कानपुर, उत्तर प्रदेश। एक और मामला "ज्योति मौर्य केस" की तर्ज पर सामने आया है, जहां पति ने पत्नी के सपनों को साकार करने के लिए अपना करियर और आरामदायक जिंदगी त्याग दी, लेकिन बदले में उसे अकेलापन और धोखा मिला। मामला कानपुर जिले का है, जहां बजरंग नामक व्यक्ति ने अपनी पत्नी लक्षिता के लिए अपनी कनाडा की उच्चस्तरीय नौकरी तक छोड़ दी और उसके सरकारी टीचर बनने के सपने को पूरा करने में जी-जान लगा दी।
पति ने दिए सपनों को पंख
2023 में विवाह के बाद बजरंग ने अपनी पत्नी लक्षिता के लिए हर संभव कोशिश की। उन्होंने लक्षिता की पढ़ाई को आगे बढ़ाने के लिए महंगी कोचिंग और ट्रेनिंग का खर्चा उठाया। लक्षिता ने यूपी-टीईटी (UP-TET) परीक्षा पास की और दिल्ली के एक सरकारी स्कूल में शिक्षिका के पद पर नियुक्त हो गईं।
सपनों का अंत, रिश्ते का अंत
बजरंग की उम्मीदों पर तब पानी फिर गया, जब लक्षिता ने साथ रहने से इनकार कर दिया। लक्षिता अब अपनी नई जिंदगी जीना चाहती हैं और उन्होंने बजरंग से अलग होने का फैसला कर लिया है। यह खबर बजरंग के लिए किसी बड़े झटके से कम नहीं थी।
FIR दर्ज, न्याय की मांग
बजरंग ने अपनी पत्नी के इस कदम को धोखा बताया है और कानूनी कार्रवाई के लिए पुलिस में तहरीर दी है। उनके मुताबिक, उन्होंने पत्नी की पढ़ाई और करियर बनाने के लिए अपना सब कुछ दांव पर लगा दिया, लेकिन लक्षिता अब उन्हें अपने जीवन में नहीं चाहतीं। पुलिस ने बजरंग की शिकायत के आधार पर मामला दर्ज कर लिया है और जांच जारी है।
समाज के लिए सवाल
यह मामला समाज में शादी और रिश्तों को लेकर कई सवाल खड़े करता है। क्या यह सही है कि जीवनसाथी के त्याग और सहयोग का यह अंजाम हो? क्या रिश्तों की नींव इतनी कमजोर हो गई है कि करियर की ऊंचाइयों पर पहुंचने के बाद साथी को छोड़ दिया जाए?
ज्योति मौर्य केस से तुलना
यह घटना हाल ही में सुर्खियों में आए ज्योति मौर्य केस की याद दिलाती है, जिसमें पति के सपोर्ट के बावजूद पत्नी ने साथ छोड़ दिया था। दोनों मामलों में पति ने पत्नी के सपनों को पूरा करने के लिए बड़ा बलिदान दिया, लेकिन परिणामस्वरूप रिश्ते टूट गए।
यह मामला न केवल कानूनी बल्कि सामाजिक दृष्टिकोण से भी गंभीर है। आने वाले दिनों में इस मामले में क्या नया मोड़ आएगा, यह देखने वाली बात होगी।