हाइलाइट्स:
- Waqf Board पूर्व सांसद ओबैदुल्लाह आज़मी का विवादित बयान वायरल।
- वक्फ बोर्ड में गैर-मुसलमानों की सदस्यता को लेकर उठाए सवाल।
- अंग्रेजों की नीति और मौजूदा सरकार की तुलना की।
- बयान के बाद सियासी हलकों में मचा बवाल।
- सोशल मीडिया पर पक्ष-विपक्ष में प्रतिक्रियाओं की बाढ़।
पूर्व सांसद ओबैदुल्लाह आज़मी ने हाल ही में एक विवादित बयान दिया, जिसमें उन्होंने Waqf Board में गैर-मुसलमानों की सदस्यता को लेकर कड़ा ऐतराज जताया। उन्होंने हिंदुस्तान में मौजूद विभिन्न धार्मिक ट्रस्टों का उदाहरण देते हुए कहा कि “Temple Trusts”, गुरुद्वारे, और बौद्ध ट्रस्टों में किसी अन्य धर्म के लोगों को शामिल नहीं किया जाता, तो फिर Waqf Board में यह नीति क्यों अपनाई जा रही है? उनका यह बयान अब सियासी बहस का केंद्र बन चुका है।
ओबैदुल्लाह आज़मी का बयान और उसकी व्याख्या
अपने भाषण में पूर्व सांसद ने कहा, “कोई ट्रस्ट हो हिन्दुस्तान में, हमारे सिख भाइयों के कई बड़े गुरुद्वारे और ट्रस्ट हैं, बौद्ध भाइयों के बहुत बड़े ट्रस्ट हैं, हिंदुओं के मंदिरों के बहुत बड़े ट्रस्ट हैं। किसी भी ट्रस्ट में गैर-विरादरी के सदस्य के तौर पर एंट्री नहीं होती, तो फिर Waqf Board में गैर-मुसलमानों की नियुक्ति का फैसला क्यों लिया गया?”
इसके अलावा, उन्होंने “Temple Trusts” का उदाहरण देते हुए कहा कि हिंदू मंदिरों के ट्रस्टों में मुस्लिमों को जगह नहीं मिलती, फिर यह नियम Waqf Board पर लागू क्यों नहीं किया जाता? उन्होंने इसे ‘तानाशाही’ करार देते हुए सरकार की आलोचना की और इसे ‘अंग्रेजों की नीति’ जैसा बताया।
जो तबाही सफेद अग्रेजों ने मचाई थी वहीं तबाही आज उनकी काली औलादें मचा रही है: वक्फ बिल के खिलाफ़ बोले पूर्व सांसद ओबैदुल्लाह आज़मी #WaqfAmendmentBill #India #Modi
पूरी वीडियो यहां देखें 👇 https://t.co/9m0WQnJSOu pic.twitter.com/10cow62eyN
— Journo Mirror (@JournoMirror) March 20, 2025
सियासी हलकों में बवाल
उनके इस बयान के बाद राजनीतिक गलियारों में हंगामा मच गया है। बीजेपी नेताओं ने इस बयान की आलोचना करते हुए कहा कि “भारत एक लोकतांत्रिक देश है और हर संस्थान को समान अधिकार मिलने चाहिए।” वहीं, विपक्ष ने भी इस पर अपनी प्रतिक्रिया दी और इसे सांप्रदायिक ध्रुवीकरण की राजनीति करार दिया।
सोशल मीडिया पर प्रतिक्रियाएं
सोशल मीडिया पर इस बयान को लेकर बहस छिड़ गई है। कई लोगों ने आज़मी के बयान का समर्थन किया, जबकि कई लोगों ने इसे “भड़काऊ” करार दिया। ट्विटर और फेसबुक पर #TempleTrusts, #WaqfBoardControversy जैसे हैशटैग ट्रेंड कर रहे हैं।
क्या है Temple Trusts और Waqf Board विवाद?
Temple Trusts का प्रबंधन
भारत में कई धार्मिक ट्रस्ट जैसे कि “Shri Ram Janmbhoomi Teerth Kshetra”, “Kashi Vishwanath Temple Trust” आदि मौजूद हैं, जिनका संचालन आमतौर पर हिंदू समुदाय के लोगों द्वारा किया जाता है।
Waqf Board का प्रबंधन
वहीं, Waqf Board मुस्लिम समुदाय की संपत्तियों का प्रबंधन करता है। सरकार द्वारा नियुक्त गैर-मुस्लिम सदस्यों को इसमें शामिल करने की योजना पर विवाद खड़ा हो गया है।
सरकार की प्रतिक्रिया
सरकार ने इस मुद्दे पर आधिकारिक बयान जारी करते हुए कहा कि “संवैधानिक नियमों के तहत किसी भी धार्मिक ट्रस्ट या बोर्ड में सभी समुदायों को शामिल करने की प्रक्रिया पर विचार किया जा सकता है।” हालांकि, विपक्षी दल इसे ‘धार्मिक हस्तक्षेप’ करार दे रहे हैं।
पूर्व सांसद ओबैदुल्लाह आज़मी का यह बयान आने वाले दिनों में राजनीतिक हलचल बढ़ा सकता है। यह मुद्दा सिर्फ Waqf Board या Temple Trusts तक सीमित नहीं है, बल्कि भारत की धर्मनिरपेक्षता और लोकतांत्रिक व्यवस्था से भी जुड़ा हुआ है। क्या सरकार इस मामले में कोई ठोस कदम उठाएगी या यह सिर्फ एक और राजनीतिक बहस बनकर रह जाएगा? यह देखना दिलचस्प होगा।
FAQs (अक्सर पूछे जाने वाले सवाल)
1. Temple Trusts का संचालन कौन करता है?
Temple Trusts आमतौर पर हिंदू धर्म के प्रमुख संतों और धार्मिक संगठनों द्वारा संचालित किए जाते हैं।
2. Waqf Board में गैर-मुसलमानों की नियुक्ति पर विवाद क्यों है?
पूर्व सांसद ओबैदुल्लाह आज़मी के अनुसार, अन्य धार्मिक ट्रस्टों में गैर-समुदाय के लोग नहीं होते, तो Waqf Board में यह नियम क्यों अपनाया जा रहा है?
3. सरकार का इस मुद्दे पर क्या कहना है?
सरकार का कहना है कि संवैधानिक नियमों के अनुसार सभी संस्थानों में समान अधिकार सुनिश्चित किए जाने चाहिए।
4. सोशल मीडिया पर इस विवाद को लेकर क्या प्रतिक्रियाएं हैं?
सोशल मीडिया पर #TempleTrusts और #WaqfBoardControversy जैसे हैशटैग ट्रेंड कर रहे हैं और बहस जारी है।
5. क्या इस विवाद से राजनीतिक माहौल पर असर पड़ेगा?
यह विवाद निश्चित रूप से राजनीतिक हलचल बढ़ा सकता है, खासकर आगामी चुनावों के मद्देनजर।
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