हाइलाइट्स:
- Trump tariffs के ऐलान के बाद अमेरिकी शेयर बाज़ार में भारी गिरावट दर्ज
- वैश्विक बाज़ारों में भी दिखी अस्थिरता, निवेशकों के बीच छाई चिंता
- चीन ने की जवाबी कार्रवाई, अमेरिका से आने वाले वस्तुओं पर बढ़ाया टैरिफ
- व्यापार युद्ध की आशंका फिर से गहराई, अंतरराष्ट्रीय व्यापार पर असर
- मंदी की संभावनाएं बढ़ीं, आर्थिक विश्लेषकों ने जताई गंभीर चिंता
नई दिल्ली। अमेरिकी पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प द्वारा घोषित Trump tariffs के चलते न केवल अमेरिका के शेयर बाज़ारों में भारी गिरावट देखी गई, बल्कि इसका असर वैश्विक बाज़ारों पर भी पड़ा है। चीन ने पलटवार करते हुए अमेरिकी वस्तुओं पर टैरिफ बढ़ा दिए हैं, जिससे एक बार फिर व्यापार युद्ध की संभावनाएं तेज़ हो गई हैं।
अमेरिका में शेयर बाज़ार की हालत ख़राब
Dow Jones, Nasdaq और S&P 500 में भारी गिरावट
Trump tariffs की घोषणा के बाद अमेरिकी प्रमुख शेयर इंडेक्स जैसे कि Dow Jones, Nasdaq और S&P 500 में क्रमशः 2.3%, 3.1% और 2.7% की गिरावट दर्ज की गई। यह गिरावट न केवल व्यापारिक गतिविधियों में संभावित रुकावट की आशंका को दर्शाती है, बल्कि निवेशकों के मन में उपजे भय को भी उजागर करती है।
विशेषज्ञों की चेतावनी
अर्थशास्त्रियों का मानना है कि ये Trump tariffs वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला को बाधित कर सकते हैं। अमेरिका में उपभोक्ता वस्तुएँ महंगी हो सकती हैं और इससे महँगाई दर पर असर पड़ेगा। ब्लूमबर्ग के वरिष्ठ अर्थशास्त्री जोनाथन वायट ने कहा, “यह नीति निवेशकों की अपेक्षाओं के बिल्कुल विपरीत है और इससे बाज़ार में अस्थिरता और भी बढ़ेगी।”
चीन का पलटवार: “अगर अमेरिका बढ़ाएगा, तो हम भी पीछे नहीं हटेंगे”
चीन ने भी टैरिफ में इज़ाफा किया
Trump tariffs के जवाब में चीन ने 60 अरब डॉलर मूल्य के अमेरिकी उत्पादों पर टैरिफ बढ़ाने का ऐलान किया है। इसमें सोया बीन, ऑटोमोबाइल, और औद्योगिक उपकरण जैसी महत्वपूर्ण श्रेणियाँ शामिल हैं। इससे दोनों देशों के बीच का व्यापार और अधिक जटिल हो गया है।
WTO की नजरें टिकीं
विश्व व्यापार संगठन (WTO) ने इस घटनाक्रम पर निगरानी रखने की बात कही है। WTO के प्रवक्ता ने कहा, “यदि दोनों देश टैरिफ युद्ध में कूदते हैं, तो यह वैश्विक व्यापार प्रणाली के लिए विनाशकारी हो सकता है।”
वैश्विक असर: भारत सहित उभरते बाज़ारों में भी दिखा झटका
सेंसेक्स और निफ्टी पर पड़ा असर
Trump tariffs का असर केवल अमेरिका और चीन तक सीमित नहीं रहा। भारत के शेयर बाज़ार भी इससे प्रभावित हुए। बीएसई सेंसेक्स 850 अंकों की गिरावट के साथ बंद हुआ, जबकि निफ्टी 250 अंक लुढ़क गया। विदेशी निवेशकों ने 1,400 करोड़ रुपये के शेयर बेच डाले।
करेंसी और क्रूड ऑयल पर दबाव
भारतीय रुपया डॉलर के मुकाबले 50 पैसे टूट गया। वहीं अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कच्चे तेल की कीमतों में भी अस्थिरता देखी गई। इससे भारत जैसी आयात-निर्भर अर्थव्यवस्थाओं पर अतिरिक्त दबाव बन सकता है।
मंदी की आशंका: क्या फिर से 2008 जैसी स्थिति?
निवेशकों में डर
Trump tariffs की वजह से निवेशकों का भरोसा डगमगाया है। दुनिया भर के स्टॉक मार्केट में डर का माहौल बन गया है। सुरक्षित निवेश के रूप में गोल्ड की मांग बढ़ी है, जिसकी कीमतें पिछले दो वर्षों में सबसे ऊँचे स्तर पर पहुंच गई हैं।
2008 की यादें ताज़ा
अर्थशास्त्रियों ने चेतावनी दी है कि यदि यह स्थिति लम्बे समय तक बनी रही, तो यह 2008 जैसी वैश्विक मंदी की स्थिति पैदा कर सकती है। अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) ने कहा है कि यदि अमेरिका और चीन के बीच Trump tariffs का यह संघर्ष और गहरा हुआ, तो वैश्विक GDP में 0.7% तक की गिरावट हो सकती है।
व्यापार जगत की प्रतिक्रिया
उद्योग जगत में चिंता
अमेरिकन चैंबर ऑफ कॉमर्स सहित कई व्यापारिक संस्थाओं ने Trump tariffs के फैसले की आलोचना की है। उनका मानना है कि इससे अमेरिकी व्यवसायों पर बोझ बढ़ेगा और निर्यात की संभावनाएं कम होंगी। Apple, Tesla, और General Motors जैसी कंपनियों ने चेतावनी दी है कि वे उत्पादन लागत में वृद्धि और मांग में गिरावट का सामना कर सकती हैं।
टेक सेक्टर पर सबसे ज़्यादा प्रभाव
विशेषज्ञों का मानना है कि टेक्नोलॉजी क्षेत्र, जो चीन से कलपुर्ज़ों की सप्लाई पर निर्भर है, को सबसे अधिक नुकसान होगा। इससे स्मार्टफोन, लैपटॉप और अन्य इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों की कीमतों में इज़ाफा हो सकता है।
सरकारें क्या कर रही हैं?
अमेरिकी प्रशासन का रुख
ट्रम्प प्रशासन ने कहा है कि Trump tariffs अमेरिका के हित में हैं और इससे चीन की अनुचित व्यापारिक नीतियों का मुकाबला किया जा सकेगा। ट्रम्प ने ट्विटर पर लिखा, “हम अपने मज़दूरों और किसानों की रक्षा कर रहे हैं। अब समय है कि चीन सही व्यवहार करे।”
भारत की स्थिति
भारत सरकार फिलहाल स्थिति का मूल्यांकन कर रही है। वाणिज्य मंत्रालय ने कहा है कि वह निर्यातकों को सलाह दे रहा है कि वे नए बाज़ारों की तलाश करें ताकि अमेरिका-चीन विवाद का असर कम किया जा सके।
क्या समाधान है?
Trump tariffs की वजह से उत्पन्न हुआ यह आर्थिक संकट केवल अमेरिका और चीन तक सीमित नहीं रहेगा। इसका प्रभाव वैश्विक आर्थिक ताने-बाने पर पड़ेगा। ऐसे में दोनों देशों को समझदारी से वार्ता का रास्ता अपनाना चाहिए।
यदि कूटनीतिक संवाद और समन्वय से इस टकराव को रोका गया, तो वैश्विक आर्थिक स्थिरता सुनिश्चित की जा सकती है। अन्यथा, यह टैरिफ युद्ध केवल आर्थिक ही नहीं, बल्कि राजनीतिक अस्थिरता को भी जन्म दे सकता है।