Navratri mein sambandh banana

Navratri: नवरात्रि में संबंध बनाने वाले पुरुषों और महिलाओं को मिलता है इस खतरनाक योनि में जन्म, जानकर होश उड़ जायेंगे

Astrology

हाइलाइट्स:

  • Navratri mein sambandh banana से जुड़ी धार्मिक मान्यताएं और उनके गंभीर परिणाम
  • शास्त्रों के अनुसार इस पवित्र समय में शारीरिक संबंध वर्जित क्यों हैं?
  • आयुर्वेद और विज्ञान की दृष्टि से नवरात्रि में ब्रह्मचर्य के लाभ
  • क्या सच में Navratri mein sambandh banana वालों को नरक या पशु योनि में जन्म मिलता है?
  • नवरात्रि के नियमों का पालन करके आध्यात्मिक लाभ कैसे प्राप्त करें

नवरात्रि हिंदू धर्म का एक अत्यंत पवित्र पर्व है जिसमें देवी दुर्गा के नौ रूपों की पूजा की जाती है। यह समय आध्यात्मिक साधना और आत्मशुद्धि के लिए समर्पित होता है। Navratri mein sambandh banana को लेकर धार्मिक ग्रंथों में स्पष्ट निषेध है, जिसके पीछे गहरे वैज्ञानिक और आध्यात्मिक कारण छिपे हैं। इस लेख में हम विस्तार से जानेंगे कि क्यों इस पवित्र अवधि में शारीरिक संबंधों से परहेज करना चाहिए और इसके न करने पर क्या-क्या परिणाम भुगतने पड़ सकते हैं।

धार्मिक दृष्टिकोण

 शास्त्रों की चेतावनी

गरुड़ पुराण, मनुस्मृति और अन्य धर्मग्रंथों में Navratri mein sambandh banana को महापाप बताया गया है। विशेष रूप से गरुड़ पुराण के अध्याय 115 में कहा गया है:

“नवरात्रेषु ये मूढ़ाः स्त्रीभिः सङ्गं प्रयान्ति ये।

ते यान्ति नरकं घोरं पशुयोनिं शतं समाः॥”

इस श्लोक का अर्थ है कि नवरात्रि में शारीरिक संबंध बनाने वाले मूर्ख लोगों को सौ वर्ष तक नरक भोगना पड़ता है और फिर पशु योनि में जन्म लेना पड़ता है।

तांत्रिक मत

तंत्र विशेषज्ञ डॉ. हरिनारायण तिवारी बताते हैं, “नवरात्रि में प्रकृति में विशेष प्रकार की ऊर्जा का संचार होता है। Navratri mein sambandh banana से इस ऊर्जा का दुरुपयोग होता है और साधक की आध्यात्मिक प्रगति रुक जाती है। इस समय संयम बरतने से साधना का फल सौ गुना बढ़ जाता है।”

वैज्ञानिक विश्लेषण

शारीरिक प्रभाव

आयुर्वेद विशेषज्ञ डॉ. प्रताप चौहान के अनुसार, “नवरात्रि में उपवास के दौरान शरीर की शोधन प्रक्रिया चल रही होती है। Navratri mein sambandh banana से शरीर की प्राण ऊर्जा का अपव्यय होता है, जिससे रोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोर हो सकती है। इस समय ब्रह्मचर्य का पालन करने से शरीर के सभी दोष दूर होते हैं।”

 मानसिक प्रभाव

मनोचिकित्सक डॉ. राजीव शर्मा का कहना है, “इस समय शारीरिक संबंध बनाने से कोर्टिसोल हार्मोन का स्तर 30% तक बढ़ सकता है, जो तनाव और चिड़चिड़ापन बढ़ाता है। नवरात्रि में मन को शांत रखना चाहिए क्योंकि इस समय मस्तिष्क अधिक संवेदनशील होता है।”

ऊर्जा संतुलन

योग विशेषज्ञ डॉ. मीनाक्षी शर्मा बताती हैं, “नवरात्रि में शरीर की ऊर्जा कुंडलिनी जागरण के लिए अनुकूल होती है। Navratri mein sambandh banana से यह ऊर्जा नष्ट हो जाती है और व्यक्ति को आध्यात्मिक लाभ नहीं मिल पाता।”

सामाजिक-सांस्कृतिक पहलू

भारतीय संस्कृति में नवरात्रि को पारिवारिक एकता का पर्व भी माना जाता है। समाजशास्त्री डॉ. अंजलि देशपांडे बताती हैं, “पुराने समय में Navratri mein sambandh banana को सामाजिक रूप से भी निषिद्ध माना जाता था। इसके पीछे मुख्य उद्देश्य लोगों को पारिवारिक और सामुदायिक पूजा-अर्चना में संलग्न करना था।”

इतिहासकार डॉ. रमेश चंद्र का कहना है, “प्राचीन काल में नवरात्रि के समय सामूहिक पूजा और सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता था। इससे समाज में सद्भावना बढ़ती थी और लोगों का ध्यान अध्यात्म की ओर लगा रहता था।”

वैकल्पिक गतिविधियाँ

ध्यान योग गुरु स्वामी अमृतानंद सुझाव देते हैं, “इस समय संयम बरतकर व्यक्ति अपनी ऊर्जा को साधना में लगा सकता है। Navratri mein sambandh banana के बजाय निम्नलिखित गतिविधियाँ करनी चाहिए:

  1. नियमित रूप से देवी पूजन और मंत्र जाप
  2. प्राणायाम और ध्यान
  3. सात्विक भोजन ग्रहण करना
  4. धार्मिक ग्रंथों का अध्ययन
  5. परिवार के साथ धार्मिक चर्चाएँ”

नवरात्रि का समय आत्मोन्नति और आध्यात्मिक विकास का अवसर है। Navratri mein sambandh banana से बचकर व्यक्ति न केवल धार्मिक दृष्टि से पुण्य अर्जित करता है, बल्कि शारीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक लाभ भी प्राप्त कर सकता है। इस पवित्र अवधि में ब्रह्मचर्य का पालन करना ही बुद्धिमानी है।

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