हाइलाइट्स:
- Political immaturity का आरोप BSP प्रवक्ता सुधीर भदौरिया ने अखिलेश यादव पर लगाया
- कांशीराम जी ने 1991 में BSP के टिकट पर इटावा से जीत हासिल की थी, SP का गठन तब हुआ ही नहीं था
- भदौरिया ने कहा, BSP न खैरात लेती है, न रहमत की मोहताज होती है
- समाजवादी पार्टी को बहुजन आंदोलन का “इतिहासकार” बनने पर भदौरिया ने कड़ी प्रतिक्रिया दी
- BSP की राजनीति को “मिशन” बताते हुए भदौरिया ने समझौता और सौदेबाजी को नकारा
कांशीराम बनाम अखिलेश: बयानबाजी में इतिहास का सच
क्या अखिलेश का दावा सिर्फ Political Immaturity का संकेत है?
बहुजन समाज पार्टी (BSP) के राष्ट्रीय प्रवक्ता सुधीर भदौरिया ने समाजवादी पार्टी (SP) के प्रमुख अखिलेश यादव के हालिया बयान पर तीखी प्रतिक्रिया दी है। अखिलेश यादव ने दावा किया था कि “मान्यवर कांशीराम जी” को 1991 में समाजवादी पार्टी के समर्थन से इटावा लोकसभा सीट पर जीत मिली थी। इस बयान पर पलटवार करते हुए भदौरिया ने इसे पूरी तरह political immaturity का उदाहरण बताया।
कांशीराम की जीत और SP का गठन – ऐतिहासिक तथ्य क्या कहते हैं?
सुधीर भदौरिया ने तथ्यों को स्पष्ट करते हुए बताया कि कांशीराम जी ने 1991 में इटावा सीट से BSP के टिकट पर लोकसभा चुनाव लड़ा और जीता। उस समय समाजवादी पार्टी का अस्तित्व तक नहीं था, क्योंकि SP का गठन 1992 में हुआ था। ऐसे में अखिलेश का दावा न केवल राजनीतिक अपरिपक्वता (political immaturity) को दर्शाता है बल्कि यह बहुजन इतिहास को तोड़-मरोड़ कर प्रस्तुत करने की कोशिश है।
BSP के राष्ट्रीय प्रवक्ता सुधीर भदौरिया ने अखिलेश यादव के बयान पर पलटवार करते हुए कहा— "मान्यवर कांशीराम जी 1991 में उत्तर प्रदेश की इटावा लोकसभा सीट से BSP के टिकट पर चुनाव लड़े और विजयी हुए।
यह उनका पहला और एकमात्र लोकसभा चुनाव था।अखिलेश यादव का यह दावा कि समाजवादी पार्टी के… pic.twitter.com/8nZ0nooSCK
— Er.Rameshwar Dhangar (@RameshwarDhan12) April 14, 2025
“BSP मिशन है, सौदा नहीं” – भदौरिया का सख्त संदेश
Political Immaturity बनाम आंदोलन की समझ
भदौरिया ने आगे कहा कि BSP न तो किसी की खैरात लेती है और न ही किसी रहमत पर निर्भर होती है। उन्होंने साफ कहा कि BSP की राजनीति सत्ता की लालसा नहीं, समाज की चेतना और आत्मसम्मान के लिए संघर्ष है। उन्होंने इस पूरे बयान को political immaturity और मौके पर आधारित सस्ती राजनीति करार दिया।
क्या SP बहुजन आंदोलन के ठेकेदार बनना चाहती है?
भदौरिया ने कहा कि जो लोग कल तक बहुजन आंदोलन को कमजोर करने की कोशिश कर रहे थे, वे आज उसके इतिहास के स्वयंभू ठेकेदार बनने की कोशिश कर रहे हैं। यह न केवल political immaturity है, बल्कि राजनीति में बेशर्मी की हद भी पार कर जाती है।
इतिहास की सच्चाई बनाम राजनीतिक भ्रम
“Struggle Defines the Truth” – इतिहास को समझने की सही दृष्टि
BSP प्रवक्ता ने इस मौके पर यह भी स्पष्ट किया कि इतिहास को केवल संघर्ष की सच्चाई से ही समझा जा सकता है, न कि झूठे राजनीतिक दावों से। उन्होंने दो टूक कहा कि कांशीराम जी की राजनीति “मिशन” थी, न कि कोई सत्ता पाने का सौदा। इस संदर्भ में उन्होंने एक बार फिर political immaturity शब्द का उपयोग करते हुए कहा कि ऐसे दावे सामाजिक आंदोलनों की गहराई को नहीं समझते।
समाजवादी पार्टी की चुप्पी पर उठे सवाल
क्या Akhilesh देंगे जवाब?
अब राजनीतिक गलियारों में यह सवाल गूंज रहा है कि क्या अखिलेश यादव अपने बयान पर स्पष्टीकरण देंगे या फिर यह विवाद और गहराएगा? फिलहाल समाजवादी पार्टी की ओर से कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है। BSP के इस तीखे हमले ने निश्चित ही SP के लिए असहज स्थिति पैदा कर दी है, विशेषकर तब जब बयान को political immaturity जैसा गंभीर आरोप झेलना पड़ रहा है।
राजनीति में जिम्मेदारी बनाम अपरिपक्वता
(H2) Political Immaturity से नहीं, समझदारी से बदलता है इतिहास
भारतीय राजनीति में बयानबाज़ी आम है, लेकिन जब बात ऐतिहासिक संघर्षों और आंदोलनों की होती है, तो तथ्यों की गंभीरता और जिम्मेदारी अत्यधिक बढ़ जाती है। Political immaturity के आरोपों से जो विवाद खड़ा हुआ है, वह सिर्फ एक दल विशेष के लिए नहीं, बल्कि समूचे बहुजन आंदोलन की गरिमा से जुड़ा मुद्दा बन चुका है।
BSP ने स्पष्ट कर दिया है कि वह अपने इतिहास और मिशन को लेकर किसी प्रकार की गलतबयानी या भ्रम को सहन नहीं करेगी। यह संदेश न केवल SP को, बल्कि तमाम राजनीतिक दलों को यह सोचने पर मजबूर करता है कि राजनीति में सच्चाई, परिपक्वता और आदर्शों का स्थान आज भी कितना जरूरी है।