राजेश सरैया का नाम आज न केवल भारत में बल्कि वैश्विक स्तर पर भी एक प्रेरणा के रूप में लिया जाता है। उत्तर प्रदेश के एक छोटे से गांव से लेकर दुनिया के सबसे अमीर दलित व्यक्ति बनने तक का उनका सफर संघर्ष, मेहनत और दृढ़ निश्चय की कहानी है।
राजेश सरैया का जन्म 1969 में उत्तर प्रदेश के सीतापुर जिले के सरैया सानी गांव में हुआ। उनके बचपन के दिन साधारण थे, और उनका पालन-पोषण उत्तराखंड के देहरादून में हुआ। शिक्षा के प्रति उनके लगाव और विज्ञान के क्षेत्र में उनकी रुचि ने उन्हें यूक्रेन के **कीव इंस्टीट्यूट ऑफ सिविल एविएशन** तक पहुंचाया, जहां उन्होंने एयरोनॉटिकल साइंस की पढ़ाई पूरी की।
अपनी शिक्षा पूरी करने के बाद, राजेश सरैया ने अपने करियर की शुरुआत व्यापार क्षेत्र में की। वे स्टील मोंट ट्रेडिंग लिमिटेड के सीईओ हैं, जो स्टील ट्रेडिंग, उत्पादन, वस्तुओं और शिपिंग के क्षेत्र में अग्रणी कंपनी है।
इस कंपनी का मुख्यालय जर्मनी के डसेलडॉर्फ में स्थित है। इसके अलावा, इसके कार्यालय लंदन, कीव, मॉस्को, इस्तांबुल, दुबई, मुंबई और तियानजिन जैसे प्रमुख शहरों में फैले हुए हैं। उनकी दूरदृष्टि और नेतृत्व ने कंपनी को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर स्थापित किया।
राजेश सरैया को भारत के पहले दलित अरबपति के रूप में माना जाता है। उनका यह सफर दलित समुदाय के लिए एक नई उम्मीद जगाता है। आर्थिक और सामाजिक बाधाओं को पार कर उन्होंने दिखाया कि सही दृष्टिकोण और मेहनत से कोई भी ऊंचाई हासिल की जा सकती है।
राजेश सरैया को उनके उल्लेखनीय योगदान के लिए कई पुरस्कारों से सम्मानित किया गया है।
- वर्ष 2012 में प्रवासी भारतीय पुरस्कार से नवाजा गया।
- वर्ष 2014 में भारत सरकार ने उन्हें पद्म श्री से सम्मानित किया।
इन सम्मानों ने उनके कद को और ऊंचा किया और उनके कार्यों को देश-विदेश में सराहा गया।
राजेश सरैया का जीवन संघर्ष और सफलता की अनोखी कहानी है। उन्होंने न केवल व्यापारिक दुनिया में अपनी पहचान बनाई, बल्कि समाज के उस वर्ग के लिए प्रेरणा बने, जो सदियों से सामाजिक और आर्थिक चुनौतियों का सामना कर रहा है।
उनका कहना है, "अगर आप सपने देखने की हिम्मत रखते हैं और उन्हें साकार करने के लिए मेहनत करते हैं, तो कोई भी बाधा आपको रोक नहीं सकती।"
राजेश सरैया की सफलता केवल उनकी व्यक्तिगत उपलब्धि नहीं है, बल्कि यह समाज के वंचित वर्ग के लिए एक संदेश है कि अगर वे प्रयास करें, तो वे भी अपनी पहचान बना सकते हैं। उनकी कहानी हमें यह सिखाती है कि कोई भी परिस्थिति आपके सपनों के आड़े नहीं आ सकती, यदि आपमें उन्हें पूरा करने का जज्बा है।
आज वे न केवल भारत के, बल्कि दुनिया के सबसे अमीर दलित व्यक्ति के रूप में जाने जाते हैं। उनका जीवन और कार्य हमें यह समझाने के लिए पर्याप्त हैं कि कड़ी मेहनत और आत्मविश्वास के साथ कुछ भी संभव है।