हैदराबाद के अन्थरम गाँव, जिला सांगारेड्डी में हाल ही में घटित एक हृदयविदारक घटना ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया है। मोहम्मद इस्माइल, एक स्थानीय निवासी, खुले में पेशाब करने के कारण लगभग 40 लोगों की उग्र भीड़ का शिकार बने। इस्माइल की 15 वर्षीय बेटी, आलिया बेगम, अपने पिता को बचाने के प्रयास में आगे आई, लेकिन भीड़ ने उसकी भी बेरहमी से पिटाई की, जिसके परिणामस्वरूप इलाज के दौरान उसकी मृत्यु हो गई।
यह घटना न केवल मानवता के प्रति हमारी संवेदनशीलता पर सवाल उठाती है, बल्कि समाज में व्याप्त धार्मिक असहिष्णुता और नफरत की गहरी जड़ों को भी उजागर करती है। सरकार में उच्च पदों पर बैठे कुछ व्यक्तियों द्वारा मुसलमानों के प्रति फैलाए गए नफरत के कारण ऐसी घटनाएँ बढ़ रही हैं। कभी भड़काऊ भाषणों के माध्यम से, तो कभी ऐसी घटनाओं पर चुप्पी साधकर, यह नफरत समाज में गहराई तक पैठ बना चुकी है।
हमारे समाज को यह सोचना होगा कि क्या हम वास्तव में सभ्य कहलाने के लायक हैं? आजादी के 75 साल बाद भी, क्या हम यह दावा कर सकते हैं कि हमारे देश में “कानून का राज” है? ऐसी घटनाएँ हमारे समाज की नैतिकता और कानून व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़े करती हैं।
हम @TelanganaDGP से आग्रह करते हैं कि इस घटना की गहराई से जाँच हो और दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाए। साथ ही, समाज के सभी वर्गों को मिलकर ऐसी नफरत और हिंसा के खिलाफ आवाज उठानी होगी, ताकि भविष्य में इस तरह की घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो।
🪩 खुले में पेशाब करने के कारण कोई उग्र भीड़ किसी की हत्या कर दे. क्या ऐसा ही समाज हमने बनाया है!#TG:- हैदराबाद, अन्थरम गाँव, जिला साँगारेड्डी, का मोहम्मद इस्माइल खुले में पेशाब कर रहा था.
इस कारण लगभग 40 लोगों की उग्र भीड़ ने उसकी बेरहमी से पिटाई की।
उसकी बेटी आलिया बेगम,… pic.twitter.com/e32u1wW3QP
— IND Story's (@INDStoryS) February 19, 2025
इस घटना ने एक बार फिर से यह स्पष्ट कर दिया है कि हमारे समाज में धार्मिक असहिष्णुता और नफरत कितनी गहरी पैठ बना चुकी है। ऐसी घटनाएँ न केवल पीड़ित परिवारों के लिए विनाशकारी होती हैं, बल्कि समाज की सामूहिक चेतना पर भी गहरा आघात करती हैं।
हमें यह समझना होगा कि किसी भी धर्म, जाति या समुदाय के प्रति नफरत और असहिष्णुता समाज के ताने-बाने को कमजोर करती है। ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए आवश्यक है कि हम सभी मिलकर एक समावेशी और सहिष्णु समाज का निर्माण करें, जहाँ हर व्यक्ति को सम्मान और सुरक्षा मिले।
सरकार और कानून प्रवर्तन एजेंसियों की जिम्मेदारी है कि वे ऐसी घटनाओं पर सख्त कार्रवाई करें और दोषियों को न्याय के कटघरे में लाएँ। साथ ही, समाज के प्रत्येक सदस्य का कर्तव्य है कि वे अपने आसपास के लोगों में सद्भावना और भाईचारे की भावना को प्रोत्साहित करें।
इस घटना के माध्यम से हमें यह सीख लेनी चाहिए कि नफरत और असहिष्णुता का मार्ग विनाश की ओर ले जाता है। हमें प्रेम, सहिष्णुता और समझ के मार्ग पर चलकर एक बेहतर समाज का निर्माण करना होगा, जहाँ ऐसी दुखद घटनाएँ अतीत की बात बन जाएँ।
अंततः, यह घटना हमें यह सोचने पर मजबूर करती है कि हम किस दिशा में जा रहे हैं और हमें अपने समाज को किस दिशा में ले जाना है। आवश्यक है कि हम सभी मिलकर नफरत और असहिष्णुता के खिलाफ एकजुट हों और एक ऐसे समाज का निर्माण करें, जहाँ हर व्यक्ति सुरक्षित और सम्मानित महसूस करे।