लखीमपुर खीरी – उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी जिले में पुलिस हिरासत में हुई एक युवक की मौत ने कानून-व्यवस्था पर सवाल खड़े कर दिए हैं। घटना के बाद से स्थानीय लोगों और मृतक के परिजनों ने प्रदर्शन किया, जिससे माहौल तनावपूर्ण हो गया है।
मृतक के परिजनों का आरोप है कि युवक की मौत पुलिस कस्टडी में हुई है और इसके लिए पुलिसकर्मियों की लापरवाही जिम्मेदार है। युवक के शव को सड़क पर रखकर परिजनों ने न्याय की मांग की। इस दौरान प्रदर्शनकारियों ने पुलिस के खिलाफ नारेबाजी की और मृतक के लिए उचित मुआवजे और न्याय की मांग की।
हंगामे के बीच एक चौंकाने वाला वाकया तब हुआ, जब परिजनों की मांग पर लखीमपुर खीरी के सीओ साहब ने अपनी नाराजगी जाहिर करते हुए तीखी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा, "जा रख ले बॉडी को, नहीं पूरी होगी कोई मांग।" सीओ के इस बयान का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया है, जिससे प्रशासन की कार्यशैली पर सवाल खड़े हो गए हैं।
इस मामले पर राजनीति भी तेज हो गई है। समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने राज्य की सत्तारूढ़ भाजपा सरकार और प्रशासन पर निशाना साधते हुए कहा कि "यह घटना उत्तर प्रदेश में कानून-व्यवस्था की स्थिति को दर्शाती है। पुलिस का यह रवैया बेहद अमानवीय और असंवेदनशील है।"
जा रख ले बॉडी को, नहीं पूरी होगी कोई मांग... लखीमपुर में पुलिस कस्टडी में मौत पर बवाल, परिजन पर भड़के CO साहब !!
— MANOJ SHARMA LUCKNOW UP🇮🇳🇮🇳🇮🇳 (@ManojSh28986262) January 8, 2025
लखीमपुर खीरी में युवक की मौत के बाद प्रदर्शन, पुलिस हिरासत में मौत के बाद परिजन का हंगामा, सीओ ने परिजन की डिमांड पर निकाली भड़ास !!
यूपी में पुलिस और कानून-व्यवस्था… pic.twitter.com/M3GNVKtmCp
पुलिस अधिकारियों का कहना है कि युवक की मौत के कारणों की जांच की जा रही है। पोस्टमार्टम रिपोर्ट का इंतजार है, जिसके आधार पर आगे की कार्रवाई होगी। पुलिस के अनुसार, प्रदर्शनकारियों को शांत कराने के प्रयास जारी हैं।
लखीमपुर खीरी के डीएम ने घटना की उच्चस्तरीय जांच का आश्वासन दिया है। उन्होंने कहा कि दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।
इस घटना ने न केवल मृतक के परिवार को बल्कि पूरे इलाके को झकझोर कर रख दिया है। पुलिस हिरासत में मौत की घटनाएं उत्तर प्रदेश में कोई नई बात नहीं हैं, लेकिन प्रशासन का रवैया इस बार लोगों के गुस्से का केंद्र बन गया है।
लखीमपुर खीरी की यह घटना पुलिस प्रशासन और मानवाधिकारों पर गंभीर सवाल खड़े करती है। न्याय और पारदर्शिता की मांग इस समय सबसे महत्वपूर्ण है। ऐसी घटनाएं यह बताती हैं कि कानून के रक्षकों को अपनी जिम्मेदारी समझने और उसे निभाने की सख्त जरूरत है।