हाइलाइट्स:
- BJP Leader Assault: बरेली के प्रेमनगर थाना क्षेत्र में भाजपा नेता ने सफाईकर्मियों को बेरहमी से पीटा, जातिसूचक गालियां दीं और तमंचा तान दिया।
- स्थानीय प्रशासन पर FIR दर्ज न करने का आरोप, पीड़ितों को न्याय दिलाने की मांग।
- नगीना सांसद चंद्रशेखर आजाद ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से की कार्रवाई की मांग।
- SC/ST एक्ट के तहत कड़ी धाराओं में मुकदमा दर्ज करने की अपील।
- पुलिस अधिकारियों पर भी सवाल, FIR दर्ज न करने पर कार्रवाई की मांग।
BJP Leader Assault: घटना का पूरा विवरण
उत्तर प्रदेश के बरेली जिले के प्रेमनगर थाना क्षेत्र में एक चौंकाने वाली घटना सामने आई है, जहां एक भाजपा नेता ने सत्ता के नशे में चूर होकर सफाईकर्मियों को बेरहमी से पीटा, उन्हें जातिसूचक गालियां दीं, और तमंचा तानकर जान से मारने की धमकी दी। इस घटना ने प्रदेश में दलितों के खिलाफ हो रहे अत्याचारों को फिर से उजागर कर दिया है।
पीड़ित सफाईकर्मियों के अनुसार, वे अपनी रोजमर्रा की सफाई व्यवस्था में लगे थे, जब BJP Leader Assault मामले के आरोपी नेता ने किसी बात को लेकर उन पर गुस्सा जताया और अभद्र भाषा का प्रयोग किया। जब सफाईकर्मियों ने विरोध किया, तो उन्हें बुरी तरह पीटा गया और जातिसूचक गालियां दी गईं। इतना ही नहीं, भाजपा नेता ने अपनी पिस्तौल निकालकर उन्हें धमकाने की भी कोशिश की।
उत्तर प्रदेश के जिला बरेली के प्रेमनगर थाना क्षेत्र में सत्ता के नशे में चूर भाजपा नेता द्वारा सफाईकर्मियों को बेरहमी से पीटने, जातिसूचक गालियां देने और जान से मारने की नीयत से तमंचा तानने की घटना भाजपा के दलित विरोधी चरित्र को बेनकाब करती है। एक तरफ भाजपा खुद को दलितों की हितैषी… pic.twitter.com/dA2NzRRxwQ
— Chandra Shekhar Aazad (@BhimArmyChief) March 29, 2025
चंद्रशेखर आजाद का कड़ा बयान
इस घटना पर प्रतिक्रिया देते हुए नगीना से सांसद चंद्रशेखर आजाद ने ट्विटर (अब X) पर कड़ा बयान जारी किया। उन्होंने लिखा:
“उत्तर प्रदेश के जिला बरेली के प्रेमनगर थाना क्षेत्र में सत्ता के नशे में चूर भाजपा नेता द्वारा सफाईकर्मियों को बेरहमी से पीटने, जातिसूचक गालियां देने और जान से मारने की नीयत से तमंचा तानने की घटना भाजपा के दलित विरोधी चरित्र को बेनकाब करती है।”
उन्होंने कहा कि BJP Leader Assault जैसी घटनाएं यह साबित करती हैं कि एक तरफ भाजपा खुद को दलितों का हितैषी बताने का दावा करती है, जबकि दूसरी तरफ भाजपा नेताओं द्वारा खुलेआम अत्याचार किए जा रहे हैं। उन्होंने सवाल किया कि अगर सफाईकर्मियों को उनके पेशे और जाति के कारण इस तरह की बर्बरता का सामना करना पड़ रहा है, तो यह संविधान और कानून का सीधा उल्लंघन नहीं तो और क्या है?
BJP Leader Assault: FIR दर्ज न होने पर सवाल
इस घटना के बाद सफाईकर्मियों ने स्थानीय थाने में शिकायत दर्ज कराने की कोशिश की, लेकिन आरोप है कि पुलिस ने भाजपा नेताओं के दबाव में पीड़ितों की शिकायत दर्ज नहीं की।
चंद्रशेखर आजाद ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से सीधे सवाल किया:
“क्या उत्तर प्रदेश में दलितों को न्याय पाना अब नामुमकिन हो गया है? पुलिस भाजपा नेताओं के दबाव में आकर पीड़ितों की शिकायत तक दर्ज करने से क्यों डर रही है?”
उन्होंने UP सरकार से चार प्रमुख मांगें रखीं:
- BJP Leader Assault मामले में दोषी भाजपा नेता को तुरंत गिरफ्तार किया जाए।
- SC/ST अत्याचार निवारण अधिनियम और IPC की सख्त धाराओं में मुकदमा दर्ज किया जाए।
- FIR दर्ज न करने वाले पुलिस अधिकारियों पर भी सख्त कार्रवाई की जाए।
- पीड़ित सफाईकर्मियों को सरकारी सुरक्षा और उचित मुआवजा दिया जाए।
SC/ST एक्ट के तहत BJP Leader Assault मामले में कार्रवाई की मांग
यह घटना SC/ST समुदाय के खिलाफ हिंसा के मामलों की गंभीरता को दर्शाती है। भारत में अनुसूचित जाति एवं जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम, 1989 के तहत जातीय भेदभाव और हिंसा के मामलों में सख्त कानूनी प्रावधान हैं।
SC/ST एक्ट के तहत दोषी पाए जाने पर निम्नलिखित सजा का प्रावधान है:
- सामाजिक बहिष्कार, शारीरिक हिंसा, या धमकी देने पर 5 साल तक की सजा।
- जातिसूचक शब्दों का इस्तेमाल करने पर 1 साल तक की सजा और जुर्माना।
- जान से मारने की धमकी देने पर 7 साल तक की सजा।
पुलिस प्रशासन की निष्क्रियता पर सवाल
इस BJP Leader Assault मामले से यह सवाल उठता है कि क्या उत्तर प्रदेश में कानून व्यवस्था भाजपा नेताओं के प्रभाव में काम कर रही है? यदि सफाईकर्मियों की शिकायत तक दर्ज नहीं हो रही, तो इससे न्याय प्रणाली पर गंभीर संदेह उत्पन्न होता है।
हाल ही में कई घटनाओं में यह देखा गया है कि दलितों और पिछड़े वर्गों के खिलाफ अत्याचार के मामलों में पुलिस की निष्क्रियता बनी रहती है। अगर राजनीतिक दबाव के कारण अपराधियों को संरक्षण मिलता रहा, तो यह समाज में अराजकता और असमानता को और बढ़ावा देगा।
BJP Leader Assault: क्या मिलेगा न्याय?
बरेली की यह घटना केवल एक स्थानीय मुद्दा नहीं, बल्कि पूरे देश के लिए एक गंभीर सवाल है। क्या दलितों को न्याय पाना इतना मुश्किल हो गया है कि उन्हें अपनी आवाज उठाने के लिए सांसदों और सामाजिक कार्यकर्ताओं की मदद लेनी पड़े?
अगर उत्तर प्रदेश सरकार वास्तव में दलितों के हित में काम कर रही है, तो उसे BJP Leader Assault मामले में त्वरित कार्रवाई करनी होगी। यदि भाजपा सरकार अपने ही नेताओं को कानून से ऊपर मानकर चलती रही, तो यह संविधान और लोकतंत्र के लिए बेहद खतरनाक संकेत होगा।