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इज़रायली सैनिकों ने दो फ़िलिस्तीनी बच्चों को मारी गोली, वेस्ट बैंक में तनाव चरम पर

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इज़रायल और फ़िलिस्तीन के बीच जारी संघर्ष में एक और दर्दनाक घटना सामने आई है। बुधवार को इज़रायली सेना द्वारा वेस्ट बैंक में दो मासूम फ़िलिस्तीनी बच्चों की गोली मारकर हत्या कर दी गई। इन बच्चों की पहचान 12 वर्षीय अयमान अल-हेमूनी (Hebron) और 13 वर्षीय रीमास अमौरी (Jenin) के रूप में हुई है। यह घटना तब हुई जब इज़रायली सैनिक बख़्तरबंद गाड़ियों से गोलीबारी कर रहे थे।

घटना का विवरण मौके पर मौजूद चश्मदीदों के अनुसार, अयमान अल-हेमूनी को हब्रोन के जबल जुहार इलाके में मारा गया, जबकि रीमास अमौरी को जेनिन रिफ़्यूजी कैंप में उसके घर के सामने गोली मारी गई। इन दोनों बच्चों को पीठ पर गोली मारी गई, जिससे यह स्पष्ट होता है कि वे किसी प्रकार की हिंसा में शामिल नहीं थे। इज़रायली सैनिकों की इस क्रूर कार्रवाई की अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कड़ी निंदा की जा रही है।

बढ़ता तनाव और बच्चों की मौत यह पहली बार नहीं है जब फ़िलिस्तीनी बच्चों को इज़रायली सेना द्वारा निशाना बनाया गया है। 2025 की शुरुआत से अब तक इज़रायली सेना द्वारा 16 फ़िलिस्तीनी बच्चों की हत्या की जा चुकी है। इनमें से आठ बच्चों की मौत ड्रोन हमलों में हुई, जबकि सात को ज़िंदा गोलियों से मारा गया।

2024 में, 93 फ़िलिस्तीनी बच्चों की हत्या की गई थी, जिनमें से 71 को ज़िंदा गोली मारी गई थी। ये आंकड़े दर्शाते हैं कि वेस्ट बैंक में बच्चों की सुरक्षा गंभीर खतरे में है।

इज़रायली कार्रवाई और बढ़ता सैन्य अभियान इस घटना के बाद, इज़रायली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने वेस्ट बैंक में सैन्य कार्रवाई और तेज़ करने के निर्देश दिए हैं। इज़रायल का दावा है कि यह कदम फ़िलिस्तीनी आतंकवादी संगठनों को रोकने के लिए उठाया जा रहा है। हाल ही में, तेल अवीव के पास स्थित बट याम में बस विस्फोटों की घटनाएं सामने आई थीं, जिन्हें इज़रायली सरकार ने फ़िलिस्तीनी आतंकवादियों द्वारा अंजाम दिया गया हमला बताया।

हालांकि, इन बस विस्फोटों में कोई हताहत नहीं हुआ, लेकिन इन घटनाओं के बाद वेस्ट बैंक में सैन्य अभियान तेज़ कर दिया गया है। इसके परिणामस्वरूप, अब तक हज़ारों फ़िलिस्तीनी नागरिक अपने घर छोड़कर जाने को मजबूर हो चुके हैं।

मानवाधिकार संगठनों की प्रतिक्रिया इस घटना के बाद, विभिन्न मानवाधिकार संगठनों ने इज़रायली सेना की आलोचना की है। बच्चों की हत्या पर चिंता व्यक्त करते हुए, संयुक्त राष्ट्र और कई अंतरराष्ट्रीय संगठनों ने इज़रायल से संयम बरतने की अपील की है।

डेफेंस फॉर चिल्ड्रेन इंटरनेशनल – फ़िलिस्तीन (DCI-P) ने कहा कि इज़रायली सैनिकों द्वारा फ़िलिस्तीनी बच्चों को लगातार निशाना बनाया जा रहा है और उन्हें न्याय नहीं मिल रहा है।

संयुक्त राष्ट्र के प्रवक्ता ने इस घटना पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि “बच्चों को युद्ध और हिंसा से बचाने के लिए सभी पक्षों को तत्काल कदम उठाने की आवश्यकता है। यह अंतरराष्ट्रीय कानूनों का उल्लंघन है और इसका कड़ा विरोध किया जाना चाहिए।”

स्थानीय लोगों की प्रतिक्रिया फ़िलिस्तीनी समुदाय में इस घटना को लेकर गहरा आक्रोश है। जेनिन और हब्रोन में इस हत्या के खिलाफ व्यापक विरोध प्रदर्शन हुए हैं। प्रदर्शनकारियों का कहना है कि इज़रायली सेना निर्दोष नागरिकों और बच्चों को निशाना बना रही है और अंतरराष्ट्रीय समुदाय को इस पर हस्तक्षेप करना चाहिए।

क्या कहती है इज़रायली सेना? इज़रायली सेना का कहना है कि वह केवल आतंकवादियों को निशाना बना रही है, लेकिन वास्तविकता इससे अलग नज़र आती है। बार-बार फ़िलिस्तीनी बच्चों की हत्या यह दर्शाती है कि सेना द्वारा अंधाधुंध बल प्रयोग किया जा रहा है।

इज़रायल का यह भी कहना है कि फ़िलिस्तीनी उग्रवादी गुट हमास और इस्लामिक जिहाद नागरिक इलाकों से हमले करते हैं, जिसके चलते सैन्य कार्रवाई करनी पड़ती है। हालांकि, बच्चों को गोली मारना किसी भी सूरत में जायज़ नहीं ठहराया जा सकता।

अंतरराष्ट्रीय दबाव और समाधान की आवश्यकता इस घटना के बाद, अंतरराष्ट्रीय समुदाय पर दबाव बढ़ रहा है कि वह इज़रायल पर बच्चों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए दबाव बनाए।

विशेषज्ञों का मानना है कि जब तक इज़रायल और फ़िलिस्तीन के बीच कोई स्थायी शांति समझौता नहीं होता, तब तक इस प्रकार की हिंसक घटनाएं जारी रहेंगी। संयुक्त राष्ट्र और अन्य शक्तिशाली देशों को इस समस्या का स्थायी समाधान निकालने के लिए प्रयास करने चाहिए।

वेस्ट बैंक में फ़िलिस्तीनी बच्चों की हत्याएं अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकारों का घोर उल्लंघन हैं। अयमान और रीमास की मौत ने दुनिया भर में गहरा आक्रोश पैदा किया है। इस स्थिति में, अंतरराष्ट्रीय समुदाय को तत्काल हस्तक्षेप करने की आवश्यकता है ताकि निर्दोष बच्चों की जानें बचाई जा सकें।

इज़रायल-फ़िलिस्तीन संघर्ष में शांति स्थापित करने के लिए कूटनीतिक प्रयास और निष्पक्ष मध्यस्थता बेहद आवश्यक है। इस संघर्ष का स्थायी समाधान तभी संभव होगा जब सभी पक्ष बातचीत की मेज़ पर आएं और शांति का मार्ग अपनाएं।

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