के अंतर्गत इनका प्रबंधन होता है और हर राज्य में एक वक़्फ़ बोर्ड कार्यरत होता है।
वक़्फ़ संपत्तियों की सुरक्षा आज की ज़रूरत
मोतिहारी की घटना एक चेतावनी है कि कैसे Waqf Property अब भी असुरक्षित है और दबंग तत्वों की ज़मीन हड़पने की मानसिकता आज भी कायम है। ऐसे में सिर्फ कानून बनाना ही नहीं, उसे ईमानदारी से लागू करना भी उतना ही आवश्यक है।
यह आवश्यक हो गया है कि सरकार, वक़्फ़ बोर्ड, और नागरिक समाज मिलकर इस तरह की संपत्तियों की रक्षा करें, ताकि सामाजिक और धार्मिक सौहार्द बना रहे।