हाइलाइट्स:
- 17 वर्षीय किशोर की पुलिस पिटाई के बाद मौत से इलाके में बवाल।
- परिजनों का आरोप – पुलिस ने रिश्वत नहीं मिलने पर की थी बेरहमी से मारपीट।
- ADM समेत पुलिस के बड़े अधिकारी पहुंचे – परिजनों ने शव लेने से किया इनकार।
- मामले में दो पुलिसकर्मी सस्पेंड, पूर्व विधायक ने भी उठाए सवाल।
- यूपी सरकार ने दिया निष्पक्ष जांच का आश्वासन, लेकिन जनता में गुस्सा बरकरार।
बस्ती जिले में पुलिस की पिटाई से किशोर की मौत! जनता में उबाल
उत्तर प्रदेश के बस्ती जिले में एक चौंकाने वाली घटना सामने आई है, जिसने पूरे इलाके को हिला कर रख दिया। 17 वर्षीय आदर्श उपाध्याय की पुलिस हिरासत में कथित पिटाई के कारण मौत हो गई। यह मामला तब गरमा गया जब परिजनों ने आरोप लगाया कि पुलिस ने 5000 रुपये की रिश्वत न देने पर उनके बेटे को बेरहमी से पीटा, जिसके बाद उसकी हालत बिगड़ गई और अस्पताल में इलाज के दौरान उसने दम तोड़ दिया।
घटना के बाद इलाके में भारी तनाव फैल गया। गुस्साए लोगों ने थाने के बाहर प्रदर्शन किया और दोषी पुलिसकर्मियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग की। प्रशासन ने तत्काल दो पुलिसकर्मियों को निलंबित कर दिया, लेकिन इससे जनता का गुस्सा शांत नहीं हुआ।
कैसे हुआ यह हादसा? पूरी घटना की टाइमलाइन
🟠 23 मार्च, रात 8:00 बजे: पुलिस ने आदर्श उपाध्याय को कथित तौर पर पूछताछ के लिए हिरासत में लिया।
🟠 23 मार्च, रात 11:00 बजे: परिजनों का दावा – पुलिस ने 5000 रुपये की मांग की थी, जिसे देने से इनकार करने पर आदर्श की बेरहमी से पिटाई की गई।
🟠 24 मार्च, सुबह 4:00 बजे: आदर्श को गंभीर हालत में स्थानीय अस्पताल ले जाया गया, जहां उसकी हालत बिगड़ने लगी।
🟠 24 मार्च, सुबह 7:30 बजे: डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया, पुलिस ने परिजनों को सूचना दी।
🟠 24 मार्च, दोपहर 12:00 बजे: घटना की खबर फैलते ही लोगों का गुस्सा भड़क गया और थाने के बाहर प्रदर्शन शुरू हो गया।
🟠 24 मार्च, शाम 5:00 बजे: प्रशासन ने दो पुलिसकर्मियों को सस्पेंड कर दिया, लेकिन परिजनों ने पोस्टमार्टम रिपोर्ट आने तक शव लेने से इनकार कर दिया।
परिजनों और स्थानीय नेताओं का क्या कहना है?
आदर्श के पिता का कहना है,
“मेरा बेटा निर्दोष था, पुलिस ने उसे बिना वजह पीटा। हमें न्याय चाहिए, दोषियों को सजा मिले!”
पूर्व बीजेपी विधायक चंद्र प्रकाश शुक्ला ने क्या कहा?
पूर्व विधायक ने पुलिस प्रशासन को घेरते हुए कहा,
“अगर पुलिस को रिश्वत नहीं मिली, तो उन्होंने एक मासूम को पीट-पीट कर मार डाला। यह बर्बरता है। दोषी पुलिसवालों पर सख्त कार्रवाई होनी चाहिए!”
प्रशासन ने क्या कार्रवाई की?
- ADM प्रति पाल चौहान और एसपी ने मौके पर पहुंचकर परिजनों को समझाने की कोशिश की, लेकिन परिजन इंसाफ की मांग पर अड़े रहे।
- दो पुलिसकर्मी निलंबित कर दिए गए, लेकिन अभी तक कोई गिरफ्तारी नहीं हुई।
- मामले की जांच के लिए SIT (विशेष जांच दल) का गठन किया गया।
- पोस्टमार्टम रिपोर्ट का इंतजार, जो केस की सच्चाई सामने लाने में अहम भूमिका निभाएगी।
सोशल मीडिया पर उबाल
इस घटना ने सोशल मीडिया पर जबरदस्त गुस्सा भड़का दिया है। ट्विटर और फेसबुक पर #JusticeForAdarsh ट्रेंड कर रहा है। लोग यूपी पुलिस की कार्यशैली पर सवाल उठा रहे हैं और सीएम योगी आदित्यनाथ से दोषियों पर सख्त कार्रवाई की मांग कर रहे हैं।
एक यूजर ने ट्वीट किया:
“5000 रुपये नहीं दिए तो पुलिस ने जान ले ली? क्या यही न्याय है? #JusticeForAdarsh”
एक अन्य यूजर ने लिखा:
“यूपी पुलिस को सुधारने के लिए सख्त कानून की जरूरत है। दोषियों को कड़ी सजा मिले!”
क्या कहते हैं कानून और मानवाधिकार विशेषज्ञ?
मानवाधिकार कार्यकर्ता डॉ. संजय मिश्रा का कहना है,
“अगर पुलिस हिरासत में किसी की मौत होती है, तो यह गैर-न्यायिक हत्या मानी जाती है। सुप्रीम कोर्ट के दिशानिर्देशों के अनुसार, दोषी पुलिसवालों पर तुरंत FIR दर्ज कर उन्हें निलंबित करने की जरूरत है।”
अब आगे क्या होगा?
- पोस्टमार्टम रिपोर्ट का इंतजार, जो असली कारण बताएगी।
- परिजनों ने CBI जांच की मांग की, क्या सरकार मानेगी?
- निलंबित पुलिसकर्मियों पर हत्या का केस दर्ज होगा या नहीं?
- क्या यूपी सरकार दोषियों को जेल भेजेगी या मामला दबा दिया जाएगा?
क्या मिलेगा इंसाफ?
यह मामला एक गंभीर मानवाधिकार उल्लंघन की ओर इशारा करता है। अगर दोषी पुलिसकर्मियों पर कड़ी कार्रवाई नहीं हुई, तो यह कानून व्यवस्था पर बड़ा सवाल खड़ा करेगा। जनता का गुस्सा, सोशल मीडिया का दबाव और विपक्षी दलों की बयानबाजी इस मुद्दे को और गरमा सकती है।
अब देखना यह होगा कि क्या आदर्श उपाध्याय को न्याय मिलेगा या यह मामला भी अन्य पुलिस बर्बरता की घटनाओं की तरह ठंडे बस्ते में चला जाएगा?
आप क्या सोचते हैं? क्या पुलिसवालों पर कड़ी कार्रवाई होनी चाहिए? अपनी राय कमेंट में जरूर बताएं और इस खबर को ज्यादा से ज्यादा शेयर करें!