Temple Construction

“बाबरी की तरह अब काशी-मथुरा में भी Temple Construction होगा, कोर्ट का सहारा नहीं लेंगे” – बीजेपी नेता संगीत सोम का बड़ा बयान

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हाइलाइट्स:

  • बीजेपी नेता संगीत सोम का बड़ा बयान: “काशी-मथुरा में Temple Construction का काम करेंगे।”
  • बाबरी मस्जिद ध्वस्त करने के उदाहरण का दिया हवाला।
  • कोर्ट की बजाय सीधे निर्माण कार्य शुरू करने की बात कही।
  • बयान से देशभर में नई बहस छिड़ी, राजनीतिक माहौल गरमाया।
  • विपक्ष ने बयान को संविधान और कानून के खिलाफ बताया।

नई दिल्ली:बीजेपी के वरिष्ठ नेता और पूर्व विधायक संगीत सोम ने एक विवादित बयान देकर देशभर में एक नई बहस छेड़ दी है। उन्होंने कहा कि जिस तरह बाबरी मस्जिद को ध्वस्त कर Temple Construction किया गया, उसी तरह अब काशी और मथुरा में भी Temple Construction का कार्य किया जाएगा। उनका कहना है कि अब कोर्ट का सहारा नहीं लिया जाएगा, बल्कि सीधे Temple Construction शुरू किया जाएगा।

क्या कहा संगीत सोम ने?

संगीत सोम ने अपने बयान में कहा,

“जिस तरह हमने अयोध्या में भव्य Temple Construction किया, उसी तरह अब काशी और मथुरा में भी मंदिर बनाएंगे। अब कोर्ट के चक्कर नहीं लगाएंगे, बल्कि सीधे निर्माण का काम शुरू करेंगे। यह आस्था का विषय है और इसमें कोई समझौता नहीं किया जाएगा।”

उनके इस बयान के बाद से राजनीतिक हलकों में भूचाल आ गया है।

क्या काशी और मथुरा में भी विवादित स्थल हैं?

काशी (वाराणसी) में स्थित ज्ञानवापी मस्जिद और मथुरा में स्थित शाही ईदगाह मस्जिद को लेकर हिंदू संगठनों का दावा रहा है कि ये दोनों स्थल प्राचीन मंदिरों को तोड़कर बनाए गए थे। इस मुद्दे पर कई वर्षों से विवाद और कानूनी लड़ाई चल रही है। हाल ही में वाराणसी की अदालत ने ज्ञानवापी मस्जिद के सर्वेक्षण का आदेश दिया था, जिससे मामला और गरमा गया था।

राजनीतिक प्रतिक्रिया

बीजेपी का रुख

बीजेपी ने अभी तक संगीत सोम के बयान पर कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं दी है, लेकिन पार्टी के कई नेता इस मुद्दे पर Hindu Organizations के समर्थन में बयान देते रहे हैं।

विपक्ष का जवाब

विपक्षी दलों ने संगीत सोम के बयान की कड़ी निंदा की है। कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने कहा,

“भारत एक धर्मनिरपेक्ष देश है, जहां संविधान सर्वोपरि है। कोर्ट के आदेश को दरकिनार कर जबरन Temple Construction करना कानून का अपमान होगा।”

वहीं, समाजवादी पार्टी (सपा) प्रमुख अखिलेश यादव ने इसे ध्रुवीकरण की राजनीति करार दिया।

क्या कानूनी रूप से संभव है?

संविधान विशेषज्ञों का मानना है कि किसी भी धार्मिक स्थल को बिना कोर्ट के आदेश के ध्वस्त करना असंवैधानिक है। 1991 के धार्मिक स्थल संरक्षण अधिनियम के अनुसार, 15 अगस्त 1947 को मौजूद किसी भी धार्मिक स्थल की स्थिति को बदला नहीं जा सकता। हालांकि, अयोध्या विवाद इस अधिनियम से अलग था क्योंकि यह मामला पहले से अदालत में लंबित था।

Hindu Organizations की प्रतिक्रिया

Hindu Organizations ने संगीत सोम के बयान का समर्थन किया है। विश्व हिंदू परिषद (VHP) के प्रवक्ता ने कहा,

“काशी और मथुरा हमारे लिए सिर्फ धार्मिक स्थल नहीं, बल्कि आस्था के प्रतीक हैं। हमें विश्वास है कि जल्द ही इन स्थानों पर भी Temple Construction का पुनर्निर्माण होगा।”

Muslim Organizations का विरोध

ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (AIMPLB) और अन्य Muslim Organizations ने इस बयान को भड़काऊ और असंवैधानिक बताया है। AIMPLB के महासचिव ने कहा,

“यह बयान न सिर्फ देश के कानून का उल्लंघन करता है, बल्कि सामाजिक सौहार्द को बिगाड़ने का प्रयास है। सरकार को इस पर संज्ञान लेना चाहिए।”

संगीत सोम का यह बयान आने वाले चुनावों को देखते हुए बेहद संवेदनशील हो सकता है। इस मुद्दे पर Hindu और Muslim Communities की भावनाएं जुड़ी हुई हैं और इससे देश की राजनीति पर गहरा प्रभाव पड़ सकता है। अब देखना यह होगा कि सरकार और कोर्ट इस पर क्या निर्णय लेते हैं

FAQs (अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न)

1. क्या काशी और मथुरा में भी Temple Construction की तरह विवाद चल रहा है?
हाँ, ज्ञानवापी मस्जिद (काशी) और शाही ईदगाह मस्जिद (मथुरा) को लेकर विवाद जारी है, और मामले कोर्ट में लंबित हैं।

2. क्या सरकार ने इस पर कोई आधिकारिक बयान दिया है?
नहीं, अभी तक केंद्र सरकार या यूपी सरकार की ओर से इस मुद्दे पर कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है।

3. क्या 1991 का धार्मिक स्थल संरक्षण अधिनियम इस मामले पर लागू होता है?
हाँ, यह कानून कहता है कि 15 अगस्त 1947 के बाद किसी धार्मिक स्थल की स्थिति बदली नहीं जा सकती।

4. क्या Hindu Organizations ने संगीत सोम के बयान का समर्थन किया है?
हाँ, कई Hindu Organizations ने इस बयान को सही बताया है और Temple Construction की माँग की है।

5. क्या विपक्ष इस मुद्दे का विरोध कर रहा है?
हाँ, कांग्रेस, सपा और अन्य विपक्षी दलों ने इसे संविधान विरोधी और सांप्रदायिक राजनीति करार दिया है।

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