Supreme Court stays Kushinagar Madani Masjid demolition

सुप्रीम कोर्ट ने कुशीनगर मदनी मस्जिद विध्वंस पर यूपी प्रशासन को अवमानना नोटिस जारी किया

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कुशीनगर, उत्तर प्रदेश – सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में उत्तर प्रदेश के कुशीनगर जिले में स्थित मदनी मस्जिद पर हुई बुलडोजर कार्रवाई के संबंध में यूपी प्रशासन को अवमानना नोटिस जारी किया है। अदालत ने अधिकारियों से दो सप्ताह के भीतर जवाब मांगा है और अगले आदेश तक किसी भी प्रकार की तोड़फोड़ पर रोक लगा दी है।

पृष्ठभूमि

मदनी मस्जिद, जो हाटा नगर पालिका के समीप स्थित है, पर 9 फरवरी 2025 को प्रशासन ने बुलडोजर कार्रवाई की थी। इससे पहले, दिसंबर 2024 में प्रशासन ने मस्जिद के कुछ हिस्सों को अवैध निर्माण बताते हुए नोटिस जारी किए थे। मुस्लिम पक्षकारों ने इन नोटिसों को इलाहाबाद हाईकोर्ट में चुनौती दी, जहां 8 फरवरी 2025 तक स्थगन आदेश प्राप्त किया गया था। स्थगन आदेश समाप्त होते ही, प्रशासन ने अगले दिन मस्जिद के बाहरी हिस्सों को ध्वस्त कर दिया।

सुप्रीम कोर्ट की प्रतिक्रिया

मस्जिद प्रशासन ने सुप्रीम कोर्ट में अवमानना याचिका दायर की, जिसमें आरोप लगाया गया कि 13 नवंबर 2024 के सुप्रीम कोर्ट के आदेश का उल्लंघन किया गया है। उस आदेश में बिना पूर्व सूचना और सुनवाई के देशभर में विध्वंस की कार्रवाई पर रोक लगाई गई थी। जस्टिस बी.आर. गवई और जस्टिस ए.जी. मसीह की पीठ ने यूपी प्रशासन को नोटिस जारी करते हुए पूछा कि क्यों न उनके खिलाफ अवमानना की कार्रवाई की जाए। अदालत ने स्पष्ट किया कि अगले आदेश तक मस्जिद पर कोई और तोड़फोड़ नहीं की जाएगी।

प्रशासन का पक्ष

प्रशासन का दावा है कि मस्जिद का कुछ हिस्सा सरकारी जमीन पर अवैध रूप से निर्मित था। उन्होंने तीन बार नोटिस जारी कर मुस्लिम पक्ष से जवाब मांगा, लेकिन संतोषजनक उत्तर न मिलने पर कार्रवाई की गई। हालांकि, मस्जिद प्रशासन का कहना है कि निर्माण 1999 में नगर पालिका से स्वीकृति प्राप्त कर किया गया था और यह निजी भूमि पर स्थित है। इसके समर्थन में, उप जिलाधिकारी (एसडीएम) की दिसंबर 2024 की जांच रिपोर्ट का हवाला दिया गया, जिसमें निर्माण को स्वीकृत योजना के अनुरूप पाया गया था।

राजनीतिक प्रतिक्रियाएँ

इस घटना ने राजनीतिक हलकों में भी हलचल मचाई है। कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष अजय राय ने आरोप लगाया कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निर्देश पर प्रदेश में सांप्रदायिक तनाव फैलाने के उद्देश्य से ऐसी कार्रवाइयाँ की जा रही हैं। उन्होंने बहराइच, संभल और अब कुशीनगर की घटनाओं का उल्लेख करते हुए कहा कि यह एक सोची-समझी रणनीति का हिस्सा है।

आगे की कार्रवाई

सुप्रीम कोर्ट ने यूपी प्रशासन को दो सप्ताह के भीतर जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया है। अदालत ने यह भी स्पष्ट किया है कि आदेशों का उल्लंघन करने वाले अधिकारियों को बख्शा नहीं जाएगा। इस बीच, मस्जिद पर किसी भी प्रकार की आगे की तोड़फोड़ पर रोक जारी रहेगी।

कुशीनगर मदनी मस्जिद पर हुई बुलडोजर कार्रवाई ने कानूनी और राजनीतिक दोनों मोर्चों पर महत्वपूर्ण बहस छेड़ दी है। सुप्रीम कोर्ट का हस्तक्षेप इस मामले की गंभीरता को दर्शाता है और आगामी सुनवाई में प्रशासन के जवाब पर सभी की निगाहें टिकी हैं।

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