नई दिल्ली: मेटा, जो कि व्हाट्सऐप की मूल कंपनी है, को भारत में अपने कुछ फीचर्स बंद करने की आवश्यकता पड़ सकती है। यह संभावना भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग (CCI) के एक हालिया निर्णय के चलते उत्पन्न हुई है। आयोग ने व्हाट्सऐप को मेटा के साथ उपयोगकर्ता डेटा साझा करने पर रोक लगा दी है, जिससे कंपनी की व्यक्तिगत विज्ञापन सेवाओं पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ने की संभावना है।
CCI का फैसला और उसकी पृष्ठभूमि
नवंबर में दिए गए अपने आदेश में CCI ने पाया कि मेटा ने बाजार में अपने दबदबे का दुरुपयोग किया और व्हाट्सऐप उपयोगकर्ताओं को नई प्राइवेसी पॉलिसी स्वीकार करने के लिए मजबूर किया। इस पॉलिसी के तहत उपयोगकर्ता डेटा के उपयोग की सीमा बढ़ाई गई, जिससे मेटा को अपने प्रतिद्वंद्वियों पर अनुचित बढ़त मिली।
आयोग ने मेटा पर $24.5 मिलियन का जुर्माना लगाया और कंपनी के डेटा शेयरिंग प्रथाओं पर पांच साल की रोक लगा दी। भारत, जहां व्हाट्सऐप के 500 मिलियन से अधिक उपयोगकर्ता हैं, मेटा का सबसे बड़ा बाजार है।
मेटा की प्रतिक्रिया
मेटा इस निर्णय के खिलाफ सक्रिय रूप से अपील कर रही है। एक हालिया कोर्ट फाइलिंग में कंपनी ने चिंता व्यक्त की कि व्हाट्सऐप और मेटा के बीच डेटा शेयरिंग पर रोक से व्यक्तिगत विज्ञापन सेवाओं की पेशकश बाधित होगी। मेटा का तर्क है कि इस निर्णय से भारतीय व्यवसायों को भी नुकसान होगा, जो फेसबुक और इंस्टाग्राम पर उपयोगकर्ताओं को लक्षित करने के लिए व्हाट्सऐप का उपयोग करते हैं।
कंपनी ने कहा कि डेटा शेयरिंग पॉलिसी मेटा के डेटा संग्रह को नहीं बढ़ाती, बल्कि व्यापारिक फीचर्स के कुशल एकीकरण की अनुमति देती है। हालांकि, CCI ने इस तर्क को खारिज कर दिया। आयोग का कहना है कि व्हाट्सऐप की पॉलिसी उपयोगकर्ताओं को ऐसे शर्तों को स्वीकारने के लिए मजबूर करती है, जिन्हें वे पूरी तरह से समझ नहीं पाते और उन्हें कोई विकल्प भी नहीं दिया गया। CCI ने जोर देकर कहा कि व्हाट्सऐप को उपयोगकर्ताओं को यह चुनने का अधिकार देना चाहिए कि उनका डेटा मेटा के साथ साझा किया जाए या नहीं।
आगे की राह
मेटा ने CCI पर यह आरोप लगाया कि उसने इस निर्णय के प्रभाव का आकलन करने के लिए तकनीकी समझ का अभाव दिखाया और व्हाट्सऐप व मेटा से परामर्श नहीं किया। कंपनी ने इस फैसले को चुनौती दी है और इसकी अपील पर सुनवाई इस गुरुवार को भारतीय अपील न्यायाधिकरण द्वारा की जाएगी।
इस बीच, मेटा को अपने प्लेटफॉर्म्स पर कुछ फीचर्स को अस्थायी रूप से रोकने की आवश्यकता पड़ सकती है, जिससे उपयोगकर्ताओं और व्यवसायों पर प्रभाव पड़ने की संभावना है। इस मामले का अंतिम निर्णय आने में महीनों लग सकते हैं, लेकिन इसका असर भारत में मेटा के कामकाज पर गहराई से पड़ सकता है।