Indian weightlifter death

270 किग्रा वजन उठाते समय भारतीय महिला वेटलिफ्टर की दर्दनाक मौत, गले पर गिरा बारबेल

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बिकानेर, राजस्थान: भारत में खेल जगत को झकझोर देने वाली एक दुखद घटना में, 17 वर्षीय युवा पावरलिफ्टर यष्टिका आचार्य की वेटलिफ्टिंग के दौरान दर्दनाक मौत हो गई। यह हादसा तब हुआ जब 270 किलोग्राम का बारबेल उनके गले पर गिर गया, जिससे उनकी गर्दन टूट गई। गंभीर चोटों के कारण उन्हें तुरंत अस्पताल ले जाया गया, लेकिन डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया।

कैसे हुआ हादसा?

यह दुर्भाग्यपूर्ण घटना 19 फरवरी 2025 को राजस्थान के बिकानेर स्थित पावर हेडक्वार्टर जिम में हुई, जहां यष्टिका रोज की तरह अपने ट्रेनिंग सेशन में व्यस्त थीं। उन्होंने पहले भी भारी वजन उठाने का अभ्यास किया था, लेकिन इस बार उनका संतुलन बिगड़ गया, जिससे 270 किग्रा का बारबेल सीधा उनके गले पर गिर गया।

प्रत्यक्षदर्शियों और जिम प्रशिक्षकों ने तुरंत उन्हें बचाने की कोशिश की। उनकी कोच और साथी लिफ्टरों ने प्राथमिक चिकित्सा दी और CPR (कार्डियोपल्मोनरी रिससिटेशन) भी किया, लेकिन चोट इतनी गंभीर थी कि उनकी जान नहीं बच सकी।

अब स्थानीय पुलिस इस मामले की जांच कर रही है और जिम के CCTV फुटेज की समीक्षा की जा रही है ताकि यह पता लगाया जा सके कि कहीं लापरवाही तो नहीं हुई थी।

कौन थीं यष्टिका आचार्य?

यष्टिका आचार्य सिर्फ एक आम वेटलिफ्टर नहीं थीं, बल्कि वे पावरलिफ्टिंग की उभरती हुई सितारा थीं। अक्टूबर 2024 में, उन्होंने गोवा में आयोजित नेशनल इक्विप्ड बेंच प्रेस चैंपियनशिप में सब-जूनियर 84 किग्रा वर्ग में स्वर्ण पदक जीता था।

उनका सपना भारत के लिए अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पदक जीतने का था। उनके पिता ऐश्वर्य आचार्य एक ठेकेदार हैं और उनकी एक बहन भी राज्य स्तर की पावरलिफ्टर हैं।

क्या है पावरलिफ्टिंग?

पावरलिफ्टिंग एक ताकत पर आधारित खेल है जिसमें स्क्वाट, बेंच प्रेस और डेडलिफ्ट जैसी गतिविधियां शामिल होती हैं। प्रत्येक खिलाड़ी को तीन बार प्रयास करने का मौका मिलता है और जो सबसे अधिक वजन उठाता है, उसे विजेता घोषित किया जाता है।

यह खेल प्राचीन ग्रीस से शुरू हुआ था, जब योद्धा अपनी ताकत का प्रदर्शन करने के लिए भारी पत्थर उठाते थे। आधुनिक दौर में, पावरलिफ्टिंग 1950 के दशक में ब्रिटेन और अमेरिका में लोकप्रिय हुई।

पावरलिफ्टिंग में सुरक्षा क्यों जरूरी है?

यष्टिका आचार्य की दर्दनाक मौत पावरलिफ्टिंग की सुरक्षा चिंताओं को उजागर करती है। यह खेल बहुत जोखिम भरा हो सकता है यदि उचित सावधानियां न बरती जाएं। कुछ जरूरी सुरक्षा उपाय इस प्रकार हैं:

अनुभवी कोच की निगरानी: हमेशा प्रशिक्षित कोच के दिशा-निर्देशों के तहत अभ्यास करना चाहिए।
सुरक्षा उपकरणों का उपयोग: पावर रैक, सेफ्टी बेल्ट और स्पॉटर (सहायक लिफ्टर) की मदद लेना जरूरी है।
वजन बढ़ाने की सही प्रक्रिया: शरीर की क्षमता के अनुसार धीरे-धीरे वजन बढ़ाना चाहिए।
स्वास्थ्य जांच: नियमित रूप से मेडिकल चेकअप कराना चाहिए ताकि कोई छिपी हुई बीमारी सामने आ सके।

खेल जगत में शोक की लहर

यष्टिका की मौत से खेल जगत और सोशल मीडिया में शोक की लहर दौड़ गई। कई बड़े एथलीटों और कोचों ने उनकी मौत पर दुख जताया और बेहतर सुरक्षा उपायों की मांग की।

उनकी उपलब्धियों और मेहनत को देखते हुए, उनके कोच और परिवार ने सरकार से पावरलिफ्टिंग के लिए बेहतर सुरक्षा मानकों को लागू करने की मांग की है।

यष्टिका आचार्य का निधन भारतीय खेल जगत के लिए एक बड़ी क्षति है। यह घटना सभी खेल प्रशिक्षकों, खिलाड़ियों और खेल संगठनों के लिए एक चेतावनी है कि सुरक्षा को कभी भी हल्के में नहीं लेना चाहिए।

अगर सही सुरक्षा मानक और निगरानी हो, तो इस तरह की दुर्घटनाओं को रोका जा सकता है और खेलों को और अधिक सुरक्षित बनाया जा सकता है। यष्टिका की प्रेरणादायक यात्रा हमेशा उन युवा एथलीटों को प्रेरित करती रहेगी जो अपने सपनों को पूरा करने के लिए मेहनत कर रहे हैं।

आपकी राय?

क्या आपको लगता है कि भारत में पावरलिफ्टिंग और अन्य भारोत्तोलन खेलों के लिए सुरक्षा उपायों को और मजबूत किया जाना चाहिए? अपने विचार नीचे कमेंट में साझा करें।

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