हाइलाइट्स:
- Sex Party में शामिल 30 लड़के और 25 लड़कियां कसूर के फार्म हाउस से रंगे हाथ पकड़े गए
- पकड़े गए युवाओं में पाक सेना और पीएमएलएन नेताओं के बेटे-बेटियां शामिल
- रेव पार्टी में शराब, डांस और ड्रग्स की भरमार, सोशल मीडिया पर वीडियो वायरल
- पुलिस ने कार्रवाई के बाद SHO और IO को किया निलंबित
- सवाल: क्या बुर्का और हिजाब सिर्फ गरीबों पर ही लागू होता है?
पाकिस्तान के कसूर फार्म हाउस में हाई-प्रोफाइल Sex Party, सेना और नेताओं के बच्चों की करतूत से देश में हड़कंप
पाकिस्तान एक बार फिर से वैश्विक मीडिया की सुर्खियों में है। इस बार कारण है एक हाई-प्रोफाइल Sex Party जिसमें पाकिस्तान की सेना, राजनेताओं और ऊंचे तबके के परिवारों से ताल्लुक रखने वाले युवा शामिल थे। यह मामला उस वक्त उजागर हुआ जब मुस्तफाबाद पुलिस ने कसूर जिले के एक आलीशान फार्म हाउस पर छापा मारा। वहां चल रही रेव पार्टी से पुलिस ने 30 लड़कों और 25 लड़कियों को रंगे हाथों पकड़ा।
रेव पार्टी में क्या चल रहा था?
पुलिस के अनुसार, यह Sex Party देर रात तक चल रही थी। वहां शराब, डांस, नशीले पदार्थों और आपत्तिजनक गतिविधियों की भरमार थी। पार्टी में शामिल सभी युवक और युवतियां महंगे कपड़े पहने हुए थे और किसी भी सामान्य वर्ग से नहीं दिख रहे थे।
छापे के दौरान मिले दस्तावेज़ों और मोबाइल रिकॉर्ड से यह खुलासा हुआ कि इस पार्टी की मेजबानी एक प्रमुख उद्योगपति के बेटे ने की थी, जिसके संपर्क कई राजनेताओं और सेना के उच्च अधिकारियों से हैं।
पकड़े गए युवक-युवतियों की पहचान
जिन युवाओं को पकड़ा गया है उनमें से कई पाकिस्तानी सेना के उच्च अधिकारियों के बच्चे हैं, जबकि कुछ पीएमएलएन (पाकिस्तान मुस्लिम लीग नवाज़) पार्टी के नेताओं के बेटे और बेटियां भी इस Sex Party में शामिल थीं।
हालांकि, इनकी पहचान सार्वजनिक रूप से उजागर नहीं की गई है, लेकिन सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे वीडियो और फोटो से इस बात की पुष्टि हो रही है कि यह कोई आम रेव पार्टी नहीं थी, बल्कि एक “एलीट सेक्स पार्टी” थी।
पुलिस कार्रवाई और सियासी दबाव
इस Sex Party का खुलासा होते ही पुलिस प्रशासन पर जबरदस्त दबाव आ गया। मुस्तफाबाद पुलिस स्टेशन के SHO और मामले की जांच कर रहे IO को तुरंत प्रभाव से निलंबित कर दिया गया।
सूत्रों का कहना है कि ऊपर से आए आदेशों के बाद यह कदम उठाया गया ताकि मामला दबाया जा सके और मीडिया में इसकी ज्यादा चर्चा न हो। लेकिन सोशल मीडिया पर इस मामले ने इतनी तेजी से आग पकड़ ली कि सरकार भी बैकफुट पर आ गई।
सोशल मीडिया पर लोगों का गुस्सा
पार्टी के वीडियो जैसे ही इंटरनेट पर लीक हुए, पाकिस्तान में लोगों का गुस्सा फूट पड़ा। ट्विटर, इंस्टाग्राम और फेसबुक पर लोग सवाल उठा रहे हैं कि क्या इस्लामिक मुल्क में हिजाब और बुर्का जैसे धार्मिक नियम केवल गरीब और आम लोगों पर ही लागू होते हैं?
“दोहरा मापदंड”: केवल गरीबों पर धर्म का बोझ?
Sex Party को लेकर लोगों का यह कहना है कि जब कोई गरीब लड़की कॉलेज में बिना दुपट्टे के जाए तो उसे “बेहयाई” कहा जाता है, लेकिन जब अमीर और रसूखदार घरों के बच्चे फार्म हाउस में शराब और डांस करते हैं, तो पूरा सिस्टम चुप क्यों हो जाता है?
क्या पाकिस्तान का युवा भटक रहा है?
इस Sex Party ने यह भी उजागर किया है कि पाकिस्तान का संभ्रांत वर्ग किस दिशा में जा रहा है। आधुनिकता की आड़ में जिस तरह से अश्लीलता और नशाखोरी को बढ़ावा मिल रहा है, वह ना केवल सामाजिक व्यवस्था के लिए खतरनाक है बल्कि राष्ट्रीय सुरक्षा पर भी सवाल उठाता है, खासकर तब जब इसमें सेना के अधिकारियों के बच्चे शामिल हों।
पाकिस्तान:
कसूर फार्म हाउस में रेव पार्टी में पकड़े गए 30 लड़कों और 25 लड़कियों को मुस्तफाबाद पुलिस स्टेशन ले जाया गया।
इनमें से कई पाक सेना के अधिकारियों और पीएमएलएन राजनेताओं के बच्चे थे। SHO और IO को निलंबित कर दिया गया.
बुर्का और हिजाब बस ग़रीब मुसलमानों के लिए है🙄 pic.twitter.com/k0YGxkwZQ2
— Dr. Anita Vladivoski (@anitavladivoski) April 7, 2025
मीडिया की चुप्पी और पत्रकारिता पर सवाल
इस पूरे Sex Party कांड में सबसे चौंकाने वाली बात यह रही कि पाकिस्तान की मेनस्ट्रीम मीडिया ने इस खबर को या तो पूरी तरह नज़रअंदाज़ किया या बेहद सतही ढंग से कवर किया।
लोगों का कहना है कि मीडिया भी सत्ता और पैसे के दबाव में आकर इस तरह की खबरों को दबा देती है। जबकि यही घटना किसी गरीब या सामान्य परिवार के व्यक्ति से जुड़ी होती, तो मीडिया इसे दिनों तक चर्चा का विषय बनाता।
Sex Party ने खोल दी पाकिस्तान के समाज की परतें
कसूर फार्म हाउस में हुई यह Sex Party सिर्फ एक घटना नहीं, बल्कि पूरे पाकिस्तानी समाज की विडंबना है। यहां एक तरफ गरीब तबके की लड़कियों को हिजाब और शराफत का पाठ पढ़ाया जाता है, वहीं दूसरी तरफ एलीट क्लास के बच्चे कानून, धर्म और मर्यादा की धज्जियां उड़ाते हैं।
इस घटना ने एक बार फिर यह सवाल खड़ा कर दिया है कि क्या पाकिस्तान में कानून सबके लिए बराबर है? या फिर धर्म और मर्यादा की बातें सिर्फ आम मुसलमानों पर थोपने के लिए बनाई गई हैं?