Namaz on road

चौंकाने वाला बयान! कैराना सांसद इकरा हसन बोलीं – ‘Namaz on road’ रोकने की साजिश नाकाम, न डरेंगे न डराएंगे, कोई नहीं रोक सकता

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हाइलाइट्स:

  •  Namaz on road – कैराना की सांसद इकरा हसन ने कहा कि Namaz on road होती आई है और इसे कोई रोक नहीं सकता।
  • उन्होंने कहा कि हर मजहब के लोग अपने धार्मिक कार्यक्रम सड़कों पर मनाते हैं, तो नमाज में दिक्कत क्यों?
  • सरकार पर हमला बोलते हुए उन्होंने कहा कि 2014 के बाद से नफरत की राजनीति को बढ़ावा दिया गया है।
  • सुप्रीम कोर्ट से इस मामले पर संज्ञान लेने की अपील की, ताकि कोई स्पष्ट फैसला आ सके।
  • नमाज पर रोक लगाने की कोशिशों पर उन्होंने कहा कि यह समुदाय विशेष के अधिकारों का हनन है।

इकरा हसन का बड़ा बयान, सरकार पर साधा निशाना

उत्तर प्रदेश के कैराना से युवा सांसद इकरा हसन ने Namaz on road को लेकर बड़ा बयान दिया है। उन्होंने स्पष्ट शब्दों में कहा कि यह देश सभी धर्मों का है, और सड़क पर नमाज कोई नई बात नहीं है। संसद के बाहर मीडिया से बात करते हुए उन्होंने कहा कि यह परंपरा हमेशा से रही है और आगे भी जारी रहेगी। उन्होंने यह भी जोड़ा कि जब अन्य धर्मों के लोग सड़कों पर अपने धार्मिक आयोजन कर सकते हैं, तो फिर मुस्लिम समुदाय की Namaz on road को लेकर आपत्ति क्यों?

ईद पर नमाज को लेकर सांसद का बयान

आगामी ईद को लेकर सवाल पूछे जाने पर इकरा हसन ने कहा कि नमाज रोकने की कोई भी कोशिश संविधान के खिलाफ है। उन्होंने कहा:

“हर मजहब का व्यक्ति सड़क पर उतरता है और 10 मिनट की नमाज में किसी को सिक्योरिटी कंसर्न नहीं होती, तो इसे क्यों रोका जा रहा है?”

उन्होंने आगे कहा कि मुसलमानों के त्योहार हमेशा से खुले माहौल में मनाए जाते रहे हैं और इसे रोकने का कोई औचित्य नहीं बनता। उन्होंने आरोप लगाया कि केंद्र सरकार जानबूझकर इस तरह के मुद्दों को उछालकर धार्मिक भेदभाव को बढ़ावा दे रही है।

सुप्रीम कोर्ट से की संज्ञान लेने की अपील

इकरा हसन ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट को इस मामले में स्वतः संज्ञान लेना चाहिए। उन्होंने कहा कि जब Namaz on road को लेकर इतना विवाद खड़ा किया जा रहा है, तो न्यायपालिका को इसमें हस्तक्षेप करके स्थिति को स्पष्ट करना चाहिए। उन्होंने कहा:

“मुझे लगता है कि इसमें सुप्रीम कोर्ट को संज्ञान लेना चाहिए ताकि किसी भी धर्म के खिलाफ इस तरह के भेदभाव को रोका जा सके।”

उन्होंने यह भी कहा कि अगर सरकार के कुछ अधिकारियों को इससे परेशानी है, तो उनकी मानसिकता में बदलाव लाने की जरूरत है।

2014 के बाद बढ़ी नफरत की राजनीति?

इकरा हसन ने मोदी सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि 2014 के बाद से देश को धार्मिक ध्रुवीकरण की ओर धकेला जा रहा है। उन्होंने आरोप लगाया कि भाजपा सरकार सिर्फ नफरत की राजनीति कर रही है और समुदायों के बीच विभाजन पैदा कर रही है। उन्होंने कहा:

“जब इन्हें विदेश जाना होता है, तो सभी धर्मों के लोगों को गले लगाते हैं, लेकिन देश के अंदर मुस्लिमों के अधिकारों पर सवाल खड़े किए जाते हैं।”

उन्होंने वक्फ बोर्ड पर सरकारी हस्तक्षेप को भी इसी राजनीति का हिस्सा बताया और कहा कि सरकार का मुख्य उद्देश्य मुस्लिम समुदाय को उनके अधिकारों से वंचित करना है।

नमाज पर रोक – अधिकारों का हनन?

नमाज को लेकर उठ रहे विवादों पर इकरा हसन ने कहा कि यह मुसलमानों के अधिकारों का हनन है। उन्होंने सवाल उठाया कि जब हर धर्म के लोगों को अपनी परंपराओं का पालन करने की स्वतंत्रता है, तो सिर्फ Namaz on road को लेकर इतना विवाद क्यों?

उन्होंने कहा:

“नमाज को रोकने की कोशिश असंवैधानिक है। इसे कोई रोक नहीं सकता। हम न डरेंगे, न डराएंगे।”

विरोध प्रदर्शन की चेतावनी

इकरा हसन ने संकेत दिया कि अगर नमाज पर किसी तरह की रोक लगाने की कोशिश की गई, तो मुस्लिम समुदाय विरोध प्रदर्शन करने से पीछे नहीं हटेगा। उन्होंने कहा कि समुदाय को अपने अधिकारों के लिए आवाज उठानी होगी और यह सुनिश्चित करना होगा कि उनके धार्मिक अधिकार सुरक्षित रहें।

सरकार की ‘सौगात’ पर तंज

इकरा हसन ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी लगातार मुसलमानों को सौगात देने की बात कर रहे हैं, लेकिन उनकी कथनी और करनी में अंतर है। उन्होंने कहा:

“हमें ऐसी सौगातें नहीं चाहिए। हमें हमारे हक और सम्मान की जरूरत है।”

उन्होंने यह भी कहा कि मुस्लिम समुदाय को उनका वाजिब हक मिलना चाहिए और सरकार को इस दिशा में सकारात्मक पहल करनी चाहिए।

इकरा हसन के बयान ने एक बार फिर Namaz on road को लेकर छिड़ी बहस को तेज कर दिया है। उन्होंने इस मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट से संज्ञान लेने की अपील की है और कहा है कि मुस्लिम समुदाय को उनके धार्मिक अधिकारों से वंचित नहीं किया जा सकता। अब देखना यह होगा कि सरकार और न्यायपालिका इस पर क्या रुख अपनाते हैं।

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