नई दिल्ली: समाजवादी पार्टी (सपा) की सांसद इकरा हसन ने हाल ही में एक बड़ा खुलासा किया है, जिसमें उन्होंने अपनी लोकसभा सीट पर मुस्लिम और हिंदू मतदाताओं के बीच वोटों के वितरण के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी साझा की। इकरा हसन ने कहा कि उनकी लोकसभा क्षेत्र में 30% मुस्लिम और 70% हिंदू वोटर्स हैं, और उन्होंने यह भी बताया कि उन्हें इस मिश्रित वोट बैंक से समान रूप से समर्थन प्राप्त हुआ है।
सपा सांसद ने कहा, "मुझे गर्व है कि मेरी जीत में सभी समुदायों ने अपना योगदान दिया है। मेरी लोकसभा क्षेत्र में मुस्लिमों की संख्या 30% है, और हिंदुओं की संख्या 70% है, लेकिन मैं यह कह सकती हूं कि मुझे इन सभी लोगों ने वोट दिया। इस जीत का श्रेय न केवल मेरे समर्थकों को, बल्कि उन सभी मतदाताओं को जाता है जिन्होंने मुझ पर विश्वास किया।"
इकरा हसन ने आगे कहा कि यह सफलता एकजुटता, साम्प्रदायिक सौहार्द और सामाजिक समरसता का प्रतीक है। उन्होंने अपने क्षेत्र में विभिन्न धार्मिक और सामाजिक समुदायों के बीच मिलजुल कर काम करने पर जोर दिया और बताया कि उनके लिए सभी लोग समान हैं, और वह सभी की भलाई के लिए काम करने के लिए प्रतिबद्ध हैं।
इस बयान के बाद सपा सांसद ने आगामी चुनावों में एकता और भाईचारे को बढ़ावा देने के लिए एक नई दिशा देने की भी बात की। उन्होंने कहा कि उनका लक्ष्य सिर्फ अपनी पार्टी की जीत नहीं, बल्कि समाज के हर तबके की तरक्की है।
मेरी लोकसभा में 30% मुस्लिम और 70% हिंदू है, मुझे सभी लोगों ने वोट दिया: सपा सांसद इकरा हसन ने किया बड़ा खुलासा.@IqraMunawwar_FC #Muslim #India
— Journo Mirror (@JournoMirror) January 17, 2025
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इकरा हसन के इस बयान ने राजनीति में एक नई दिशा को जन्म दिया है, जहां वोट बैंक की राजनीति से ऊपर उठकर साम्प्रदायिक सौहार्द और समाज की साझी भावना को महत्व दिया जा रहा है।
हालांकि, इस खुलासे के बाद कुछ राजनीतिक विश्लेषकों ने यह भी कहा कि यह बयान आगामी चुनावों में सपा को और मजबूत बना सकता है, क्योंकि यह क्षेत्रीय और धार्मिक अस्मिताओं को दरकिनार करके एक नए और समावेशी राजनीति के मॉडल को प्रस्तुत करता है।
इकरा हसन की यह बात राजनीति में एक नई हवा के रूप में आई है, जहां राजनीति सिर्फ धर्म, जाति और समुदाय के आधार पर नहीं, बल्कि इंसानियत और देश की भलाई के लिए होनी चाहिए।