हाइलाइट्स
- Tribal Girl Abuse Case ने उत्तर प्रदेश पुलिस की कार्यशैली पर उठाए गंभीर सवाल
- आदिवासी दंपत्ति की 20 वर्षीय बेटी को दबंगों ने किया अगवा, महीनों तक किया दुराचार
- पांच बार मेहनगर थाने में शिकायत के बावजूद नहीं हुई कोई कार्रवाई
- पासी मनीष और अभिषेक राव ने सोशल मीडिया पर वीडियो साझा कर जताया आक्रोश
- प्रशासनिक चुप्पी और राजनीतिक उदासीनता पर लोगों ने उठाए सवाल
आदिवासी बेटी के साथ दरिंदगी: इंसाफ के लिए तड़प रहा है परिवार
उत्तर प्रदेश के आजमगढ़ जिले के मेहनगर थाना क्षेत्र से एक दिल दहला देने वाला Tribal Girl Abuse Case सामने आया है, जिसने प्रदेश की कानून व्यवस्था और सामाजिक न्याय व्यवस्था पर गहरे सवाल खड़े कर दिए हैं।
एक आदिवासी दंपत्ति अपनी 20 वर्षीय बेटी के साथ हुए अत्याचार की शिकायत लेकर लगातार पुलिस के चक्कर काट रहा है, लेकिन प्रशासन की चुप्पी ने पीड़ितों की पीड़ा को और बढ़ा दिया है।
X (Twitter) पर वायरल हुआ वीडियो, प्रशासन पर गंभीर आरोप
सोशल मीडिया पर Tribal Girl Abuse Case से जुड़ा एक वीडियो वायरल हो रहा है, जिसमें पासी समाज के सामाजिक कार्यकर्ता मनीष ने आरोप लगाया है कि एक आदिवासी परिवार की बेटी को स्थानीय दबंगों ने अगवा कर महीनों तक शारीरिक शोषण किया। वीडियो में पीड़ित माता-पिता को फूट-फूटकर रोते हुए देखा जा सकता है।
मनीष ने वीडियो में कहा –
“बेचारा आदिवासी अपनी पत्नी के साथ रो-रोकर इंसाफ की भीख मांग रहा है। उनकी 20 वर्षीय लड़की को कुछ दबंग उठा ले गए हैं और महीनों से उसका यौन शोषण कर रहे हैं। पांच बार मेहनगर थाने गए लेकिन वहां उन्हें दुत्कारकर भगा दिया गया। अब दो दिन से मेरे पास आकर रो रहे हैं। क्या उत्तर प्रदेश पुलिस गरीबों की बेटियों की सुरक्षा नहीं कर सकती?”
बेचू आदिवासी उनकी पत्नी का रो रोकर बुरा हाल है,इनकी 20 वर्षीय लड़की को हड़पकर दबंग महीनों से शारीरिक शुख भोग रहे हैं ।
पांच बार मेहनगर थाना प्रभारी के पास गए दुत्कार देता है
अब 2 दिनों से मेरे पास रोते हैं
क्या उप्र पुलिस प्रशासन ग़रीबों कि लड़कियों की सुरक्षा में असमर्थ है pic.twitter.com/nOLTu7pYWA— पासी मनीष (@ka4298392) April 15, 2025
अभिषेक राव ने भी जताया आक्रोश
Tribal Girl Abuse Case पर प्रतिक्रिया देते हुए सामाजिक कार्यकर्ता अभिषेक राव ने लिखा –
“ये वीडियो आजमगढ़ के मेहनगर का बताया जा रहा है, जहां एक आदिवासी दंपत्ति की नाबालिग बेटी को अगवा कर दुराचार किया जा रहा है। पीड़ित परिवार पुलिस से गुहार लगा रहा है लेकिन कोई सुनवाई नहीं हो रही है। ये बेहद शर्मनाक है।”
पुलिस पर गंभीर आरोप, लेकिन कार्रवाई शून्य
पीड़ित परिवार का आरोप है कि उन्होंने मेहनगर थाना प्रभारी से कई बार शिकायत की, लेकिन हर बार उन्हें अपमानित किया गया। इस Tribal Girl Abuse Case में न तो कोई एफआईआर दर्ज हुई और न ही किसी आरोपी की गिरफ्तारी।
स्थानीय निवासी बोले – “पुलिस अपराधियों से मिली हुई है”
स्थानीय लोगों का मानना है कि यह मामला सिर्फ आदिवासी उत्पीड़न नहीं बल्कि सिस्टम की मिलीभगत का भी है। एक स्थानीय निवासी ने कहा –
“पुलिस दबंगों की जेब में है। ये Tribal Girl Abuse Case कोई अकेला मामला नहीं है, ऐसे अनगिनत मामले हर दिन दबा दिए जाते हैं।”
आदिवासी समाज में गुस्सा, उबाल पर जनाक्रोश
यह मामला सामने आने के बाद से ही आदिवासी समाज और सामाजिक संगठनों में भारी रोष देखा जा रहा है। कई संगठनों ने प्रशासन के खिलाफ प्रदर्शन की चेतावनी दी है। Tribal Girl Abuse Case ने आदिवासी समुदाय की असुरक्षा और उपेक्षा की भावना को और प्रबल कर दिया है।
मानवाधिकार संगठनों ने की स्वतः संज्ञान लेने की मांग
Tribal Girl Abuse Case की गंभीरता को देखते हुए मानवाधिकार संगठनों ने राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग और महिला आयोग से स्वतः संज्ञान लेने की मांग की है।
“सरकार जवाब दे” – सोशल मीडिया पर ट्रेंड
सोशल मीडिया पर #JusticeForTribalGirl और #TribalGirlAbuseCase जैसे हैशटैग ट्रेंड कर रहे हैं। लोग सरकार से जवाब मांग रहे हैं कि आखिर आदिवासी बेटियों की सुरक्षा के लिए क्या कदम उठाए जा रहे हैं?
राजनीतिक चुप्पी पर भी उठे सवाल
इस Tribal Girl Abuse Case पर अब तक किसी भी प्रमुख राजनेता की प्रतिक्रिया नहीं आई है, जिससे लोगों में और भी निराशा है। विपक्ष ने सरकार पर हमला करते हुए कहा है कि “गरीबों और दलितों की बेटियाँ भाजपा सरकार में सबसे असुरक्षित हैं।”
क्या आदिवासी बेटियों को इंसाफ मिलेगा?
इस Tribal Girl Abuse Case ने न केवल कानून व्यवस्था बल्कि सामाजिक संवेदनशीलता पर भी सवाल खड़े कर दिए हैं। सवाल यह है कि जब एक आदिवासी परिवार की बेटी महीनों तक शोषण का शिकार होती है और पुलिस-प्रशासन चुप रहता है, तो लोकतंत्र और न्याय व्यवस्था का क्या मतलब रह जाता है?
जब तक प्रशासन दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई नहीं करता और पीड़ित परिवार को न्याय नहीं मिलता, तब तक इस Tribal Girl Abuse Case को लोग याद रखेंगे – एक उदाहरण के तौर पर, जब न्याय की आवाज़ को अनसुना कर दिया गया।