नई दिल्ली: मौलाना महमूद मदनी, जो एक प्रमुख मुस्लिम धर्मगुरु हैं, ने हाल ही में एक बयान दिया जिसमें उन्होंने देश की एकता और धर्मनिरपेक्षता का समर्थन करते हुए कहा, "ये हमारा मुल्क़ है, अगर तुम्हें हमारा दीन बर्दाश्त नहीं है तो तुम मुल्क़ छोड़कर कहीं और चले जाओ।"
उनका यह बयान हालिया विवादों के संदर्भ में सामने आया, जिसमें कुछ समूहों द्वारा मुस्लिम समुदाय के प्रति असहमति और घृणा व्यक्त की जा रही थी। मदनी ने स्पष्ट किया कि भारत में मुस्लिम समुदाय को उनके धर्म और संस्कृति के आधार पर कभी भी अपमानित नहीं किया जा सकता और कहा, "हमारा दीन और हमारी तहजीब हमसे जुड़ी हुई हैं, और जो इसे न समझे या न सह सके, वह खुद को यहाँ की व्यवस्था में असहज महसूस कर सकता है।"
मौलाना मदनी ने यह भी कहा कि मुस्लिम समुदाय को कभी भी पाकिस्तान जाने के लिए मजबूर नहीं किया जा सकता, और यह बात वह खुद स्पष्ट कर चुके हैं। "हमें पाकिस्तान जाने का अवसर मिला था, लेकिन हमने इसे ठुकरा दिया और इस मुल्क़ के साथ अपनी निष्ठा कायम रखी।" उन्होंने यह भी जोड़ा कि जो लोग जरा-जरा सी बात पर पाकिस्तान जाने की सलाह देते हैं, वे समझने में असमर्थ हैं कि यह देश हमारा है और हम इसे छोड़ने का सवाल नहीं उठाते।
मौलाना ने इसके साथ ही यह भी कहा कि इस देश के भीतर ही इंसाफ और बराबरी की लड़ाई जारी रहनी चाहिए, और इसके लिए कोई भी बलिदान देने से पीछे नहीं हटना चाहिए। उनका मानना है कि मुस्लिम समुदाय ने हमेशा देश के हित में अपनी अहम भूमिका निभाई है और आगे भी वह इसी तरह योगदान देंगे।
इस बयान में उन्होंने यह भी टिप्पणी की कि ऐसे लोग, जो नफरत फैलाते हैं और दूसरों को चुनौती देते हैं, उन्हें ध्यान रखना चाहिए कि यह देश हर एक नागरिक का है, चाहे वह किसी भी धर्म, नस्ल या समुदाय से हो।
मौलाना मदनी का यह बयान तब सामने आया जब देश में धर्मनिरपेक्षता को लेकर कई सवाल उठ रहे थे और असहमति की आवाज़ें तेज हो रही थीं। उनका कहना था कि हमें उन लोगों को समझाने का प्रयास करना चाहिए, जो इस प्रकार के भ्रामक विचार रखते हैं, और देश की एकता को मजबूत करने के लिए सभी को मिलकर काम करना चाहिए।
यह बयान एक ऐसे समय में आया है जब मुस्लिम समुदाय के खिलाफ कथित रूप से समाज में अलगाव की भावना बढ़ रही है, और ऐसे में मदनी का यह संदेश एक कड़ा जवाब था।