हाइलाइट्स:
- Waterjet Propulsion System के पहले सी-ट्रायल में एलएंडटी और DRDO को मिली बड़ी सफलता
- स्वदेशी तकनीक से तैयार किया गया 651 किलोवॉट का वॉटरजेट सिस्टम
- फास्ट इंटरसेप्टर क्राफ्ट्स (FIC) के लिए हुआ सफल परीक्षण, नौसेना की ताकत बढ़ेगी
- DRDO के टेक्नोलॉजी डेवलपमेंट फंड (TDF) कार्यक्रम के तहत हुआ निर्माण
- आत्मनिर्भर भारत अभियान के तहत रक्षा क्षेत्र में बड़ी उपलब्धि मानी जा रही है
स्वदेशी तकनीक से बना Waterjet Propulsion System : समुद्री सुरक्षा की दिशा में क्रांतिकारी कदम
भारत के समुद्री सुरक्षा तंत्र को और अधिक सशक्त बनाने की दिशा में एक बड़ी उपलब्धि दर्ज की गई है। देश की प्रमुख इंजीनियरिंग कंपनी Larsen & Toubro (L&T) ने Defence Research and Development Organisation (DRDO) के साथ मिलकर Waterjet Propulsion System का सफलतापूर्वक प्राथमिक समुद्री परीक्षण (Preliminary Sea Trials) पूरा कर लिया है।
यह Waterjet Propulsion System पूरी तरह से स्वदेशी तकनीक पर आधारित है और DRDO के Technology Development Fund (TDF) के अंतर्गत डिज़ाइन और विकसित किया गया है। 651 किलोवॉट की यह प्रणाली खास तौर पर Fast Interceptor Crafts (FIC) के लिए बनाई गई है जो भारतीय नौसेना और तटरक्षक बलों के लिए बेहद अहम साबित होगी।
क्या होता है Waterjet Propulsion System?
Waterjet Propulsion System एक आधुनिक समुद्री प्रणोदन तकनीक है जिसमें जहाज को आगे बढ़ाने के लिए पानी को उच्च दबाव पर जहाज के पिछले हिस्से से बाहर निकाला जाता है। पारंपरिक प्रोपेलर सिस्टम की तुलना में यह तकनीक कई मायनों में अधिक प्रभावी, सुरक्षित और तेज़ है।
इस प्रणाली की खासियत यह है कि यह उथले पानी में भी जहाज को आसानी से संचालित कर सकती है, जिससे समुद्री सीमा पर त्वरित प्रतिक्रिया और पीछा करने की क्षमता में कई गुना इज़ाफा होता है।
एलएंडटी और DRDO की संयुक्त सफलता
इस Waterjet Propulsion System का निर्माण DRDO के TDF कार्यक्रम के अंतर्गत हुआ है, जोकि प्राइवेट सेक्टर की कंपनियों को रक्षा तकनीक के क्षेत्र में नवाचार और विकास के लिए प्रोत्साहित करता है। एलएंडटी ने अपने वडोदरा स्थित मरीन डिजाइन सेंटर में इस तकनीक को डिज़ाइन और विकसित किया।
DRDO के वरिष्ठ वैज्ञानिकों और नौसेना के प्रतिनिधियों की मौजूदगी में समुद्र में इसका परीक्षण किया गया। इस परीक्षण के दौरान इसकी गति, संतुलन, दिशा नियंत्रण और गतिशीलता जैसे सभी प्रमुख पहलुओं का सफलतापूर्वक मूल्यांकन किया गया।
भारतीय नौसेना के लिए क्या है इसका महत्व?
भारतीय नौसेना लगातार अपनी क्षमताओं को अत्याधुनिक तकनीक से लैस करने की दिशा में प्रयासरत है। ऐसे में Waterjet Propulsion System जैसे स्वदेशी प्रणालियाँ न केवल विदेशी निर्भरता को कम करती हैं, बल्कि लागत और रणनीतिक आत्मनिर्भरता दोनों को बढ़ावा देती हैं।
Fast Interceptor Crafts, जो समुद्री सीमा की निगरानी, तस्करी रोकथाम और आतंकवाद विरोधी अभियानों में काम आती हैं, उन्हें अब एक बेहद शक्तिशाली, भरोसेमंद और स्वदेशी प्रणोदन प्रणाली से सुसज्जित किया जा सकेगा।
आत्मनिर्भर भारत की दिशा में निर्णायक कदम
Waterjet Propulsion System की सफलता को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ‘आत्मनिर्भर भारत’ विजन की दिशा में एक ठोस कदम के रूप में देखा जा रहा है। DRDO के वरिष्ठ अधिकारियों के अनुसार, यह सिस्टम अब बड़े स्तर पर उत्पादन के लिए तैयार किया जा सकता है और आने वाले समय में अन्य समुद्री प्लेटफॉर्म्स पर भी इसका इस्तेमाल किया जाएगा।
इस प्रणाली के निर्माण में उपयोग की गई सभी सामग्रियाँ और तकनीकें पूर्णतः स्वदेशी हैं, जिससे भारत की रक्षा उत्पादन क्षमता को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान मिलने की संभावना बढ़ी है।
रक्षा क्षेत्र में निजी कंपनियों की भागीदारी बढ़ी
इस प्रोजेक्ट के ज़रिए यह स्पष्ट हुआ है कि भारत की निजी क्षेत्र की कंपनियाँ अब न केवल रक्षा उत्पादन में सक्रिय रूप से भाग ले रही हैं, बल्कि अत्याधुनिक तकनीक के विकास में भी महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा रही हैं। एलएंडटी का यह Waterjet Propulsion System इस बात का प्रमाण है कि प्राइवेट इंडस्ट्री की तकनीकी विशेषज्ञता अब देश की सामरिक शक्ति में सीधे योगदान कर रही है।
परीक्षण के दौरान सामने आए मुख्य बिंदु
परीक्षण के दौरान इस प्रणाली ने कई तकनीकी क्षमताओं को सफलतापूर्वक प्रदर्शित किया:
- अधिकतम थ्रस्ट क्षमता और कम ईंधन खपत
- तेज़ गति और दिशा में बदलाव की अद्भुत क्षमता
- उथले जल में भी संचालन की प्रभावशीलता
- पर्यावरणीय अनुकूलता और कम शोर प्रदूषण
- न्यूनतम रख-रखाव लागत और दीर्घकालिक टिकाऊपन
भविष्य की योजनाएँ और उत्पादन
अब जबकि यह Waterjet Propulsion System सफलतापूर्वक परीक्षण पास कर चुका है, एलएंडटी और DRDO मिलकर इसके बड़े पैमाने पर उत्पादन की योजना बना रहे हैं। इसके तहत आने वाले वर्षों में सैकड़ों यूनिट्स का निर्माण कर उन्हें नौसेना, तटरक्षक और अन्य समुद्री सुरक्षा एजेंसियों को प्रदान किया जाएगा।
DRDO इस प्रणाली के निर्यात की संभावनाओं पर भी विचार कर रहा है, जिससे भारत वैश्विक रक्षा तकनीक बाजार में एक नया मुकाम हासिल कर सके।
समुद्री शक्ति की दिशा में एक ऐतिहासिक कदम
Waterjet Propulsion System का यह परीक्षण भारत के लिए सिर्फ एक तकनीकी सफलता नहीं है, बल्कि यह उस नई दिशा का संकेत है जिसमें देश रक्षा तकनीक में आत्मनिर्भर बनने की ओर बढ़ रहा है। एलएंडटी और DRDO की यह साझेदारी आने वाले समय में और भी बड़ी रक्षा परियोजनाओं को जन्म दे सकती है।
भारत की समुद्री सीमाओं की सुरक्षा, त्वरित प्रतिक्रिया और संचालन क्षमता को अब इस तकनीक से नई गति मिलेगी। यह निश्चित रूप से एक ऐसा कदम है जिस पर पूरे देश को गर्व है।