Eid mistakes

Eid Mistakes: ईद पर ये 5 गलतियां कर दीं तो जहन्नुम में भी नहीं मिलेगी जगह! तीसरी गलती सबसे खतरनाक

Lifestyle

हाइलाइट्स:

  • Eid mistakes को लेकर इस्लाम में सख्त चेतावनी दी गई है।
  • ईद के दिन कुछ गलतियों से अल्लाह की नाराज़गी बढ़ सकती है।
  • नमाज़, ज़कात और रोज़े का सही पालन न करना भी एक बड़ी भूल है।
  • भाईचारे और इंसानियत की अहमियत को नहीं भूलना चाहिए।
  • इस्लामिक विद्वानों ने ईद पर बरती जाने वाली सावधानियों को बताया है।

ईद का पाक दिन और उसकी अहमियत

ईद का त्योहार मुसलमानों के लिए बेहद खास होता है। यह दिन सिर्फ खुशियां मनाने का नहीं, बल्कि इस्लाम की सिखाई हुई नेक राह पर चलने का संदेश भी देता है। रमज़ान के पूरे महीने रोज़ा रखने और अल्लाह की इबादत करने के बाद यह त्यौहार आता है, जो ईमान की परीक्षा का अंतिम चरण होता है। लेकिन इस खास मौके पर जाने-अनजाने में कुछ Eid mistakes ऐसी हो जाती हैं, जो अल्लाह की नाराज़गी का कारण बन सकती हैं।

हर मुसलमान को चाहिए कि वह ईद के दिन इन गलतियों से बचे ताकि उसका ईमान और नेक अमल अल्लाह को पसंद आए। आइए जानते हैं वे पांच बड़ी गलतियां, जो ईद के दिन भूलकर भी नहीं करनी चाहिए।

1. तकबीर-ए-तशरीक को नजरअंदाज करना

ईद के मौके पर अल्लाह की बड़ाई बयान करने के लिए तकबीर-ए-तशरीक पढ़ना जरूरी होता है। यह सुन्नत-ए-मुअक्कदा (अनिवार्य सुन्नत) है। मगर बहुत से मुसलमान इसे भूल जाते हैं, जो कि एक गंभीर गलती है।

तकबीर-ए-तशरीक का महत्व:

  • यह इस्लामिक परंपरा का हिस्सा है और कुरान-हदीस में इसकी अहमियत बताई गई है।
  • ईद की नमाज़ से पहले और बाद में इसे पढ़ने से अल्लाह की रहमत मिलती है।
  • इसे न पढ़ना Eid mistakes में सबसे बड़ी मानी जाती है।

क्या करना चाहिए?

तकबीर-ए-तशरीक को ईद के दिन और आने वाले कुछ दिनों तक पढ़ने की आदत डालें।

2. ईद की नमाज़ में देरी करना या छोड़ देना

ईद की नमाज़ इस दिन का सबसे अहम हिस्सा होती है। लेकिन कुछ लोग आलस के कारण या फिर दूसरे कामों में व्यस्त रहकर इसे छोड़ देते हैं, जो कि बहुत बड़ी गलती है।

नमाज़ छोड़ने का गुनाह:

  • हदीस के अनुसार, जिसने जानबूझकर ईद की नमाज़ नहीं पढ़ी, वह बहुत बड़े सवाब से वंचित रह गया।
  • अल्लाह ने नमाज़ को मुसलमानों पर फर्ज़ किया है, और इसे छोड़ना गुनाह-ए-कबीर (बड़ा गुनाह) माना जाता है।

सही तरीका:

ईद की नमाज़ का समय तय होता है, इसलिए अपने सभी कामों से पहले इसे अदा करें।

3. ग़रीबों और जरूरतमंदों को नज़रअंदाज़ करना

ईद का असली मकसद सिर्फ अपने लिए खुशी मनाना नहीं, बल्कि दूसरों के साथ खुशियां बांटना भी है। लेकिन कुछ लोग इस दिन गरीबों और जरूरतमंदों को भूल जाते हैं।

ज़कात और फितरा का महत्व:

  • इस्लाम में हर सक्षम व्यक्ति पर ज़कात और फितरा देना अनिवार्य है।
  • ज़कात देने से संपत्ति पवित्र होती है और अल्लाह की रहमत बरसती है।
  • ईद पर दान न करना भी Eid mistakes में गिना जाता है।

क्या करें?

ईद से पहले ही ज़कात और फितरा अदा करें ताकि जरूरतमंद भी अपनी ईद मना सकें।

4. रिश्तों को नज़रअंदाज़ करना और झगड़े करना

इस दिन लोगों को एक-दूसरे से मिलना चाहिए, मगर कुछ लोग रिश्तेदारों से दूरी बना लेते हैं या फिर आपस में झगड़ा कर बैठते हैं।

भाईचारे का महत्व:

  • हदीस में कहा गया है कि जो अपने रिश्तेदारों से नाता तोड़ता है, वह जन्नत में नहीं जाएगा।
  • ईद का दिन माफ करने और सुलह करने का है, न कि नाराज रहने का।

सही तरीका:

  • अगर किसी से झगड़ा हुआ है, तो पहल करके सुलह करें।
  • सभी रिश्तेदारों को ईद की मुबारकबाद दें और उन्हें गले लगाएं।

5. फिजूलखर्ची और दिखावे से बचें

आजकल लोग ईद पर जरूरत से ज्यादा खर्च करते हैं और दिखावे में पड़ जाते हैं। यह इस्लाम की सिखाई हुई सादगी के खिलाफ है।

फिजूलखर्ची का नुकसान:

  • इस्लाम में फिजूलखर्ची करने वालों को शैतान का साथी कहा गया है।
  • दिखावे के चक्कर में पड़कर लोग असल ईद की खुशी से महरूम हो जाते हैं।

क्या करना चाहिए?

  • जरूरत से ज्यादा खर्च करने की बजाय गरीबों की मदद करें।
  • सादगी से ईद मनाएं ताकि असली खुशी मिले।

ईद सिर्फ एक त्योहार नहीं, बल्कि अल्लाह की दी हुई एक नेमत है। इस दिन की हर एक चीज इस्लाम की हिदायतों के मुताबिक होनी चाहिए। अगर हमने इस दिन को अपनी गलतियों से बिगाड़ लिया, तो अल्लाह की नाराज़गी से बचना मुश्किल होगा।

इसलिए Eid mistakes करने से बचें और इस त्योहार को सही तरीके से मनाएं ताकि अल्लाह की रहमत और बरकत हम सब पर बनी रहे।

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