हाइलाइट्स :
- Allahabad High Court ने कहा कि लड़की के प्राइवेट पार्ट को पकड़ना और उसे पुलिया के नीचे खींचना, Rape Attempt नहीं माना जा सकता।
- कोर्ट के इस फैसले पर सोशल मीडिया पर जबरदस्त गुस्सा और विरोध जताया जा रहा है।
- कानूनी विशेषज्ञों ने इस फैसले पर सवाल उठाते हुए इसे न्याय की प्रक्रिया के खिलाफ बताया।
- महिला अधिकार संगठनों ने Allahabad High Court के इस फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अपील करने की बात कही।
- फैसले ने महिलाओं की सुरक्षा और भारत में लैंगिक न्याय प्रणाली को लेकर गंभीर बहस छेड़ दी है।
Allahabad High Court के फैसले से भड़का विवाद
हाल ही में Allahabad High Court ने एक मामले में फैसला सुनाते हुए कहा कि लड़की के प्राइवेट पार्ट को पकड़ना, उसके पायजामे का नारा तोड़ देना और उसे पुलिया के नीचे खींचने की कोशिश करना Rape Attempt की श्रेणी में नहीं आता। इस फैसले के बाद पूरे देश में विरोध और नाराजगी की लहर दौड़ गई है।
क्या कहा कोर्ट ने?
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि किसी लड़की को जबरन खींचना, उसके कपड़े फाड़ना या उसके निजी अंगों को छूना, यह सब Rape Attempt के दायरे में नहीं आता। कोर्ट ने अपने तर्क में कहा कि यौन हमले और Rape Attempt के बीच स्पष्ट अंतर होना चाहिए।
कानूनी विशेषज्ञों की राय
देशभर के कानूनी विशेषज्ञों ने Allahabad High Court के इस फैसले पर कड़ी प्रतिक्रिया दी है। वरिष्ठ अधिवक्ता अश्विनी उपाध्याय ने कहा,
“यदि कोई व्यक्ति किसी लड़की के कपड़े फाड़े, उसे जबरन खींचे और उसके निजी अंगों को छुए, तो इसे यौन हमला नहीं तो और क्या कहा जाएगा? इस तरह के फैसले न्याय व्यवस्था की गंभीर कमजोरी को दिखाते हैं।”
महिला संगठनों का विरोध
महिला संगठनों ने इस फैसले पर तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की है। महिला अधिकार कार्यकर्ता स्वाति मालीवाल ने ट्वीट करते हुए लिखा,
“क्या अब महिलाओं को तभी इंसाफ मिलेगा जब उनके साथ पूरी तरह बलात्कार हो जाएगा? यह फैसला महिलाओं की सुरक्षा को खतरे में डाल सकता है।”
सोशल मीडिया पर फूटा गुस्सा
Allahabad High Court के इस फैसले के बाद ट्विटर, फेसबुक और अन्य सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर जनता का गुस्सा फूट पड़ा। #JusticeForWomen और #RapeAttempt जैसे हैशटैग ट्रेंड करने लगे।
कुछ प्रतिक्रियाएं:
- “अगर ये Rape Attempt नहीं है, तो फिर क्या है?”
- “क्या अब कानून महिलाओं के खिलाफ हो गया है?”
- “यह फैसला अपराधियों को और बढ़ावा देगा।”
भारत में महिलाओं की सुरक्षा पर सवाल
इस फैसले ने एक बार फिर भारत में महिलाओं की सुरक्षा पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। NCRB की रिपोर्ट के अनुसार, 2023 में भारत में Rape Attempt के 35,000 से अधिक मामले दर्ज किए गए थे।
क्या यह फैसला बदलेगा?
अब सवाल यह उठता है कि क्या यह फैसला ऊपरी अदालत में चुनौती दी जाएगी? महिला संगठनों और पीड़िता के परिवार ने Supreme Court में अपील करने की तैयारी शुरू कर दी है।
Allahabad High Court का यह फैसला महिलाओं की सुरक्षा और न्याय व्यवस्था के लिए एक बड़ी चुनौती है। यह मामला सिर्फ एक लड़की का नहीं, बल्कि पूरे समाज की सोच और कानून व्यवस्था की दिशा को प्रभावित करेगा। यदि समय रहते इस फैसले को चुनौती नहीं दी गई, तो भविष्य में ऐसे मामलों में और भी ढील देखने को मिल सकती है।
FAQs:
- क्या लड़की के प्राइवेट पार्ट को छूना और कपड़े फाड़ना अपराध नहीं है?
हां, यह एक गंभीर अपराध है और भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 354 के तहत आता है। - क्या इस फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी जा सकती है?
हां, पीड़िता या कोई भी सामाजिक संगठन इस फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अपील कर सकता है। - क्या भारत में Rape Attempt के मामलों में सजा होती है?
हां, IPC की धारा 376 और 511 के तहत Rape Attempt के दोषी को कड़ी सजा दी जाती है। - क्या यह फैसला महिला सुरक्षा को खतरे में डाल सकता है?
कई विशेषज्ञों का मानना है कि ऐसे फैसले अपराधियों को बढ़ावा दे सकते हैं। - क्या सरकार इस फैसले के खिलाफ कोई कदम उठा सकती है?
सरकार इस फैसले के खिलाफ कानूनी सलाह लेकर उचित कार्रवाई कर सकती है।
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