हाइलाइट्स:
- Poshan Tracker के माध्यम से कुपोषण से लड़ने की दिशा में बड़ा कदम
- सातवें पोषण पखवाड़े की शुरुआत कल से पूरे देश में जोरशोर से
- महिला एवं बाल विकास मंत्रालय की अगुवाई में होंगे सैकड़ों कार्यक्रम
- पहले 1000 दिनों में पोषण सुधारने पर विशेष जोर
- बचपन में मोटापे से निपटने और स्वस्थ जीवनशैली को लेकर जागरूकता
सातवें पोषण पखवाड़े की शुरुआत: देश भर में जागरूकता अभियान के साथ लौट रहा है पोषण पर्व
हर वर्ष की तरह इस बार भी Ministry of Women and Child Development के नेतृत्व में सातवां पोषण पखवाड़ा कल से देशभर में मनाया जाएगा। इस वर्ष का अभियान विशेष रूप से “पहले 1000 दिन”, “कुपोषण प्रबंधन”, “बचपन का मोटापा”, और Poshan Tracker जैसे डिजिटल उपायों पर केंद्रित है। यह पहल भारत के पोषण स्तर को सुधारने और आने वाली पीढ़ी को स्वस्थ बनाने की दिशा में एक अहम कदम है।
पोषण पखवाड़ा क्या है और इसकी शुरुआत कैसे हुई?
मिशन पोषण 2.0 और राष्ट्रीय रणनीति
पोषण पखवाड़ा की शुरुआत 2018 में POSHAN Abhiyaan के अंतर्गत की गई थी, जिसका उद्देश्य था – समग्र पोषण के लिए जन आंदोलन खड़ा करना। वर्ष 2021 में इसे Mission Poshan 2.0 में समाहित किया गया। इस अभियान का आधारभूत ढांचा Poshan Tracker के माध्यम से मजबूत किया गया, जो अब पोषण सुधार की डिजिटल रीढ़ बन चुका है।
Poshan Tracker: डिजिटल भारत की पोषण रणनीति की नींव
Poshan Tracker एक अत्याधुनिक मोबाइल और वेब-आधारित प्लेटफॉर्म है जिसे महिला एवं बाल विकास मंत्रालय द्वारा विकसित किया गया है। यह न केवल आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं को वास्तविक समय में डेटा एंट्री की सुविधा देता है, बल्कि नीति-निर्धारकों को भी निर्णय लेने में मदद करता है।
कैसे काम करता है Poshan Tracker?
- हर लाभार्थी का डिजिटल रजिस्ट्रेशन
- कुपोषण ग्रस्त बच्चों की पहचान
- टीकाकरण और आयरन-फोलिक एसिड सप्लीमेंटेशन का डेटा
- पोषण स्तर की निगरानी
- क्षेत्रवार प्रदर्शन की रिपोर्टिंग
इस तरह Poshan Tracker न केवल डेटा को एकत्र करता है बल्कि कार्रवाई योग्य इनसाइट्स भी प्रदान करता है।
पहले 1000 दिन: जीवन की नींव
विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, जन्म से पहले 270 दिन (गर्भावस्था) और जन्म के बाद 730 दिन यानी कुल 1000 दिन जीवन की पोषणीय नींव तय करते हैं। इसी कारण Poshan Tracker में इस अवधि के बच्चों और माताओं पर विशेष फोकस रखा गया है।
मातृ पोषण और शिशु स्वास्थ्य
- गर्भवती महिलाओं की नियमित जांच
- आयरन और कैल्शियम सप्लीमेंटेशन की निगरानी
- स्तनपान की प्रोत्साहना
- छह महीने के बाद पूरक आहार की शुरूआत की सूचना
बचपन का मोटापा: एक नई चुनौती
इस वर्ष पोषण पखवाड़ा में Childhood Obesity पर भी विशेष ध्यान दिया जा रहा है। Poshan Tracker में अब BMI इंडेक्स, गतिविधि स्तर, और आहार पैटर्न जैसी जानकारियों को भी एकत्र किया जा रहा है, ताकि समय रहते मोटापे से निपटा जा सके।
स्कूलों और समुदाय में जागरूकता
- हेल्दी स्नैकिंग अभियान
- फिजिकल एक्टिविटी प्रमोशन प्रोग्राम
- माता-पिता और शिक्षकों के लिए पोषण कार्यशालाएं
- मीडिया और सोशल मीडिया के जरिए जनजागरूकता
राष्ट्रीय स्तर पर हो रहे कार्यक्रम
आंगनवाड़ी केंद्रों में सामूहिक क्रियाएं
देश भर में लाखों आंगनवाड़ी केंद्रों पर:
- पोषण मेलों का आयोजन
- BMI जांच शिविर
- खाना पकाने की प्रतियोगिताएं
- पोषण पर निबंध और चित्रकला प्रतियोगिताएं
इन सभी कार्यक्रमों में Poshan Tracker की मदद से लाभार्थियों की जानकारी एकत्र की जाएगी।
महिला एवं बाल विकास मंत्रालय की भूमिका
महिला एवं बाल विकास मंत्रालय ने पोषण सुधार को एक मिशन मोड में बदल दिया है। केंद्रीय मंत्री और संबंधित विभागीय अधिकारी नियमित रूप से Poshan Tracker के आंकड़ों की समीक्षा कर रहे हैं।
पारदर्शिता और जवाबदेही का युग
Poshan Tracker ने सरकार को न केवल पोषण कार्यक्रमों को ट्रैक करने का टूल दिया है, बल्कि संसाधनों के बेहतर उपयोग और प्रभावी योजना निर्माण में भी मदद की है।
Poshan Tracker बना भारत के पोषण सुधार का डिजिटल स्तंभ
पोषण पखवाड़ा का सातवां संस्करण इस बात का प्रतीक है कि भारत अब पारंपरिक दृष्टिकोण से निकलकर टेक्नोलॉजी आधारित पोषण रणनीतियों की ओर बढ़ रहा है। Poshan Tracker इस बदलाव का केंद्र है, जिसने पोषण को न केवल मापा बल्कि समझा भी है।
पोषण केवल भोजन नहीं, बल्कि भविष्य है – और Poshan Tracker इस भविष्य को स्वस्थ, सशक्त और सुरक्षित बनाने की दिशा में एक प्रभावी साधन बन चुका है।