अजमेर, राजस्थान: राजस्थान के अजमेर जिले में एक हैरान कर देने वाला मामला सामने आया है, जहां एक मुस्लिम पिता-पुत्र ने अपनी पीड़ा से तंग आकर सनातन धर्म अपनाने का फैसला किया। सोमवार को दोनों ने मंदिर में विधिपूर्वक हिंदू धर्म को अपनाया और अपने नए जीवन की शुरुआत की।
पूर्व में शरीफ खान के नाम से पहचाने जाने वाले पिता ने अब अपना नाम शुभम अग्रवाल रखा है, जबकि उनके बेटे अमन खान ने अमन अग्रवाल के रूप में अपनी नई पहचान बनाई है। दोनों फिलहाल अजमेर के सुभाष नगर क्षेत्र में रह रहे हैं और मूल रूप से खानपुरा के निवासी हैं।
पीड़ा का किया खुलासा
धर्म परिवर्तन के दौरान शुभम अग्रवाल ने बताया कि वह और उनका बेटा पिछले तीन वर्षों से अत्यधिक मानसिक और भावनात्मक प्रताड़ना का सामना कर रहे थे। उनके अनुसार, उनकी पत्नी और बेटी के साथ पारिवारिक संबंध इतने तनावपूर्ण हो गए कि उनकी मानसिक शांति छिन गई। इस स्थिति से उबरने और अपने जीवन को एक नई दिशा देने के लिए उन्होंने सनातन धर्म अपनाने का फैसला किया।
मंदिर में संपन्न हुई विधि-विधान
पिता-पुत्र ने अजमेर के एक मंदिर में हिंदू धर्म के सभी विधि-विधान पूरे किए और धार्मिक रीति-रिवाजों के साथ सनातन धर्म को अपनाया। स्थानीय पंडित ने उन्हें संस्कारों और सनातन परंपराओं से अवगत कराया।
पत्नी और बेटी से परेशान होकर...' मुस्लिम पिता-पुत्र ने अपनाया सनातन धर्म, सुनाई दर्दनाक आपबीती !!
— MANOJ SHARMA LUCKNOW UP🇮🇳🇮🇳🇮🇳 (@ManojSh28986262) January 15, 2025
राजस्थान के अजमेर में पिता-पुत्र ने मंदिर में हिंदू धर्म अपना लिया, पिता पूर्व में शरीफ खान था जो अब शुभम अग्रवाल हो गया जबकि पुत्र अमन खान था अब वह अमन अग्रवाल बन गया !!
उनका आरोप… pic.twitter.com/MfgYKnnS7I
धर्म परिवर्तन के पीछे क्या है वजह?
शुभम अग्रवाल ने कहा, "हम तीन साल से एक शांतिपूर्ण जीवन जीने का प्रयास कर रहे थे, लेकिन परिस्थितियां हमारे पक्ष में नहीं थीं। हमने अपनी पीड़ा के समाधान के लिए यह बड़ा कदम उठाया। सनातन धर्म हमें मानसिक शांति और आध्यात्मिक संतोष प्रदान कर सकता है, इसलिए हमने इसे अपनाया।"
स्थानीय प्रतिक्रिया
इस घटना ने स्थानीय समुदाय और सोशल मीडिया पर तीव्र बहस छेड़ दी है। कुछ लोग इसे व्यक्तिगत स्वतंत्रता और आत्म-निर्णय का प्रतीक मानते हैं, जबकि अन्य इसे पारिवारिक और सामाजिक संरचना के विघटन के रूप में देखते हैं।
नए जीवन की शुरुआत
धर्म परिवर्तन के बाद शुभम और अमन अग्रवाल ने कहा कि वे अपने नए जीवन को सकारात्मक रूप से शुरू करना चाहते हैं। उनका कहना है कि वे सनातन धर्म की शिक्षा और मूल्य अपनाकर अपने जीवन को एक नई दिशा देंगे।
यह घटना न केवल व्यक्तिगत संघर्ष की कहानी है, बल्कि यह भी दर्शाती है कि कैसे सामाजिक और पारिवारिक परिस्थितियां किसी के जीवन को गहराई से प्रभावित कर सकती हैं।