नई दिल्ली: भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) अल्पसंख्यक मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जमाल सिद्दीकी ने एक नई राजनीतिक बहस को जन्म देते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर ऐतिहासिक इंडिया गेट का नाम बदलने की मांग की है। उन्होंने सुझाव दिया है कि इंडिया गेट का नाम बदलकर 'भारत माता द्वार' रखा जाए। इस मांग के सामने आने के बाद राजनीतिक गलियारों में हलचल मच गई है।
जमाल सिद्दीकी का तर्क
जमाल सिद्दीकी ने अपने पत्र में कहा कि "इंडिया गेट का नाम औपनिवेशिक अतीत से जुड़ा हुआ है, और इसे बदलकर 'भारत माता द्वार' रखने से राष्ट्रीय गौरव और देशभक्ति की भावना को बल मिलेगा। यह कदम भारत के सांस्कृतिक और ऐतिहासिक पहचान को सशक्त करेगा।"
उन्होंने यह भी कहा कि यह नाम भारतीय मूल्यों और आत्मनिर्भरता की सोच को प्रतिबिंबित करेगा, जो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 'आत्मनिर्भर भारत' और 'अमृत काल' के विजन के अनुरूप है।
सियासी प्रतिक्रियाएं
इस प्रस्ताव ने विपक्षी दलों के साथ-साथ विभिन्न राजनीतिक और सामाजिक समूहों में बहस को जन्म दिया है।
कांग्रेस ने इस मांग को "ध्यान भटकाने का प्रयास" करार दिया। पार्टी के वरिष्ठ नेता जयराम रमेश ने कहा, "इतिहास को मिटाने की बजाय, हमें अपने अतीत से सीखने और आगे बढ़ने की जरूरत है।"
वहीं, आम आदमी पार्टी (AAP) और तृणमूल कांग्रेस (TMC) ने भी इस पर सवाल उठाते हुए इसे "राजनीतिक एजेंडा" बताया है।
दूसरी ओर, बीजेपी के कुछ नेता सिद्दीकी के प्रस्ताव का समर्थन कर रहे हैं। उनका मानना है कि इस बदलाव से देश के नागरिकों में राष्ट्रीयता की भावना को और अधिक मजबूत किया जा सकता है।
विशेषज्ञों की राय
इतिहासकारों और शहरी योजनाकारों ने इस मांग पर मिली-जुली प्रतिक्रियाएं दी हैं। कुछ का मानना है कि नाम बदलने से ऐतिहासिक स्मारकों का महत्व कम हो सकता है, जबकि अन्य इसे भारत के सांस्कृतिक पुनरुत्थान के प्रतीक के रूप में देख रहे हैं।
जनता की प्रतिक्रिया
सोशल मीडिया पर इस मुद्दे ने तीखी बहस छेड़ दी है। कुछ लोग इसे राष्ट्रीय गौरव का प्रतीक मानते हैं, जबकि अन्य इसे अनावश्यक विवाद करार दे रहे हैं। #IndiaGate और #BharatMataDwar जैसे हैशटैग ट्विटर पर ट्रेंड कर रहे हैं।
प्रधानमंत्री कार्यालय से इस प्रस्ताव पर अभी तक कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है। यह देखना दिलचस्प होगा कि सरकार इस प्रस्ताव पर क्या कदम उठाती है और यह मुद्दा राजनीतिक गलियारों में कितना लंबा चलता है।
इंडिया गेट का नाम बदलने का यह प्रस्ताव केवल एक नाम बदलने का सवाल नहीं है, बल्कि यह भारत के औपनिवेशिक इतिहास, आधुनिक पहचान, और राजनीतिक एजेंडा के टकराव का प्रतीक बन गया है। आने वाले दिनों में यह देखना होगा कि यह मांग किस दिशा में जाती है और इसका राजनीतिक व सामाजिक प्रभाव क्या होगा।