सीएमओ कार्यालय में दिव्यांग

VIDEO: सीएमओ कार्यालय में दिव्यांग पति को पीठ पर लादकर लाई महिला का वीडियो वायरल, अब होगी…

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रायबरेली, उत्तर प्रदेश: सीएमओ कार्यालय में दिव्यांगता प्रमाणपत्र बनवाने आई एक महिला का वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो गया है। वीडियो में देखा जा सकता है कि महिला ने अपने दिव्यांग पति को पीठ पर लादकर कार्यालय तक पहुंचाया। इस दौरान कार्यालय में मौजूद कर्मचारियों और अन्य लोगों ने महिला की मदद करने के बजाय तमाशबीन बने रहना पसंद किया। इस घटना ने प्रशासनिक व्यवस्था और सामाजिक संवेदनशीलता पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।

वीडियो के वायरल होने के बाद मामले ने राजनीतिक और प्रशासनिक स्तर पर हलचल मचा दी है। उत्तर प्रदेश के डिप्टी सीएम और स्वास्थ्य मंत्री ब्रजेश पाठक ने इस मामले में तत्काल जांच के आदेश दिए हैं। उन्होंने मंडलीय अपर निदेशक को तीन दिन के भीतर जांच पूरी कर रिपोर्ट सौंपने का निर्देश दिया है। साथ ही, सीएमओ कार्यालय को निर्देश दिया गया है कि दिव्यांगता प्रमाणपत्र बनाने की प्रक्रिया को पुराने कक्ष में ही शुरू किया जाए ताकि ऐसी घटनाओं को दोहराया न जा सके।

वायरल वीडियो बीते सोमवार को सीएमओ कार्यालय, रायबरेली का बताया जा रहा है। महिला, जिसका नाम पिंकी बताया जा रहा है, सतांव ब्लॉक के दरीबा गांव की रहने वाली हैं। उनके पति दिव्यांग हैं और उन्हें दिव्यांगता प्रमाणपत्र बनवाने की आवश्यकता थी। हालांकि, कार्यालय में व्हीलचेयर या किसी अन्य सुविधा की कमी के कारण पिंकी को अपने पति को पीठ पर लादकर कार्यालय तक लाना पड़ा।

वीडियो में देखा जा सकता है कि पिंकी ने अपने पति को कार्यालय के अंदर तक ले जाने के लिए काफी संघर्ष किया। इस दौरान कार्यालय में मौजूद कर्मचारियों और अन्य लोगों ने उनकी मदद करने के बजाय तमाशा देखना पसंद किया। यह दृश्य न केवल प्रशासनिक व्यवस्था की खामियों को उजागर करता है, बल्कि समाज में संवेदनशीलता की कमी को भी दर्शाता है।

वीडियो के वायरल होने के बाद सोशल मीडिया पर लोगों ने प्रशासन और समाज दोनों पर सवाल उठाए हैं। कई यूजर्स ने कहा कि यदि कार्यालय में व्हीलचेयर या अन्य सुविधाएं उपलब्ध होतीं, तो महिला को इतना संघर्ष नहीं करना पड़ता। वहीं, कुछ लोगों ने कार्यालय में मौजूद लोगों की संवेदनहीनता पर भी सवाल उठाए।

एक यूजर ने लिखा, “यह सिर्फ प्रशासन की नाकामी नहीं है, बल्कि हमारे समाज की संवेदनशीलता की कमी को भी दर्शाता है।” वहीं, एक अन्य यूजर ने कहा, “दिव्यांगों के लिए सरकारी योजनाएं तो हैं, लेकिन उन तक पहुंचने के लिए जरूरी सुविधाएं नहीं हैं।”

मामले की गंभीरता को देखते हुए प्रशासन ने तुरंत कदम उठाए हैं। सीएमओ कार्यालय को निर्देश दिया गया है कि दिव्यांगता प्रमाणपत्र बनाने की प्रक्रिया को पुराने कक्ष में ही शुरू किया जाए। इसके अलावा, कार्यालय में दिव्यांगों के लिए व्हीलचेयर और अन्य सुविधाएं उपलब्ध कराने के निर्देश भी दिए गए हैं।

स्वास्थ्य मंत्री ब्रजेश पाठक ने कहा कि ऐसी घटनाएं प्रशासनिक व्यवस्था में खामियों को उजागर करती हैं। उन्होंने कहा, “हमें यह सुनिश्चित करना होगा कि दिव्यांगों को उनके अधिकार और सुविधाएं बिना किसी संघर्ष के मिल सकें।”

यह घटना न केवल प्रशासनिक व्यवस्था की कमियों को दर्शाती है, बल्कि समाज में संवेदनशीलता की कमी को भी उजागर करती है। दिव्यांगों के प्रति समाज की जिम्मेदारी और प्रशासन की भूमिका दोनों ही इस मामले में महत्वपूर्ण हैं।

इस घटना के बाद यह उम्मीद की जा रही है कि प्रशासन दिव्यांगों के लिए बेहतर सुविधाएं उपलब्ध कराएगा और ऐसी घटनाओं को दोहराए जाने से रोकेगा। साथ ही, समाज को भी दिव्यांगों के प्रति संवेदनशील होने की आवश्यकता है ताकि ऐसी स्थितियों में लोग मदद के लिए आगे आ सकें।

रायबरेली के सीएमओ कार्यालय में हुई यह घटना न केवल प्रशासनिक व्यवस्था की कमियों को उजागर करती है, बल्कि समाज में संवेदनशीलता की कमी को भी दर्शाती है। इस मामले में त्वरित कार्रवाई करते हुए प्रशासन ने जांच के आदेश दिए हैं और दिव्यांगों के लिए बेहतर सुविधाएं उपलब्ध कराने का वादा किया है। हालांकि, यह सुनिश्चित करना समाज और प्रशासन दोनों की जिम्मेदारी है कि ऐसी घटनाएं भविष्य में न हों।

संदर्भ:
1. सोशल मीडिया पर वायरल वीडियो
2. उत्तर प्रदेश स्वास्थ्य मंत्री ब्रजेश पाठक के बयान
3. सीएमओ कार्यालय, रायबरेली के आधिकारिक बयान

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