मुस्लिम महिलाओं का खतना क्या होता है ? काट कर फेंक दिया जाता है शरीर का बहुत ही खतरनाक अंग

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महिलाओं का खतना, जिसे फीमेल जेनिटल म्यूटिलेशन (FGM) भी कहा जाता है, एक ऐसा अमानवीय प्रथा है जिसमें महिलाओं के जननांगों का आंशिक या पूर्ण रूप से काटा जाता है। यह परंपरा मुख्य रूप से कुछ अफ्रीकी, एशियाई और मध्य पूर्वी देशों में देखने को मिलती है। हालांकि, इस प्रथा का किसी भी धर्म, विशेष रूप से इस्लाम से कोई संबंध नहीं है, फिर भी इसे कुछ मुस्लिम समुदायों द्वारा सांस्कृतिक परंपरा के रूप में अपनाया गया है।

FGM को दुनिया भर में महिलाओं के मानवाधिकारों के उल्लंघन के रूप में देखा जाता है, और यह गंभीर शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं को जन्म देता है। इस लेख में हम विस्तार से जानेंगे कि महिलाओं के खतने का अर्थ क्या है, इसके प्रकार, स्वास्थ्य पर पड़ने वाले प्रभाव, कानूनी स्थिति और इसे रोकने के लिए किए जा रहे वैश्विक प्रयास।

महिलाओं के खतने का अर्थ और उसके प्रकार

विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार, FGM के चार प्रमुख प्रकार होते हैं:

  1. क्लिटोरिडेक्टॉमी (Type I): इसमें क्लिटोरिस को आंशिक या पूर्ण रूप से काट दिया जाता है।
  2. एक्सिसन (Type II): इसमें क्लिटोरिस और लेबिया मिनोरा (छोटी योनि होंठ) को काटा जाता है।
  3. इनफिबुलेशन (Type III): इसमें योनि के छिद्र को अत्यधिक संकुचित कर दिया जाता है, जिससे महिलाओं को अत्यधिक दर्द और शारीरिक परेशानियों का सामना करना पड़ता है।
  4. अन्य प्रक्रियाएँ (Type IV): इसमें जलाने, चुभाने, छेद करने, खरोंचने जैसी अन्य हानिकारक प्रक्रियाएँ शामिल हैं।

यह प्रथा आमतौर पर लड़कियों की शैशवावस्था से किशोरावस्था के बीच की जाती है, और इसे अक्सर “शुद्धिकरण” या महिला को विवाह के योग्य बनाने के नाम पर किया जाता है।

महिलाओं के खतने के पीछे की मान्यताएँ

इस प्रथा को कई देशों और समुदायों में सांस्कृतिक, धार्मिक या सामाजिक कारणों से किया जाता है। इसके पीछे कई भ्रांतियाँ प्रचलित हैं, जैसे:

  • यह महिला की शुद्धता बनाए रखने में मदद करता है।
  • यह यौन इच्छाओं को नियंत्रित करने के लिए आवश्यक है।
  • यह एक सामाजिक अनिवार्यता है, जिससे लड़की का विवाह होना आसान होता है।

हालांकि, कोई भी धार्मिक ग्रंथ इस प्रथा का समर्थन नहीं करता। इस्लाम में भी इस प्रथा का कोई आधिकारिक उल्लेख नहीं है।

महिलाओं के खतने से होने वाले स्वास्थ्य संबंधी नुकसान

FGM का महिलाओं के स्वास्थ्य पर गंभीर प्रभाव पड़ता है। यह न केवल शारीरिक पीड़ा देता है बल्कि मानसिक आघात भी पहुंचाता है। इसके मुख्य दुष्प्रभाव हैं:

  • अत्यधिक खून बहना (ब्लीडिंग), जो कभी-कभी जानलेवा हो सकता है।
  • संक्रमण और HIV/AIDS जैसी बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है।
  • गर्भधारण और प्रसव में जटिलताएँ आती हैं।
  • महिलाओं में यौन इच्छाओं की समाप्ति हो जाती है, जिससे वैवाहिक जीवन प्रभावित होता है।
  • अवसाद, चिंता और पोस्ट-ट्रॉमेटिक स्ट्रेस डिसऑर्डर (PTSD) जैसी मानसिक बीमारियाँ हो सकती हैं।

कानूनी स्थिति और वैश्विक प्रयास

FGM को संयुक्त राष्ट्र, विश्व स्वास्थ्य संगठन और कई अंतरराष्ट्रीय संगठनों द्वारा अवैध और अमानवीय प्रथा करार दिया गया है। कई देशों में इसे रोकने के लिए कड़े कानून बनाए गए हैं।

  • भारत में स्थिति: भारत में भी कुछ समुदायों में FGM की घटनाएँ देखने को मिली हैं। विशेष रूप से दाऊदी बोहरा समुदाय में यह प्रथा अभी भी जारी है। हालांकि, भारत में अभी तक कोई सख्त कानून नहीं है, लेकिन सुप्रीम कोर्ट में इस पर प्रतिबंध लगाने की याचिका दायर की गई है
  • अंतरराष्ट्रीय कानून: अमेरिका, ब्रिटेन, कनाडा, ऑस्ट्रेलिया, और अफ्रीका के कई देशों में FGM को अपराध घोषित किया जा चुका है, और इसके खिलाफ सख्त सजा का प्रावधान किया गया है।

FGM को रोकने के लिए किए जा रहे प्रयास

महिलाओं के खतने को समाप्त करने के लिए निम्नलिखित कदम उठाए जा रहे हैं:

  1. शिक्षा और जागरूकता: समुदायों को शिक्षित किया जा रहा है कि यह एक हानिकारक प्रथा है।
  2. धार्मिक नेताओं की भागीदारी: इस्लामी विद्वानों और नेताओं द्वारा यह स्पष्ट किया जा रहा है कि इस्लाम में FGM का कोई स्थान नहीं है।
  3. स्वास्थ्य सेवाएँ और परामर्श: FGM से प्रभावित महिलाओं को मनोवैज्ञानिक और चिकित्सीय सहायता प्रदान की जा रही है।
  4. कानूनी कार्रवाई: कई देशों में कानूनों को मजबूत किया जा रहा है और अपराधियों पर कठोर दंड लागू किया जा रहा है।

महिलाओं का खतना एक गंभीर मानवाधिकार उल्लंघन है, जिसका महिलाओं के स्वास्थ्य, मानसिक स्थिति और समाज पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। यह प्रथा किसी भी धर्म या समाज के लिए उचित नहीं है और इसे जड़ से खत्म करने की आवश्यकता है।

भारत सहित पूरे विश्व में FGM के खिलाफ अभियान चल रहे हैं, और धीरे-धीरे इस पर रोक लगाने की दिशा में प्रगति हो रही है। यह ज़रूरी है कि हम इस मुद्दे को समझें, इसके दुष्प्रभावों के बारे में जागरूकता फैलाएँ और महिलाओं को उनके अधिकारों के लिए आवाज़ उठाने में सहायता करें।

FGM को समाप्त करने के लिए हमें एकजुट होकर कार्य करने की आवश्यकता है, ताकि हर लड़की और महिला को एक सुरक्षित और स्वस्थ जीवन जीने का अधिकार मिल सके।

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