प्रयागराज: महाकुंभ के दौरान जूना अखाड़े में शामिल हुई 13 साल की बच्ची रेखा का संन्यास वापस ले लिया गया है। यह निर्णय अखाड़े की आमसभा में सर्वसम्मति से लिया गया। मामले में नाबालिग लड़की को नियमों का उल्लंघन कर अखाड़े में शामिल करने के लिए जिम्मेदार महंत कौशल गिरि को जूना अखाड़े से सात वर्षों के लिए निष्कासित कर दिया गया है।
नियमों का उल्लंघन बना विवाद का कारण
जूना अखाड़े के नियमों के अनुसार, किसी भी व्यक्ति को सन्यास दीक्षा लेने के लिए न्यूनतम आयु सीमा और अन्य शर्तों का पालन करना अनिवार्य है। लेकिन महंत कौशल गिरि ने इन नियमों की अनदेखी करते हुए नाबालिग रेखा को अखाड़े में शामिल किया। इस घटना के सामने आने के बाद अखाड़े में विवाद खड़ा हो गया, जिससे अखाड़े की गरिमा और नियमों पर सवाल उठने लगे।
आमसभा में हुआ फैसला
अखाड़े की आमसभा की आपात बैठक में इस प्रकरण पर गंभीरता से चर्चा की गई। बैठक के दौरान यह निर्णय लिया गया कि नाबालिग लड़की को तुरंत उसके माता-पिता को सौंप दिया जाए। इसके साथ ही, महंत कौशल गिरि को अखाड़े की मर्यादा भंग करने और नियमों का उल्लंघन करने के आरोप में सात साल के लिए निष्कासित कर दिया गया।
जूना अखाड़े के वरिष्ठ संतों ने कहा कि यह घटना अखाड़े के नियमों और परंपराओं के विरुद्ध है। उन्होंने स्पष्ट किया कि अखाड़ा भविष्य में इस तरह की किसी भी घटना को रोकने के लिए सख्त कदम उठाएगा। उन्होंने महाकुंभ की पवित्रता बनाए रखने की प्रतिबद्धता जताई।
अखाड़े की ओर से बच्ची रेखा को उसके माता-पिता को सौंपने का फैसला किया गया है। बच्ची के माता-पिता ने संतोष व्यक्त करते हुए अखाड़े के फैसले का स्वागत किया।
यह घटना अखाड़ों में पारंपरिक नियमों और नैतिकता के पालन की आवश्यकता को उजागर करती है। संत समाज ने इस मामले को गंभीरता से लेते हुए अपने अनुशासन को बनाए रखने की दिशा में कदम उठाए हैं।