भारतीय उद्योगपति और अदानी समूह के अध्यक्ष गौतम अडानी, जो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के करीबी माने जाते हैं, हाल ही में अमेरिकी अभियोजकों द्वारा धोखाधड़ी और रिश्वतखोरी के आरोपों का सामना कर रहे हैं। यह मामला न केवल भारत के कॉर्पोरेट सेक्टर के लिए महत्वपूर्ण है, बल्कि मोदी सरकार की नीतियों और अंतरराष्ट्रीय निवेशकों की धारणा पर भी गहरा असर डाल सकता है।
अडानी समूह और मोदी सरकार का गहरा रिश्ता
गौतम अडानी और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बीच का रिश्ता दशकों पुराना है। जब 2014 में मोदी पहली बार प्रधानमंत्री बने, तब उन्होंने अहमदाबाद से दिल्ली की यात्रा अडानी समूह के निजी विमान से की थी। इसके बाद से अडानी समूह की कंपनियों का बाजार मूल्य तेजी से बढ़ता गया।
अडानी समूह का विस्तार बुनियादी ढांचे, ऊर्जा, खनन, गैस वितरण, हवाई अड्डों, सीमेंट, और मीडिया क्षेत्रों में हुआ है। हाल के वर्षों में, अडानी समूह को भारत सरकार द्वारा कई महत्वपूर्ण परियोजनाओं के ठेके मिले हैं। विशेष रूप से, हवाई अड्डों और बंदरगाहों के मामले में, अडानी समूह की हिस्सेदारी काफी बढ़ गई है।
अमेरिकी धोखाधड़ी मामला: क्या हैं आरोप?
नवंबर 2024 में, अमेरिकी अभियोजकों ने अडानी समूह पर अमेरिकी वित्तीय बाजारों में निवेशकों को धोखा देने और भारतीय सरकारी अधिकारियों को रिश्वत देने का आरोप लगाया। रिपोर्ट के अनुसार:
- अडानी ग्रीन एनर्जी लिमिटेड और अज्योर पावर ग्लोबल लिमिटेड ने भारतीय सौर ऊर्जा निगम से लाभदायक अनुबंध प्राप्त करने के लिए $250 मिलियन (लगभग ₹2100 करोड़) की रिश्वत दी।
- ये अनुबंध अडानी समूह को 20 वर्षों में लगभग $2 बिलियन (लगभग ₹16,800 करोड़) का लाभ दे सकते थे।
- अडानी समूह पर अमेरिकी निवेशकों को गुमराह करने का भी आरोप है, जिसमें गलत वित्तीय डेटा प्रस्तुत करना शामिल है।
- अडानी के भतीजे सहित कई अन्य अधिकारियों पर भी मुकदमा दर्ज किया गया है।
अडानी समूह की प्रतिक्रिया
अडानी समूह ने इन आरोपों को ‘बेबुनियाद’ बताते हुए खंडन किया है और कहा है कि वे कानूनी तौर पर अपनी रक्षा करेंगे। समूह के प्रवक्ता ने बयान जारी कर कहा कि यह मामला राजनीतिक प्रेरित हो सकता है और इसका उद्देश्य भारत की छवि को नुकसान पहुंचाना है।
भारत की अर्थव्यवस्था और निवेशकों पर प्रभाव
यह मामला भारत की अर्थव्यवस्था और विदेशी निवेशकों पर गंभीर प्रभाव डाल सकता है:
- वैश्विक निवेशकों की धारणा: अमेरिकी मुकदमे के कारण विदेशी निवेशक भारतीय बाजार में निवेश करने से हिचक सकते हैं।
- अडानी समूह के शेयरों पर असर: हिन्डेनबर्ग रिसर्च की रिपोर्ट के बाद 2023 में अडानी समूह के शेयरों में भारी गिरावट देखी गई थी। इस नए मामले के बाद, फिर से शेयरों में अस्थिरता देखी जा रही है।
- क्रोनी कैपिटलिज़्म पर बहस: यह मामला मोदी सरकार की कारोबारी नीतियों पर भी सवाल खड़ा करता है, जिसमें एक ही कारोबारी समूह को अनुचित लाभ मिलने की बात कही जा रही है।
मोदी सरकार की प्रतिक्रिया
मोदी सरकार ने इस मामले में अभी तक आधिकारिक रूप से कोई बयान नहीं दिया है। हालांकि, भाजपा के कई प्रवक्ताओं ने अमेरिका पर भारत को ‘अस्थिर’ करने की साजिश का आरोप लगाया है।
अंतरराष्ट्रीय प्रभाव
इस मामले का भारत-अमेरिका संबंधों पर भी प्रभाव पड़ सकता है:
- अमेरिकी नीति: जो बाइडेन प्रशासन भारत को एक महत्वपूर्ण रणनीतिक साझेदार मानता है, लेकिन यह मामला द्विपक्षीय संबंधों में तनाव बढ़ा सकता है।
- ट्रंप प्रशासन की भूमिका: डोनाल्ड ट्रंप के फिर से राष्ट्रपति बनने की स्थिति में, अमेरिकी न्याय विभाग इस मामले में अलग दृष्टिकोण अपना सकता है।
- अन्य देशों की प्रतिक्रिया: बांग्लादेश, श्रीलंका और केन्या जैसे देशों ने अडानी समूह की परियोजनाओं की समीक्षा शुरू कर दी है।
गौतम अडानी पर अमेरिकी धोखाधड़ी मामले ने भारत के कॉर्पोरेट जगत और सरकार के बीच के संबंधों पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। यदि ये आरोप साबित होते हैं, तो यह भारतीय अर्थव्यवस्था और मोदी सरकार की छवि के लिए एक बड़ा झटका हो सकता है। वहीं, अगर अडानी समूह कानूनी रूप से खुद को निर्दोष साबित कर देता है, तो यह वैश्विक स्तर पर भारतीय कंपनियों के लिए एक मिसाल बन सकता है। लेकिन, फिलहाल इस मामले से जुड़े कानूनी और राजनीतिक पहलुओं पर दुनिया भर की नजरें टिकी हुई हैं।