नई दिल्ली: दिल्ली विधानसभा चुनाव की सियासी लड़ाई ने जोर पकड़ लिया है। बीजेपी इस बार पूरी तैयारी के साथ मैदान में उतर रही है। 70 विधानसभा सीटों के लिए अब तक 58 उम्मीदवारों की घोषणा हो चुकी है, जबकि बाकी 12 सीटों पर उम्मीदवारों का ऐलान जल्द होने की संभावना है।
स्मृति ईरानी के नाम की चर्चा
इन सीटों में सबसे ज्यादा चर्चा केंद्रीय मंत्री और टीवी कलाकार से नेता बनी स्मृति ईरानी के संभावित नाम की है। सूत्रों के अनुसार, बीजेपी स्मृति ईरानी को दिल्ली कैंट या ग्रेटर कैलाश विधानसभा क्षेत्र से चुनावी मैदान में उतार सकती है। ईरानी की उम्मीदवारी से दिल्ली की चुनावी जंग और दिलचस्प हो सकती है।
स्मृति ईरानी ने 2019 के लोकसभा चुनाव में अमेठी से कांग्रेस नेता राहुल गांधी को हराकर राष्ट्रीय स्तर पर सुर्खियां बटोरी थीं। हालांकि, 2024 के लोकसभा चुनाव में उन्हें कांग्रेस के उम्मीदवार से हार का सामना करना पड़ा। इससे पहले, 2009 में उन्होंने दिल्ली की चांदनी चौक लोकसभा सीट से चुनाव लड़ा था।
ईरानी की एंट्री से कार्यकर्ताओं में उत्साह
अपने धारदार भाषण और आक्रामक अंदाज के लिए जानी जाने वाली स्मृति ईरानी की चुनावी एंट्री से बीजेपी कार्यकर्ताओं में उत्साह देखा जा रहा है। पार्टी उन्हें दिल्ली में एक प्रमुख चेहरे के रूप में प्रस्तुत कर सकती है।
दिल्ली में भाजपा ने इस बार बड़े नामों को उतारकर चुनाव को दिलचस्प बनाने की रणनीति अपनाई है।
- नई दिल्ली सीट पर मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के खिलाफ पूर्व सांसद प्रवेश वर्मा को उतारा गया है।
- कालकाजी सीट पर सीएम आतिशी के खिलाफ रमेश बिधूड़ी को मैदान में उतारकर मुकाबले को कड़ा बना दिया गया है।
ग्रेटर कैलाश में सौरभ भारद्वाज से हो सकता है मुकाबला
सूत्रों के मुताबिक, स्मृति ईरानी का मुकाबला आम आदमी पार्टी के मंत्री सौरभ भारद्वाज से हो सकता है। भारद्वाज ग्रेटर कैलाश क्षेत्र से तीन बार विधायक रह चुके हैं। बीजेपी, इस सीट पर मजबूत चेहरा उतारकर आप के गढ़ को चुनौती देने की तैयारी में है।
बीजेपी की रणनीति और चुनावी समीकरण
दिल्ली विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने हर प्रमुख सीट पर मजबूत उम्मीदवार उतारने की योजना बनाई है। पार्टी की कोशिश है कि वह आम आदमी पार्टी के खिलाफ सशक्त विपक्ष के रूप में खड़ी हो और सत्ता में वापसी का रास्ता साफ करे।
स्मृति ईरानी जैसी कद्दावर नेता की एंट्री से चुनावी माहौल में नई ऊर्जा का संचार हो सकता है। उनके नाम की घोषणा से राजनीतिक समीकरण बदल सकते हैं, और दिल्ली का सियासी रण और अधिक रोमांचक हो सकता है।