नांदेड़ जिले के बिलोली तालुका के मिन्की गांव में एक ऐसी घटना घटी जिसने हर किसी को झकझोर कर रख दिया। यहां 16 वर्षीय ओमकार लक्ष्मण पैलवार, जो लातूर जिले के उदगीर के एक स्कूल में कक्षा 10 का छात्र था, ने आर्थिक तंगी और शैक्षणिक सामग्री की कमी के चलते आत्महत्या कर ली। इस घटना से टूटे पिता राजेंद्र पैलवार, जो एक छोटे किसान हैं, ने भी अपने बेटे की मौत को देखकर उसी पेड़ से फांसी लगाकर अपनी जान दे दी।
घटना का विवरण
संक्रांति के मौके पर ओमकार अपने गांव मिन्की आया था। इस दौरान उसने अपने पिता से त्योहार के लिए नए कपड़े और पढ़ाई के लिए जरूरी किताबें व नोटबुक खरीदने की बात कही। लेकिन राजेंद्र ने अपनी आर्थिक स्थिति का हवाला देते हुए कहा कि वे फिलहाल उसकी जरूरतें पूरी नहीं कर सकते। इस जवाब ने शायद ओमकार के दिल में गहरी चोट पहुंचाई।
अगली सुबह ओमकार खेत पर गया और वहां एक पेड़ से फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली। जब ओमकार घर नहीं लौटा तो उसके परिवार ने उसकी तलाश शुरू की। पिता जब खेत पहुंचे तो उन्होंने अपने बेटे को पेड़ से लटकता हुआ देखा। इस दृश्य से व्यथित होकर उन्होंने बेटे का शव नीचे उतारा और खुद उसी रस्सी से फांसी लगाकर अपनी जीवन लीला समाप्त कर ली।
समाज और प्रशासन पर सवाल
यह हृदय विदारक घटना न केवल परिवार के लिए दुखदायी है, बल्कि समाज और प्रशासन के लिए भी गंभीर सवाल खड़े करती है। शैक्षणिक सामग्री की कमी और त्योहार के लिए नए कपड़े जैसी छोटी-छोटी जरूरतें पूरी न कर पाने की स्थिति में ओमकार जैसे होनहार बच्चे का इस तरह जीवन खत्म करना बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है।
राज्य और केंद्र सरकारें ग्रामीण क्षेत्रों में शिक्षा और किसानों के कल्याण के लिए कई योजनाएं चलाने का दावा करती हैं, लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और ही बयां करती है। इस घटना ने यह दिखाया कि कैसे प्रशासनिक उदासीनता और समाज में व्याप्त असमानताएं ऐसी त्रासदियों को जन्म देती हैं।
ग्रामीणों में आक्रोश
घटना के बाद से गांव में गहरा शोक और आक्रोश है। ग्रामीणों का कहना है कि प्रशासन को किसानों और छात्रों के लिए वास्तविक राहत प्रदान करने की जरूरत है।
समाज की जिम्मेदारी
यह घटना समाज के लिए भी चेतावनी है कि आर्थिक और मानसिक स्वास्थ्य से जुड़ी समस्याओं को हल्के में नहीं लिया जा सकता। शैक्षिक सामग्री की अनुपलब्धता और पारिवारिक तंगी जैसे मुद्दों को सुलझाने में सामूहिक प्रयासों की आवश्यकता है।
ओमकार और उसके पिता की मौत ने पूरे राज्य को झकझोर दिया है। यह समय है कि प्रशासन और समाज मिलकर ऐसी समस्याओं के समाधान के लिए ठोस कदम उठाएं ताकि भविष्य में इस तरह की त्रासदियों से बचा जा सके। इस दर्दनाक घटना ने यह स्पष्ट कर दिया है कि छोटे-छोटे सपनों और जरूरतों को अनदेखा करना कभी-कभी बड़े संकटों को जन्म दे सकता है।