जामिया मिल्लिया इस्लामिया विश्वविद्यालय की छात्रा ने हाल ही में अपने बयान से एक नई बहस को जन्म दिया है, जब उन्होंने विश्वविद्यालय के कुलपति (VC) को सख्त चेतावनी दी। उन्होंने कहा, “हम सावरकर की विरासत को नहीं मानते, हम भगत सिंह और अशफाकउल्लाह खान की विरासत को मानते हैं।” यह बयान सोशल मीडिया पर बहुत तेजी से वायरल हो गया और विभिन्न प्लेटफार्मों पर इस पर व्यापक चर्चा शुरू हो गई।
जामिया मिल्लिया इस्लामिया की छात्रा का बयान
16 फरवरी 2025 को जामिया मिल्लिया इस्लामिया विश्वविद्यालय के छात्रसंघ कार्यालय के पास आयोजित एक सभा में यह विवादित बयान दिया गया। छात्रा ने खुलकर कहा कि वे भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के महान क्रांतिकारी वीर सावरकर की विचारधारा से सहमत नहीं हैं, और उनकी जगह भगत सिंह और अशफाकउल्लाह खान की विचारधारा को मानती हैं। इस बयान ने विश्वविद्यालय परिसर में हलचल मचा दी है, और विभिन्न छात्र संगठनों ने अपनी प्रतिक्रिया दी है।
सावरकर, भगत सिंह और अशफाकउल्लाह खान: तीन महान क्रांतिकारी और उनकी विरासत
भारत के स्वतंत्रता संग्राम के तीन महत्वपूर्ण सेनानी वीर सावरकर, भगत सिंह और अशफाकउल्लाह खान का नाम भारतीय इतिहास में स्वर्ण अक्षरों से लिखा गया है। लेकिन इन तीनों सेनानियों की विचारधारा और कार्यशैली में महत्वपूर्ण अंतर था।
- वीर सावरकर: सावरकर को भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के पहले अध्यक्ष के रूप में मान्यता मिली, लेकिन उनके बाद के विचारों और उनके द्वारा दिए गए “हिंदू राष्ट्र” के सिद्धांतों ने उन्हें आलोचनाओं का सामना करना पड़ा। उन्होंने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में अंग्रेजों के खिलाफ संघर्ष किया और भारतीय जेलों में लंबा समय बिताया, लेकिन उनके कुछ विचार और कार्य विवादास्पद रहे हैं।
- भगत सिंह: भगत सिंह भारतीय क्रांति के सबसे बड़े प्रतीक बन गए थे। उनकी विचारधारा थी कि अंग्रेजों के खिलाफ एक सशस्त्र क्रांति के माध्यम से ही स्वतंत्रता प्राप्त की जा सकती है। उनका उद्देश्य न केवल ब्रिटिश साम्राज्य को उखाड़ फेंकना था, बल्कि भारतीय समाज में व्याप्त असमानताओं और अन्याय के खिलाफ भी आवाज उठाना था।
- अशफाकउल्लाह खान: अशफाकउल्लाह खान भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के एक महान क्रांतिकारी थे, जो अपने दोस्त भगत सिंह के साथ अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ संघर्ष में शामिल हुए थे। उनका योगदान और बलिदान भारतीय इतिहास में हमेशा याद रखा जाएगा।
छात्रा का दृष्टिकोण और प्रतिक्रिया
छात्रा का यह बयान जामिया मिल्लिया इस्लामिया के छात्र समुदाय में एक नई बहस का कारण बन गया है। उन्होंने सावरकर की विचारधारा से असहमत होते हुए यह बताया कि उनका आदर्श भगत सिंह और अशफाकउल्लाह खान हैं। छात्रा का मानना है कि सावरकर की विचारधारा उनके देशप्रेम के बजाय एक विशिष्ट विचारधारा को बढ़ावा देती है, जो उनके हिसाब से समाज के लिए खतरनाक हो सकती है।
सोशल मीडिया पर हलचल
इस बयान के बाद सोशल मीडिया पर प्रतिक्रियाओं का तांता लग गया। कुछ लोगों ने छात्रा के विचारों का समर्थन किया, तो कुछ ने इसकी आलोचना भी की। विशेषकर, जिन छात्रों और संगठनों ने सावरकर को भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के नायक के रूप में देखा है, वे छात्रा के बयान से असहमत हैं। वहीं, कुछ युवा छात्रों ने भगत सिंह और अशफाकउल्लाह खान की क्रांतिकारी विरासत को समर्थन देने वाली विचारधारा को अपने देशभक्ति का हिस्सा माना।
भारत में विचारधारा की विविधता और स्वतंत्रता
यह घटना भारतीय समाज में विचारधारा की विविधता को उजागर करती है। हमारे देश में विचारों, नीतियों और दृष्टिकोणों की एक बड़ी विविधता है, और यही विविधता लोकतंत्र की ताकत है। इस प्रकार की बहसें भारतीय समाज को अपने ऐतिहासिक संदर्भों और व्यक्तिगत मान्यताओं पर सवाल उठाने के लिए प्रेरित करती हैं।
अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (ABVP) और अन्य छात्र संगठनों की प्रतिक्रिया
छात्र संगठनों ने इस विवाद पर अपनी राय दी है। अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (ABVP) और कुछ अन्य संगठनों ने छात्रा के बयान की आलोचना की है, जबकि अन्य संगठनों ने इसे भारत के युवा समाज की जागरूकता और सोच का हिस्सा बताया है। विश्वविद्यालय प्रशासन ने इस मुद्दे को संजीदगी से लिया है और इस पर कोई आधिकारिक बयान जारी करने की योजना बना रहा है।
इस पूरे घटनाक्रम ने जामिया मिल्लिया इस्लामिया विश्वविद्यालय को एक बार फिर सुर्खियों में ला दिया है। जहां एक ओर यह बयान विचारधाराओं के संघर्ष को दर्शाता है, वहीं दूसरी ओर यह भारतीय समाज में विचारों की विविधता और स्वतंत्रता की बहस को भी प्रकट करता है। भारतीय समाज के लिए यह समय है जब हमें अपने ऐतिहासिक नायकों की विरासत और उनके योगदान को समझने की आवश्यकता है, साथ ही हमे यह भी समझने की आवश्यकता है कि विचारधारा की विविधता को सम्मान देना चाहिए।