Kapil Mishra Riots Mastermind

Kapil Mishra Riots Mastermind: कपिल मिश्रा पर दिल्ली दंगों का आरोप, इलियास ने दिए सबूत, फिर भी FIR क्यों नहीं हुई?

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हाइलाइट्स:

Kapil Mishra riots mastermind: फिर उठी जांच की मांग

दिल्ली दंगों को लेकर एक बार फिर नया मोड़ आया है जब 1 अप्रैल को मजिस्ट्रेट वैभव चौरसिया ने आधिकारिक रूप से इस बात को माना कि Kapil Mishra riots mastermind वाले आरोपों की गहराई से जांच की आवश्यकता है। यह टिप्पणी इलियास नामक व्यक्ति की याचिका पर सुनवाई करते समय सामने आई, जिसने कपिल मिश्रा पर गंभीर आरोप लगाए हैं।

इलियास की याचिका: “दंगों से पहले भीड़ में देखा गया कपिल मिश्रा को”

इलियास ने कोर्ट में दावा किया कि 23 फरवरी 2020 को मौजपुर चौक पर कपिल मिश्रा ने पुलिस की उपस्थिति में भीड़ को सीधे तौर पर उकसाया। उनके अनुसार, मिश्रा ने कहा कि अगर CAA विरोधी नहीं हटते, तो वे खुद हटाएंगे। याचिकाकर्ता ने कहा:

“मैंने खुद Kapil Mishra riots mastermind की भूमिका निभाते देखा, वीडियो और फोटो दिए, पर कोई कार्रवाई नहीं हुई।”

कोर्ट की टिप्पणी: “तथ्यों की जांच ज़रूरी”

1 अप्रैल को मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट वैभव चौरसिया ने कहा कि इलियास की ओर से पेश की गई सामग्री प्रारंभिक जांच के लिए पर्याप्त है। कोर्ट ने माना कि यह मामला गंभीर है और यह तय करना आवश्यक है कि Kapil Mishra riots mastermind के आरोपों में कितनी सच्चाई है।

दंगों में पीड़ित रहे इम्तियाज़ को बार-बार धमकियां

इलियास ने यह भी बताया कि उनके भतीजे इम्तियाज़, जो खुद दंगों में बुरी तरह घायल हुए थे, को लगातार धमकियां मिलती रहीं। शिकायत वापस लेने के लिए अज्ञात लोग कई बार उनके घर तक आ पहुंचे।

“हमारी गलती सिर्फ ये थी कि हमने Kapil Mishra riots mastermind के खिलाफ सच बोला।”

पुलिस की निष्क्रियता पर उठे सवाल

याचिका में यह भी उल्लेख किया गया है कि दिल्ली पुलिस ने इलियास द्वारा दिए गए ठोस सबूतों पर कोई कार्रवाई नहीं की। यह आरोप लगाया गया कि FIR दर्ज करने में जानबूझकर देरी की गई, ताकि साक्ष्य कमजोर पड़ जाएं।

“पुलिस ने जैसे पहले ही तय कर लिया था कि Kapil Mishra riots mastermind नहीं हो सकते।”

पहले भी सामने आ चुके हैं ऐसे आरोप

यह पहला मौका नहीं है जब कपिल मिश्रा का नाम दिल्ली दंगों के संदर्भ में लिया गया है। 2020 में ही सोशल मीडिया पर उनके कई वीडियो वायरल हुए थे, जिनमें वह खुलेआम चेतावनी देते दिखे। लेकिन तब भी उनके खिलाफ कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई।

राजनीतिक प्रतिक्रियाएं: सरकार घिरती नजर आई

जैसे ही मजिस्ट्रेट की टिप्पणी सामने आई, विपक्षी दलों ने केंद्र सरकार और दिल्ली पुलिस पर हमला तेज कर दिया। कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने कहा:

Kapil Mishra riots mastermind होने की आशंका कोई नया मुद्दा नहीं है, लेकिन अब अदालत ने भी जांच की मांग की है। इसमें देरी क्यों?”

आम आदमी पार्टी की भी तीखी प्रतिक्रिया सामने आई। उन्होंने कहा कि सरकार को अब आरोपों को नजरअंदाज नहीं करना चाहिए।

मानवाधिकार संगठनों की प्रतिक्रिया

‘ह्यूमन राइट्स वॉच’ जैसे संगठनों ने कोर्ट की टिप्पणी का स्वागत किया और निष्पक्ष जांच की मांग की है। संगठन की ओर से जारी बयान में कहा गया:

“जब तक Kapil Mishra riots mastermind जैसे आरोपों की न्यायिक जांच नहीं होती, तब तक पीड़ितों को न्याय नहीं मिलेगा।”

मीडिया कवरेज और जनता की नजर

इस मामले ने मीडिया में भी हलचल पैदा कर दी है। कई राष्ट्रीय चैनलों और समाचार पोर्टलों ने इसे प्रमुखता से प्रकाशित किया है। जनता में भी इस बात को लेकर दो राय है—कुछ लोग कपिल मिश्रा को निर्दोष मानते हैं, तो कुछ उन्हें दंगों का असली मास्टरमाइंड।

कपिल मिश्रा की सफाई

हालांकि कपिल मिश्रा पहले भी इस तरह के आरोपों को ‘राजनीतिक साजिश’ बता चुके हैं। उन्होंने बार-बार कहा है कि उन्होंने कोई गलत काम नहीं किया और उन्हें जानबूझकर फंसाया जा रहा है।

“मैंने कभी दंगे नहीं कराए, Kapil Mishra riots mastermind जैसी बातें मेरे खिलाफ दुष्प्रचार हैं।”

क्या अब सच सामने आएगा?

1 अप्रैल की कोर्ट टिप्पणी ने Kapil Mishra riots mastermind बहस को फिर से हवा दी है। यदि मजिस्ट्रेट के निर्देशानुसार निष्पक्ष और स्वतंत्र जांच होती है, तो यह भारत की लोकतांत्रिक व्यवस्था के लिए एक सकारात्मक संकेत होगा। लेकिन यदि यह मामला भी अन्य सियासी मामलों की तरह फाइलों में दब कर रह गया, तो यह न्याय व्यवस्था पर एक और सवालिया निशान होगा।

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