कुंभ मेले में तैरते पत्थर पर सवाल: दिव्या कुमारी का वीडियो और प्यूमिस स्टोन की सच्चाई, खोल दी बाबा की पोल, वीडियो देखें

नई दिल्ली: सामाजिक मुद्दों पर अपने बेबाक विचारों के लिए चर्चित दिव्या कुमारी ने हाल ही में कुंभ मेले से जुड़ा एक वीडियो साझा किया है। वीडियो में उन्होंने कुछ बाबाओं के चमत्कारी दावों पर सवाल उठाते हुए कहा है कि ये लोग प्यूमिस स्टोन (फ़्यूमस पत्थर) जैसे साधारण प्राकृतिक तत्व को "दिव्य शक्ति" का प्रतीक बताकर लोगों को भ्रमित कर रहे हैं।

वीडियो में क्या कहा गया?

दिव्या कुमारी ने ट्वीट करते हुए लिखा:

"कुंभ मेले में आपको ऐसे अंधभक्त बनाने वाले हजारों बाबा मिलेंगे। इनकी उम्र खुद 30/40 साल है और यह 7000 साल का पत्थर लेकर घूम रहे। ये सब बेवकूफी हैं।"

इस बयान के साथ उन्होंने प्यूमिस स्टोन के वैज्ञानिक पहलुओं को भी साझा किया और इसे एक साधारण प्राकृतिक पत्थर बताया।

प्यूमिस स्टोन की वैज्ञानिक व्याख्या

प्यूमिस स्टोन, जिसे फ़्यूमस पत्थर भी कहा जाता है, एक ज्वालामुखीय पत्थर है। यह ज्वालामुखी के फटने के बाद लावा के ठंडा होने पर बनता है। इसमें छोटे-छोटे छिद्र होते हैं, जो इसे स्पंज जैसा बनाते हैं।

  • पानी में तैरने की वजह:
     प्यूमिस स्टोन पानी में तैर सकता है, और इसका मुख्य कारण इसकी कम घनत्व (density) है। इसके झरझरे (porous) ढांचे में बड़ी मात्रा में गैस और हवा फंसी होती है, जिससे इसकी औसत घनत्व पानी से कम हो जाती है।
  • चमत्कार नहीं, विज्ञान:
    प्यूमिस स्टोन का तैरना पूरी तरह से वैज्ञानिक सिद्धांतों पर आधारित है और इसका किसी भी दिव्य शक्ति से कोई संबंध नहीं है।

चमत्कारों पर सवाल और बहस

दिव्या कुमारी के इस वीडियो ने सोशल मीडिया पर बहस छेड़ दी है।

  • समर्थन:
    कई लोगों ने दिव्या के साहस की तारीफ की और कहा कि समाज में वैज्ञानिक सोच को बढ़ावा देने की जरूरत है।
  • आलोचना:
    वहीं, कुछ लोगों ने इसे धार्मिक भावनाओं को आहत करने वाला बयान बताया।

कुंभ मेले और चमत्कारी दावे

कुंभ मेले में हर साल लाखों श्रद्धालु आते हैं। इसके साथ ही, यहां कई बाबा और साधु अपने अनोखे दावों और कथित चमत्कारी शक्तियों के जरिए लोगों को आकर्षित करने की कोशिश करते हैं।

जरूरत वैज्ञानिक सोच की

दिव्या कुमारी का यह बयान इस ओर इशारा करता है कि समाज में वैज्ञानिक दृष्टिकोण को बढ़ावा देना कितना महत्वपूर्ण है। धार्मिक और आध्यात्मिक आयोजनों में अंधविश्वास को बढ़ावा देने वाले दावों पर सवाल उठाना स्वस्थ समाज की निशानी है।

दिव्या कुमारी द्वारा उठाए गए सवाल ने धार्मिक आयोजनों में चमत्कारी दावों और अंधविश्वास की वास्तविकता को फिर से चर्चा में ला दिया है। यह जरूरी है कि लोग तथ्यों और विज्ञान को समझें और बिना जांचे-परखे किसी भी दावे को सच मानने से बचें। धर्म और विज्ञान के संतुलन से ही समाज में सही दिशा में प्रगति हो सकती है।

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