एक चौंकाने वाला वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है, जिसमें विवेक यादव नामक युवक खुलेआम जातिवाद को बढ़ावा देने और संविधान को खत्म करने की बात कर रहा है। यह वीडियो तेजी से चर्चा का विषय बन गया है और इसके बयान ने समाज में गहरी चिंता पैदा की है।
क्या कहा विवेक यादव ने?
वीडियो में विवेक यादव स्पष्ट रूप से कहता नजर आ रहा है, "देश में जातिवाद रहना चाहिए और हम जातिवाद करेंगे।" जब एक पत्रकार ने उससे पूछा, "क्या तुम ठाकुर हो?" तो उसने जवाब दिया, "ठाकुर ही समझो।" इसके साथ ही उसने यह भी कहा कि "संविधान खत्म होना चाहिए।"
राजनीतिक संबंधों पर सवाल
यह भी बताया जा रहा है कि विवेक यादव समाजवादी पार्टी के समर्थक हैं, जिसे अखिलेश यादव का नेतृत्व प्राप्त है। इस बयान ने राजनीतिक हलकों में भी हलचल मचा दी है, क्योंकि इससे न केवल जातिवाद को बढ़ावा मिलता है, बल्कि संविधान और लोकतांत्रिक मूल्यों को भी चोट पहुंचती है।
संविधान और समाज पर प्रभाव
विवेक यादव के इस बयान ने समाज में जातिगत विभाजन को और बढ़ाने की आशंका पैदा कर दी है। भारत जैसे विविधता भरे देश में जातिवाद एक संवेदनशील मुद्दा है, और संविधान ने समानता और सामाजिक न्याय की नींव पर देश को खड़ा किया है। इस प्रकार के बयान न केवल असंवैधानिक हैं, बल्कि देश की एकता और अखंडता के लिए भी खतरा हैं।
सोशल मीडिया पर प्रतिक्रियाएं
इस वीडियो के वायरल होने के बाद, सोशल मीडिया पर लोगों की तीखी प्रतिक्रियाएं सामने आई हैं। कई यूजर्स ने विवेक यादव की आलोचना करते हुए कहा कि ऐसे बयान न केवल समाज को बांटने का काम करते हैं, बल्कि देश के लोकतांत्रिक ढांचे को कमजोर करने का प्रयास भी हैं।
यादव कह रहा है देश में जातिवाद रहना चाहिए , और संविधान खत्म होना चाहिए।
— FEWS_69 (@DharmaDropss) January 3, 2025
और अपना बाप ठाकुर को बता रहा है। 🤔
आप लोग ही बताओ असली खतरा संविधान को इन समाजवादियों से है या मोदी से ? pic.twitter.com/dCba4OGpag
संविधान पर सवाल: असली खतरा कहां?
कुछ लोगों का कहना है कि संविधान और लोकतंत्र के लिए असली खतरा ऐसे लोगों से है, जो जातिवाद और असंवैधानिक विचारों को बढ़ावा देते हैं। आलोचकों ने सवाल उठाया है कि क्या समाजवादी विचारधारा के तहत ऐसे बयान स्वीकार्य हैं?
प्रशासन की भूमिका और आगे की कार्रवाई
इस बयान के बाद प्रशासन और संबंधित अधिकारियों से उम्मीद की जा रही है कि वे इस मुद्दे को गंभीरता से लेंगे। संविधान का अपमान करने और जातिवाद को बढ़ावा देने वाले किसी भी बयान के खिलाफ सख्त कार्रवाई होनी चाहिए।
विवेक यादव का यह बयान न केवल सामाजिक समरसता के खिलाफ है, बल्कि संविधान और लोकतांत्रिक मूल्यों को भी चुनौती देता है। ऐसे बयान समाज में नफरत और विभाजन को बढ़ावा देते हैं। यह समय है कि समाज और प्रशासन मिलकर ऐसे विचारों का विरोध करें और भारत के संविधान और उसके मूल्यों की रक्षा करें।
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