हाइलाइट्स
- Heavy Oil Production में क्रांतिकारी सफलता, रूसी वैज्ञानिकों ने नया उत्प्रेरक विकसित किया।
- लोहे और निकेल के 85:15 मिश्रण का उपयोग कर भारी तेल उत्पादन में बढ़ोतरी।
- पानी की मात्रा 99% से घटकर 30% हुई, कच्चे तेल की शुद्धता में बड़ा सुधार।
- नई तकनीक से ऊर्जा लागत कम होने के साथ उपकरणों का संक्षारण भी रुकेगा।
- Heavy Oil Production में यह खोज अरब देशों के लिए भी उपयोगी साबित हो सकती है।
वैज्ञानिकों ने खोजी नई तकनीक, बढ़ेगा हैवी ऑयल प्रोडक्शन
तेल उत्पादन की दुनिया में एक नई क्रांति आने वाली है। रूस की कज़ान फेडरल यूनिवर्सिटी और दो प्रमुख रूसी कंपनियों ने मिलकर एक नया उत्प्रेरक (Catalyst) विकसित किया है, जिससे Heavy Oil Production को अधिक कुशल बनाया जा सकता है। यह उत्प्रेरक लोहे (Iron), निकेल (Nickel), कोबाल्ट (Cobalt), क्रोमियम (Chromium) और तांबे (Copper) पर आधारित है।
इस तकनीक का उद्देश्य भारी और चिपचिपे तेल (Highly Viscous Crude Oil) के उत्पादन को आसान बनाना है। इस शोध के प्रमुख वैज्ञानिक एरिक मुखामेतदिनोव के अनुसार, “हम इस उत्प्रेरक की संरचना को और भी बेहतर बनाने पर काम कर रहे हैं ताकि इसे अन्य तेल क्षेत्रों में भी इस्तेमाल किया जा सके।”
नया उत्प्रेरक कैसे काम करता है?
वैज्ञानिकों ने Aksinovskoye Oil Field (Samara Region) में इस उत्प्रेरक का परीक्षण किया। चार महीने के प्रयोग के बाद, भारी तेल में मौजूद पानी की मात्रा 99% से घटकर 30% रह गई।
इसके फायदे:
- ऊर्जा लागत में कमी: यह उत्प्रेरक Catalytic Hydrothermal Analysis को संभव बनाता है, जिससे ऊर्जा लागत कम होती है।
- शुद्ध तेल की प्राप्ति: पानी की मात्रा कम होने से कच्चे तेल की गुणवत्ता में सुधार होता है।
- उपकरणों की सुरक्षा: पानी में मौजूद तत्व उपकरणों को नुकसान पहुंचाते हैं, लेकिन इस तकनीक से संक्षारण (Corrosion) रुक सकता है।
- उत्पादन में वृद्धि: इस उत्प्रेरक के उपयोग से भारी तेल के उत्पादन में वृद्धि देखी गई है।
अरब देशों के लिए क्यों महत्वपूर्ण है यह खोज?
Heavy Oil Production का यह नया तरीका खाड़ी देशों (GCC) के लिए बहुत लाभदायक हो सकता है। सऊदी अरब, संयुक्त अरब अमीरात (UAE), और कुवैत जैसे देशों के पास दुनिया के कुल तेल भंडार का 30-35% हिस्सा है।
GCC देशों के लिए लाभ:
- निर्यात बढ़ेगा: चीन और भारत जैसे बड़े बाजारों के लिए शुद्ध और उच्च गुणवत्ता वाले कच्चे तेल की आपूर्ति की जा सकेगी।
- ऊर्जा लागत घटेगी: नई तकनीक से उत्पादन में लगने वाली ऊर्जा में कटौती होगी।
- पर्यावरण पर सकारात्मक प्रभाव: पानी की कम मात्रा से प्रदूषण घटेगा और रिफाइनरी का संचालन अधिक प्रभावी होगा।
भविष्य की संभावनाएँ
इस तकनीक के भविष्य को लेकर वैज्ञानिक बहुत आशान्वित हैं। शोधकर्ता एरिक मुखामेतदिनोव के अनुसार, “हम इस उत्प्रेरक की संरचना को और बेहतर बनाने की योजना बना रहे हैं, ताकि इसे अन्य भारी तेल क्षेत्रों में भी लागू किया जा सके।” यदि यह तकनीक सफल होती है, तो यह Heavy Oil Production में एक नया युग स्थापित कर सकती है।