नगीना से सांसद और भीम आर्मी के संस्थापक चंद्रशेखर आजाद एक बार फिर सुर्खियों में हैं। हाल ही में सोशल मीडिया पर वायरल हुए एक वीडियो में, वे एक पुलिस अधिकारी को कड़ी फटकार लगाते नजर आ रहे हैं। वीडियो में आजाद कहते हैं, “अगर चमचागिरी करने का इतना शौक है, तो उतार आओ खाकी। आओ सफेद कपड़ा पहनकर, अगर ‘कुत्ता’ न बना दिया तो कहना!”
यह घटना उस समय की है जब चंद्रशेखर आजाद एक विरोध प्रदर्शन का नेतृत्व कर रहे थे, और पुलिस प्रशासन ने उन्हें रोकने का प्रयास किया। इस पर आजाद ने पुलिस अधिकारी को सार्वजनिक रूप से यह तीखी टिप्पणी की। उनकी इस टिप्पणी के बाद राजनीतिक गलियारों में बहस छिड़ गई है। कई लोग इसे प्रशासनिक अधिकारियों के प्रति असम्मानजनक मान रहे हैं, जबकि कुछ इसे आजाद की बेबाक शैली का हिस्सा बता रहे हैं।
चंद्रशेखर आजाद का राजनीतिक सफर
चंद्रशेखर आजाद का जन्म 3 दिसंबर 1986 को उत्तर प्रदेश के सहारनपुर जिले के छुटमलपुर कस्बे में हुआ था। वे एक दलित-बहुजन अधिकार कार्यकर्ता, वकील और राजनीतिज्ञ हैं। उन्होंने भीम आर्मी की स्थापना की, जो दलितों और पिछड़े वर्गों के अधिकारों के लिए संघर्षरत है। फरवरी 2021 में, टाइम पत्रिका ने उन्हें 100 उभरते नेताओं की अपनी वार्षिक सूची में शामिल किया था।
विवादों से नाता
यह पहली बार नहीं है जब चंद्रशेखर आजाद विवादों में घिरे हैं। सहारनपुर हिंसा के सिलसिले में उन्हें राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम के तहत गिरफ्तार किया गया था। बाद में इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने उनकी गिरफ्तारी को राजनीति से प्रेरित बताते हुए जमानत दे दी थी। इसके अलावा, नागरिकता संशोधन कानून (CAA) के खिलाफ विरोध प्रदर्शन के दौरान भी उन्हें दिल्ली में गिरफ्तार किया गया था।
ये नगीना सांसद चंद्रशेखर आजाद, एक पुलिस अधिकारी को कह रहे हैं !!
"अगर चमचागिरी करने का इतना शौक है, तो उतार आओ खाकी। आओ सफेद कपड़ा पहनकर, अगर 'कुत्ता' न बना दिया तो कहना !!
अब अगर इनको कोई अधिकारी उल्टा कुछ कह देगा, तो फिर यही "शोषण-शोषण" का रोना रोने लग जाएंगे !!… pic.twitter.com/HrkLvunlI5
— MANOJ SHARMA LUCKNOW UP🇮🇳🇮🇳🇮🇳 (@ManojSh28986262) March 6, 2025
पुलिस और प्रशासन के साथ तनावपूर्ण संबंध
चंद्रशेखर आजाद के पुलिस और प्रशासन के साथ संबंध अक्सर तनावपूर्ण रहे हैं। उनकी तीखी टिप्पणियां और आक्रामक रुख के कारण वे कई बार प्रशासन के निशाने पर रहे हैं। हालांकि, उनके समर्थक इसे उनकी निडरता और बेबाकी का प्रतीक मानते हैं।
समर्थकों की प्रतिक्रिया
आजाद के समर्थकों का कहना है कि उनकी टिप्पणियां प्रशासनिक अधिकारियों की ज्यादतियों के खिलाफ एक सशक्त प्रतिक्रिया हैं। उनके अनुसार, दलित और पिछड़े वर्गों के प्रति होने वाले अन्याय के खिलाफ आवाज उठाने के लिए आजाद का यह रुख आवश्यक है।
विपक्ष की आलोचना
दूसरी ओर, विपक्षी दलों और कुछ सामाजिक संगठनों ने आजाद की इस टिप्पणी की निंदा की है। उनका कहना है कि सार्वजनिक मंच से इस प्रकार की भाषा का प्रयोग प्रशासनिक तंत्र के मनोबल को गिरा सकता है और कानून व्यवस्था पर प्रतिकूल प्रभाव डाल सकता है।
प्रशासन की प्रतिक्रिया
इस घटना के बाद स्थानीय प्रशासन ने अभी तक कोई आधिकारिक बयान जारी नहीं किया है। हालांकि, सूत्रों के अनुसार, पुलिस अधिकारी इस मामले को उच्च अधिकारियों के संज्ञान में लाने की तैयारी में हैं।
चंद्रशेखर आजाद की यह हालिया टिप्पणी एक बार फिर से उनके विवादास्पद व्यक्तित्व को उजागर करती है। उनकी बेबाकी और आक्रामक रुख ने उन्हें समर्थकों के बीच लोकप्रिय बनाया है, लेकिन साथ ही वे आलोचनाओं का भी सामना करते रहे हैं। यह देखना दिलचस्प होगा कि आने वाले दिनों में यह मामला किस दिशा में जाता है और प्रशासन इस पर क्या कदम उठाता है।