कन्नौज, उत्तर प्रदेश – उत्तर प्रदेश के कन्नौज जिले में एक अनोखी घटना सामने आई है, जहां एक कैदी ने जेल से रिहा होते ही जेल गेट पर डांस किया, जिसे देखकर जेल स्टाफ ने तालियों से उसका उत्साहवर्धन किया। यह घटना सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रही है, जिसमें कैदी की खुशी और जेल स्टाफ की सकारात्मक प्रतिक्रिया को सराहा जा रहा है।
कैदी की पहचान और सजा
इस घटना के मुख्य पात्र शिवा नागर हैं, जो छिबरामऊ के कांशीराम कॉलोनी के निवासी हैं। लगभग नौ महीने पहले, उन्हें मादक पदार्थों की तस्करी के आरोप में गिरफ्तार किया गया था। अदालत ने उन्हें एक साल की सजा और एक हजार रुपये के जुर्माने की सजा सुनाई थी। शिवा अनाथ हैं, जिसके कारण उनकी पैरवी करने वाला या जुर्माना राशि जमा करने वाला कोई नहीं था, जिससे उनकी रिहाई में देरी हो रही थी।
जिला विधिक सेवा प्राधिकरण की पहल
शिवा की स्थिति को देखते हुए, जिला विधिक सेवा प्राधिकरण (DLSA) ने उनकी मदद के लिए कदम बढ़ाया। संविधान दिवस के अवसर पर, DLSA की सचिव और अपर जिला जज लवली जायसवाल ने एक स्वयंसेवी संस्था ‘कुछ कोशिशें’ के सहयोग से शिवा का जुर्माना राशि जमा कराया, जिससे उनकी रिहाई संभव हो सकी। इसी तरह, फतेहपुर जिले के बिंदकी निवासी अंशु गिहार, जो चोरी के आरोप में जेल में बंद थे, की भी रिहाई DLSA के प्रयासों से सुनिश्चित की गई।
"9 महीने से जेल में बन्द था" जुर्माने के 1 हजार रुपये अदा न कर पाने के कारण रिहा नहीं हो पाया था !!
यूपी के कन्नौज जिला जेल से रिहा होते ही बंदी ने जेल गेट पर किया डांस, जेल स्टाफ ने बजाई तालियां !!
एक छिबरामऊ का तो दूसरा फतेहपुर का निवासी है !!#viralvideo @Kannaujpolice1… pic.twitter.com/CFEgFGMV22
— MANOJ SHARMA LUCKNOW UP🇮🇳🇮🇳🇮🇳 (@ManojSh28986262) February 15, 2025
रिहाई के बाद का उत्सव
जेल से बाहर आते ही, शिवा ने अपनी खुशी का इजहार करते हुए जेल गेट पर ही डांस करना शुरू कर दिया। उनके इस उत्साहपूर्ण डांस को देखकर वहां मौजूद जेल स्टाफ और वकीलों ने तालियां बजाकर उनका हौसला बढ़ाया। शिवा ने मीडिया से बातचीत में बताया कि जेल में रहते हुए उन्होंने पढ़ना-लिखना सीखा और अब वे अपने जीवन में सकारात्मक बदलाव लाने के लिए प्रतिबद्ध हैं।
सोशल मीडिया पर प्रतिक्रिया
शिवा के डांस का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया है, जहां लोग उनकी खुशी और जेल स्टाफ की सकारात्मक प्रतिक्रिया की सराहना कर रहे हैं। एक यूजर ने टिप्पणी की, “रेमो डिसूजा भी फेल है इसके आगे,” जबकि दूसरे ने लिखा, “अजादी वाली खुशी।” इस घटना ने समाज में सकारात्मक संदेश फैलाया है कि कैसे कठिन परिस्थितियों में भी उम्मीद और खुशी बनाए रखी जा सकती है।
यह घटना न केवल शिवा की व्यक्तिगत खुशी का प्रतीक है, बल्कि यह भी दर्शाती है कि कैसे सामुदायिक प्रयासों और संस्थागत सहयोग से जरूरतमंदों की मदद की जा सकती है। जिला विधिक सेवा प्राधिकरण और स्वयंसेवी संस्थाओं के संयुक्त प्रयासों ने शिवा और अंशु जैसे कैदियों को नया जीवन देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। यह कहानी समाज में सकारात्मक बदलाव और सहयोग की महत्ता को उजागर करती है।