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मैंने कोई violence नहीं भड़काई, मुझे झूठा फंसाया गया है, क्योंकि मैंने पुलिस की पोल खोल दी, पुलिस और प्रशासन ने ही बच्चों को मारा है: जफर अली

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हाइलाइट्स:

  • संभल में हुई violence पर जफर अली ने खुद को निर्दोष बताया।
  • पुलिस और प्रशासन पर लगाए गंभीर आरोप, कहा – “साजिश के तहत मुझे फंसाया गया”।
  • स्थानीय लोगों के बयान पुलिस के दावों से मेल नहीं खाते।
  • सोशल मीडिया पर वायरल हुए वीडियो प्रशासन की भूमिका पर उठाते हैं सवाल।
  • मामले की निष्पक्ष जांच की मांग, हाईकोर्ट में याचिका दायर करने की तैयारी।

संभल violence में नया मोड़, जफर अली ने पुलिस पर लगाए गंभीर आरोप

संभल में हाल ही में हुई violence को लेकर पुलिस ने कई लोगों पर मुकदमा दर्ज किया है, लेकिन इस पूरे मामले में एक नया मोड़ तब आया जब सदर जामा मस्जिद संभल के प्रमुख जफर अली ने अपनी गिरफ्तारी को ‘साजिश’ बताया। उनका कहना है कि उन्होंने कोई violence नहीं भड़काई बल्कि उन्हें इसलिए झूठा फंसाया गया क्योंकि उन्होंने पुलिस की गड़बड़ियों को उजागर किया था

पुलिस और प्रशासन ने ही violence कराई: जफर अली

जफर अली ने मीडिया से बातचीत में कहा,

“मुझे एक सोची-समझी साजिश के तहत फंसाया गया है। मैंने हमेशा शांति की अपील की है, लेकिन प्रशासन ने ही माहौल बिगाड़ा। असली गुनहगार पुलिस और प्रशासन हैं, जिन्होंने बच्चों पर लाठियां बरसाईं और निर्दोष लोगों को गिरफ्तार किया।”

उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि सोशल मीडिया पर वायरल हुए वीडियो इस बात का सबूत हैं कि violence में असली भूमिका प्रशासन की ही थी

स्थानीय लोगों के बयान पुलिस के दावों से अलग

घटनास्थल पर मौजूद रहे स्थानीय नागरिकों के अनुसार, जफर अली violence रोकने की कोशिश कर रहे थे, लेकिन पुलिस ने उन्हें ही मुख्य आरोपी बना दिया। कुछ प्रत्यक्षदर्शियों ने बताया कि संभल violence के दौरान पुलिस ने जरूरत से ज्यादा बल प्रयोग किया और निर्दोष युवाओं को निशाना बनाया

सोशल मीडिया पर वायरल वीडियो से बढ़े सवाल

इस पूरे मामले में सोशल मीडिया पर कई वीडियो वायरल हुए हैं जिनमें पुलिस और प्रशासन के रवैये पर सवाल खड़े हो रहे हैं। एक वीडियो में देखा जा सकता है कि पुलिस खुद पत्थरबाजी कर रही है और लोगों को भड़काने की कोशिश कर रही है।

इसके अलावा, कुछ वीडियो में पुलिसकर्मी निर्दोष युवाओं को पकड़कर पीटते हुए भी नजर आ रहे हैं। जफर अली के समर्थकों का कहना है कि यह वीडियो उनकी बेगुनाही का सबसे बड़ा सबूत हैं

क्या पुलिस की कार्रवाई पक्षपाती है?

विपक्षी दलों और मानवाधिकार संगठनों ने भी पुलिस की कार्यवाही पर सवाल उठाए हैं। एक स्वतंत्र जांच की मांग करते हुए उन्होंने कहा,

“अगर पुलिस को सबूत मिले हैं, तो उन्हें सार्वजनिक किया जाना चाहिए। केवल राजनीतिक दबाव में कार्रवाई करना न्यायसंगत नहीं है।”

हाईकोर्ट में याचिका दायर करने की तैयारी

जफर अली के समर्थक इस मामले को हाईकोर्ट में ले जाने की तैयारी कर रहे हैं। उनके वकील का कहना है कि,

“हम निष्पक्ष जांच की मांग करेंगे। अगर अदालत सही जांच के आदेश देती है, तो असली गुनहगार बेनकाब होंगे।”

सरकार की प्रतिक्रिया और आगे की कार्रवाई

सरकार ने इस पूरे मामले पर सख्त रुख अपनाया है। पुलिस का कहना है कि उनके पास जफर अली के खिलाफ पुख्ता सबूत हैं और जल्द ही चार्जशीट दाखिल की जाएगी।

वहीं, कई सामाजिक संगठनों ने निष्पक्ष जांच की मांग की है ताकि सच्चाई जनता के सामने आ सके

क्या जफर अली को फंसाया गया?

संभल violence के मामले में कई सवाल अभी भी अनसुलझे हैं। जफर अली के बयान और सोशल मीडिया पर वायरल वीडियो प्रशासन की भूमिका को संदिग्ध बनाते हैं।

अब देखना यह होगा कि न्यायपालिका इस मामले को किस तरह से देखती है और क्या जफर अली को निष्पक्ष जांच का अवसर मिलता है या नहीं

आप इस मुद्दे पर क्या सोचते हैं? क्या आपको लगता है कि जफर अली को झूठा फंसाया गया है, या पुलिस का दावा सही है? अपने विचार कमेंट में बताएं और इस न्यूज़ को शेयर करें ताकि सच्चाई सबके सामने आ सके!

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