नई दिल्ली: कांग्रेस नेता और पूर्व सांसद इमरान मसूद ने आम आदमी पार्टी (आप) और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल पर गंभीर सवाल उठाए हैं। मसूद ने केजरीवाल के मुस्लिम समुदाय के प्रति रुख पर निशाना साधते हुए कहा, "जब भी मुस्लिमों पर अत्याचार होता है, केजरीवाल कहते हैं कि पुलिस हमारे नियंत्रण में नहीं है। तो फिर इनके जीतने या हारने से मुस्लिम समुदाय को क्या फर्क पड़ता है?"
मसूद का यह बयान एक राजनीतिक मंच पर दिया गया, जहां उन्होंने भारतीय राजनीति में धार्मिक और सामाजिक मुद्दों पर नेतृत्व की भूमिका की चर्चा की। उन्होंने आरोप लगाया कि केजरीवाल ने अपने कार्यकाल के दौरान मुस्लिम समुदाय के साथ हो रहे अन्याय के खिलाफ कोई ठोस कदम नहीं उठाए।
मसूद ने कहा कि जब दिल्ली में हिंसा या मुस्लिम समुदाय पर अत्याचार की घटनाएं होती हैं, तो केजरीवाल हमेशा यह कहकर अपना पल्ला झाड़ लेते हैं कि पुलिस केंद्र सरकार के अधीन है। "ऐसी स्थिति में मुस्लिम समुदाय को यह समझने की जरूरत है कि अगर यह सरकार उनके मुद्दों को हल नहीं कर सकती, तो उनके समर्थन का क्या औचित्य है?" मसूद ने जोड़ा।
यह बयान ऐसे समय में आया है जब दिल्ली में आगामी चुनावों को लेकर राजनीतिक सरगर्मियां तेज हैं। केजरीवाल की पार्टी आप, कांग्रेस, और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के बीच कड़ा मुकाबला देखा जा रहा है।
मुस्लिम वोट बैंक पर हमेशा से पार्टियों की नजर रहती है, और ऐसे में मसूद का यह बयान इस समुदाय के मतदाताओं को सोचने पर मजबूर कर सकता है।
अरविंद केजरीवाल और आम आदमी पार्टी की ओर से अभी तक मसूद के इस बयान पर कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है। हालांकि, राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यह बयान कांग्रेस की रणनीति का हिस्सा हो सकता है ताकि मुस्लिम वोटों को अपनी ओर खींचा जा सके।
इमरान मसूद के इस बयान ने एक बार फिर भारतीय राजनीति में धर्म और समुदाय आधारित राजनीति की बहस को हवा दी है। आने वाले समय में यह देखना दिलचस्प होगा कि केजरीवाल और उनकी पार्टी इस चुनौती का कैसे सामना करते हैं और क्या इससे मुस्लिम समुदाय का झुकाव किसी अन्य पार्टी की ओर होता है।