अबू धाबी स्थित लुलु मॉल में कार्यरत एक कर्मचारी की हृदयाघात से मृत्यु के बाद, लुलु ग्रुप के चेयरमैन और अरबपति व्यवसायी एम.ए. यूसुफ अली ने मानवीय संवेदनशीलता की मिसाल पेश की। उन्होंने न केवल अंतिम संस्कार में भाग लिया बल्कि खुद जनाज़े को कंधा दिया और नमाज़-ए-जनाज़ा पढ़ाई। यह घटना न केवल उनके नेतृत्व के मानवीय पहलू को उजागर करती है, बल्कि कार्यस्थल पर कर्मचारियों के प्रति सम्मान और सहानुभूति की भावना को भी दर्शाती है।
कौन थे शिहाबुद्दीन?
मृत कर्मचारी शिहाबुद्दीन, केरल के थिरूर जिले के रहने वाले थे और अबू धाबी के अल वाहदा मॉल स्थित लुलु हाइपरमार्केट में सुपरवाइजर के रूप में कार्यरत थे। काम के दौरान अचानक दिल का दौरा पड़ने से उनकी मृत्यु हो गई, जिससे उनके परिवार और सहकर्मियों में शोक की लहर दौड़ गई।
उनकी असामयिक मृत्यु की खबर सुनकर, लुलु ग्रुप के चेयरमैन एम.ए. यूसुफ अली व्यक्तिगत रूप से उनके अंतिम संस्कार में शामिल हुए। इस दौरान उन्होंने जनाज़े को कंधा दिया और नमाज़-ए-जनाज़ा भी पढ़ी।
एम.ए. यूसुफ अली का भावुक संदेश
एम.ए. यूसुफ अली ने इस दुखद घटना पर गहरा शोक व्यक्त किया और सोशल मीडिया पर एक पोस्ट साझा करते हुए लिखा:
“अबू धाबी अल वाहदा मॉल लुलु हाइपरमार्केट सुपरवाइजर और थिरूर कनमनम के शिहाबुद्दीन के अंतिम संस्कार में प्रार्थना की। अल्लाह उन्हें मगफिरत और मरहमत की रहमत दे, आमीन।”
उनकी इस भावुक प्रतिक्रिया ने सोशल मीडिया पर व्यापक चर्चा को जन्म दिया। लोग उनके इस मानवीय कदम की सराहना कर रहे हैं, क्योंकि एक अरबपति व्यवसायी का अपने कर्मचारी के अंतिम संस्कार में शामिल होना दुर्लभ घटनाओं में से एक है।
कर्मचारियों के प्रति गहरी संवेदनशीलता
एम.ए. यूसुफ अली का यह कदम उनके नेतृत्व के सशक्त मानवीय पहलू को दर्शाता है। आमतौर पर बड़े व्यवसायों में मालिकों और कर्मचारियों के बीच एक औपचारिक रिश्ता ही देखने को मिलता है, लेकिन इस घटना ने यह साबित कर दिया कि यूसुफ अली अपने कर्मचारियों को केवल कंपनी का हिस्सा नहीं बल्कि परिवार का सदस्य मानते हैं।
कई कर्मचारी और अन्य लोग इस घटना के बाद लुलु ग्रुप की कार्यसंस्कृति की प्रशंसा कर रहे हैं। यह दिखाता है कि एक सफल व्यवसायी होने के साथ-साथ एक अच्छा इंसान भी होना कितना महत्वपूर्ण है।
सोशल मीडिया पर वायरल हुआ वीडियो
इस पूरी घटना का एक वीडियो सोशल मीडिया पर तेज़ी से वायरल हो गया, जिसमें यूसुफ अली को जनाज़े को कंधा देते और नमाज़ पढ़ते हुए देखा जा सकता है। वीडियो के वायरल होने के बाद दुनियाभर से लोग उनके इस मानवीय कार्य की सराहना कर रहे हैं।
एक यूज़र ने लिखा,
“एक अरबपति होते हुए भी अपने कर्मचारियों के लिए इतनी संवेदनशीलता दिखाना असाधारण बात है। यूसुफ अली वाकई प्रेरणादायक हैं।”
दूसरे यूज़र ने लिखा,
“यदि हर मालिक अपने कर्मचारियों के साथ ऐसा व्यवहार करे, तो दुनिया एक बेहतर जगह बन जाएगी।”
लुलु ग्रुप और एम.ए. यूसुफ अली का योगदान
लुलु ग्रुप इंटरनेशनल दुनिया की सबसे बड़ी हाइपरमार्केट श्रृंखलाओं में से एक है। इसकी स्थापना एम.ए. यूसुफ अली ने की थी और आज यह 22 से अधिक देशों में फैला हुआ है। इस ग्रुप के अंतर्गत 240 से अधिक हाइपरमार्केट और शॉपिंग मॉल संचालित होते हैं।
यूसुफ अली का हमेशा से अपने कर्मचारियों के प्रति सहानुभूतिपूर्ण रवैया रहा है। उन्होंने कोविड-19 महामारी के दौरान भी अपने हज़ारों कर्मचारियों का वेतन जारी रखा था और उन्हें किसी भी तरह की आर्थिक समस्या से बचाने के लिए अतिरिक्त वित्तीय सहायता प्रदान की थी।
अन्य व्यापारियों के लिए मिसाल
इस घटना ने दुनियाभर के व्यापारिक नेताओं के लिए एक मिसाल कायम की है। आमतौर पर उच्च पदों पर बैठे लोग अपने कर्मचारियों से एक निश्चित दूरी बनाए रखते हैं, लेकिन यूसुफ अली ने इस धारणा को तोड़ते हुए यह साबित किया कि एक सफल व्यवसायी के लिए अपने कर्मचारियों की भलाई भी उतनी ही महत्वपूर्ण होनी चाहिए जितनी कि व्यवसायिक सफलता।
उनका यह मानवीय कदम अन्य उद्योगपतियों और व्यापारियों को अपने कर्मचारियों की देखभाल करने के लिए प्रेरित करेगा।
लुलु ग्रुप के चेयरमैन एम.ए. यूसुफ अली ने अपने कर्मचारी शिहाबुद्दीन के अंतिम संस्कार में शामिल होकर और जनाज़े को कंधा देकर एक मिसाल पेश की है। यह घटना कार्यस्थल पर नेतृत्व, सहानुभूति और मानवीय मूल्यों के महत्व को उजागर करती है।
उनका यह कदम यह भी दर्शाता है कि एक सच्चा नेता वही होता है जो न केवल अपने कर्मचारियों की सफलता में बल्कि उनके दुख और कठिन समय में भी उनके साथ खड़ा रहे।
यह घटना न केवल व्यवसाय जगत में सकारात्मक बदलाव लाने के लिए प्रेरित करेगी बल्कि यह भी साबित करेगी कि मानवीय संवेदनाएं ही किसी संगठन की असली ताकत होती हैं।