हाइलाइट्स
- Permanent Blindness की सबसे बड़ी वजह बन सकती हैं ये तीन सामान्य गलतियां
- आंखों की सेहत से जुड़ी अनदेखी आदतें कई बार जीवनभर की सजा दे सकती हैं
- मोबाइल स्क्रीन का अत्यधिक प्रयोग आंखों की रेटिना को कर सकता है स्थायी रूप से क्षतिग्रस्त
- घरेलू उपचार और इंटरनेट पर देखी गई सलाह बिना विशेषज्ञ की राय के हो सकती है खतरनाक
- समय पर आंखों की जांच और सही जीवनशैली से बच सकते हैं Permanent Blindness जैसे खतरों से
आंखों की अहमियत और खतरे की अनदेखी
दुनिया को देखने के लिए सबसे जरूरी इंद्रियों में से एक है – आंखें। लेकिन आधुनिक जीवनशैली, टेक्नोलॉजी की लत और लापरवाही ने आंखों को गंभीर खतरे में डाल दिया है। विशेषज्ञों की मानें तो कुछ सामान्य लगने वाली गलतियां व्यक्ति को Permanent Blindness यानी स्थायी अंधेपन तक पहुंचा सकती हैं।
आजकल युवाओं से लेकर बुजुर्गों तक, सब आंखों की देखभाल को नजरअंदाज कर रहे हैं। कई बार हमें आंखों में जलन, धुंधलापन या दर्द की शिकायत होती है, लेकिन हम इसे छोटी समस्या मानकर नजरअंदाज कर देते हैं। यही लापरवाही आगे चलकर Permanent Blindness का कारण बन सकती है।
कौन-सी हैं वे तीन गलतियां जो कर सकती हैं अंधा?
आंखों में बार-बार हाथ लगाना या रगड़ना
अक्सर लोग थकान या खुजली महसूस होने पर आंखों को रगड़ने लगते हैं। लेकिन ये आदत बेहद खतरनाक साबित हो सकती है। आंखों में मौजूद नाजुक रेटिना और कॉर्निया इस दबाव से क्षतिग्रस्त हो सकते हैं।
संक्रमण का खतरा
हाथों पर मौजूद बैक्टीरिया सीधे आंखों में प्रवेश कर सकते हैं, जिससे आंखों में इंफेक्शन और बाद में रेटिनल डैमेज हो सकता है। ऐसे कई केस दर्ज हुए हैं जहां मामूली खुजली को बार-बार रगड़ने से व्यक्ति को Permanent Blindness हो गई।
मोबाइल और लैपटॉप की स्क्रीन पर घंटों बिताना
डिजिटल युग में हर कोई मोबाइल, टैबलेट या कंप्यूटर पर घंटों समय बिता रहा है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि ये नीली रोशनी (Blue Light) आपकी आंखों की रेटिना को स्थायी नुकसान पहुंचा सकती है?
डिजिटल आई स्ट्रेन और रेटिना डैमेज
लगातार स्क्रीन देखने से आंखों की मांसपेशियां थक जाती हैं, जिससे फोकस करने की क्षमता कम हो जाती है। इससे धीरे-धीरे विज़न कमजोर होता है और Permanent Blindness का खतरा बढ़ता है।
डॉक्टर्स की सलाह है कि हर 20 मिनट में 20 सेकंड का ब्रेक लें और 20 फीट दूर देखें – जिसे “20-20-20 रूल” कहा जाता है।
बिना डॉक्टर की सलाह के आई ड्रॉप्स या घरेलू नुस्खे अपनाना
इंटरनेट पर आंखों की देखभाल से जुड़े सैकड़ों नुस्खे उपलब्ध हैं। लेकिन बिना विशेषज्ञ की राय के किसी भी घरेलू उपाय या दवा का प्रयोग आंखों के लिए जानलेवा साबित हो सकता है।
स्टेरॉयड वाले ड्रॉप्स का अनियंत्रित प्रयोग
कई बार लोग किसी पुराने पर्चे या टीवी ऐड में देखे आई ड्रॉप्स का प्रयोग करने लगते हैं, जिसमें स्टेरॉयड हो सकते हैं। स्टेरॉयड आंखों के प्रेशर को असंतुलित कर सकते हैं, जिससे ग्लूकोमा और फिर Permanent Blindness हो सकती है।
किसे है सबसे अधिक खतरा?
बच्चों और बुजुर्गों में तेजी से बढ़ रहा खतरा
आजकल छोटे बच्चे भी दिनभर मोबाइल में व्यस्त रहते हैं। लगातार स्क्रीन पर समय बिताने से उनकी आंखों की विकास प्रक्रिया प्रभावित होती है, जिससे समय से पहले ही आंखें कमजोर होने लगती हैं।
बुजुर्गों में मोतियाबिंद, ग्लूकोमा और डायबिटिक रेटिनोपैथी जैसी बीमारियों का खतरा अधिक होता है, जो समय पर इलाज न होने पर Permanent Blindness का कारण बन सकती हैं।
क्या कहते हैं विशेषज्ञ?
आंखों की देखभाल अब विलासिता नहीं, आवश्यकता बन चुकी है
एम्स, दिल्ली में नेत्र रोग विशेषज्ञ डॉ. संजीव कुमार के अनुसार –
“हर वर्ष हजारों लोग Permanent Blindness का शिकार होते हैं, जिनमें से आधे से अधिक मामलों में बचाव संभव था। समय पर जांच और लक्षणों को नजरअंदाज न करना बहुत जरूरी है।”
कैसे बचें इन खतरों से?
इन आदतों को अपनाएं और बचाएं अपनी आंखें
- आंखों को बार-बार न रगड़ें
- स्क्रीन टाइम को सीमित करें और नियमित ब्रेक लें
- हर 6 महीने में आंखों की जांच कराएं
- अच्छी गुणवत्ता वाला सनग्लास इस्तेमाल करें
- बिना डॉक्टर की सलाह कोई भी आई ड्रॉप या घरेलू नुस्खा न अपनाएं
इन आसान उपायों को अपनाकर हम न सिर्फ अपनी आंखों की सेहत बेहतर बना सकते हैं, बल्कि Permanent Blindness जैसे गंभीर खतरे से भी खुद को सुरक्षित रख सकते हैं।
आंखें हमारे जीवन का सबसे अनमोल उपहार हैं। इनकी देखभाल करना हमारी प्राथमिक जिम्मेदारी होनी चाहिए। ऊपर बताई गई तीन गलतियां छोटी लग सकती हैं, लेकिन ये व्यक्ति को अंधकार में धकेल सकती हैं।
समय रहते सही निर्णय लें, आंखों को राहत दें और विशेषज्ञों की सलाह पर अमल करें। ध्यान रखें, एक बार अगर Permanent Blindness हो गई तो जीवन की रौशनी हमेशा के लिए खो सकती है।