प्रयागराज, 31 जनवरी – झूंसी मेले में हुई दूसरी घटना पर मेले के DIG के विरोधाभासी बयानों ने सवाल खड़े कर दिए हैं। पत्रकारों से बातचीत के दौरान जब उनसे भगदड़ की अफवाहों पर सवाल किया गया, तो उन्होंने स्पष्ट रूप से कहा, "पुलिस के पास ऐसी कोई जानकारी नहीं है।" लेकिन जब प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार प्रशासन के न पहुंचने की बात पूछी गई, तो उनका जवाब था, "ऐसा नहीं है, प्रशासन हर जगह पहुंचा है। हमारी चप्पे-चप्पे पर पुलिस है।"
अब सवाल यह उठता है कि क्या सच में भगदड़ जैसी कोई स्थिति बनी थी या फिर प्रशासन इसे नजरअंदाज कर रहा है? प्रत्यक्षदर्शियों और स्थानीय लोगों के अनुसार, घटना के दौरान अव्यवस्था देखी गई, लेकिन पुलिस के अनुसार ऐसी कोई जानकारी नहीं है।
इसे ही कहते हैं पत्रकारिता जो अपनी जान की परवाह किए बगैर सच दिखाने से नहीं चूक रहे।
— कलम की चोट (@kalamkeechot) January 31, 2025
झूंसी में जो दूसरी घटना हुई उसपर मेले के DIG ने 2 अलग-अलग बयान दिए हैं, इसे कैसे समझा जाए?
सवाल नंबर 1: क्या झूंसी में भगदड़ मची?
DIG: पुलिस के पास ऐसी कोई जानकारी नहीं है.
सवाल नंबर 2:… pic.twitter.com/fj0ijghnGM
प्रशासन की कार्यशैली पर सवाल
झूंसी मेले में बड़ी संख्या में श्रद्धालु पहुंचते हैं, और इस तरह की घटनाएं अगर सच में हुई हैं, तो प्रशासन की भूमिका पर सवाल उठना लाजमी है। अगर पुलिस पहले बयान में भगदड़ से इनकार कर रही है, तो फिर प्रशासन के "हर जगह मौजूद" होने का दावा कितना सच है?
पत्रकारिता का कर्तव्य और सच की पड़ताल
पत्रकारिता का असली उद्देश्य ही यही है कि वह किसी भी दबाव में आए बिना सच को सामने लाए। DIG के विरोधाभासी बयानों से प्रशासन की जवाबदेही पर सवाल उठते हैं। इस पूरे मामले की निष्पक्ष जांच होनी चाहिए ताकि सच सामने आ सके और श्रद्धालुओं की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके।
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