ऋषिकेश: सिद्धपीठ हनुमान बालाजी मंदिर में एक गंभीर घटना सामने आई है, जिसमें मंदिर के पुजारी और संस्कृत पाठ पढ़ रहे छात्रों ने न केवल एक बेजुबान कुत्ते को बुरी तरह पीटा, बल्कि उसे बचाने आए लोगों पर भी जानलेवा हमला कर दिया। इस हमले में कई लोग गंभीर रूप से घायल हुए हैं, और घटना ने पूरे क्षेत्र में आक्रोश फैला दिया है।
घटना का विवरण
यह घटना तब शुरू हुई जब मंदिर प्रांगण में आराम कर रहे एक कुत्ते को पुजारी और छात्रों ने बुरी तरह पीटा। प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, कुत्ता एक बार गिरने के बाद मुश्किल से खड़ा हो पाया। जब कुछ स्थानीय लोग कुत्ते को बचाने पहुंचे, तो उन पर भी हमला किया गया।
हमले में एक व्यक्ति के कान का पर्दा फट गया, एक अन्य व्यक्ति का अंगूठा टूट गया, और कई लोगों के शरीर पर गंभीर चोटें आईं।
घटना के दौरान, एक कुत्ते का छोटा बच्चा भी मंदिर परिसर में मौजूद था, जिसे पुजारियों और छात्रों ने डंडों से इतना मारा कि वह अधमरा हो गया। इस बच्चे को तुरंत अस्पताल ले जाया गया, जहां डॉक्टरों ने उसे गंभीर स्थिति में बताया।
मंदिर के पुजारी ने बेजुबान जीव कुत्ते को बुरी तरह मारा , जो लोग कुत्ते को बचाने आए उसपर भी जानलेवा हमला किया। 🥲
— FEWS_69 (@DharmaDropss) January 3, 2025
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पुजारी ने मानी गलती
मामले की गंभीरता को देखते हुए, मंदिर के पुजारी ने यह स्वीकार किया है कि उन्होंने कुत्ते के साथ दुर्व्यवहार किया। लेकिन सवाल यह उठता है कि ऐसा क्रूर व्यवहार धर्म और पूजा स्थल में कैसे उचित ठहराया जा सकता है?
पुलिस की निष्क्रियता
घटना के बाद, स्थानीय लोगों ने पुलिस में शिकायत दर्ज कराई। हालांकि, अभी तक पुलिस द्वारा कोई सख्त कार्रवाई नहीं की गई है। इससे न केवल पीड़ितों के परिवारों में निराशा है, बल्कि यह भी सवाल उठता है कि क्या कानून ऐसे मामलों में न्याय दिलाने में सक्षम है।
पशु क्रूरता पर सवाल
घटना के बाद, पशु प्रेमी और एनिमल रेस्क्यू टीम भी मौके पर पहुंची। उन्होंने घटना की निंदा करते हुए कहा कि यह पशु क्रूरता का चरम है। स्थानीय लोग और सामाजिक संगठन अब इस मामले में सख्त कार्रवाई की मांग कर रहे हैं।
आगे की कार्रवाई की मांग
इस घटना ने न केवल मानवता पर सवाल खड़े किए हैं, बल्कि यह भी स्पष्ट किया है कि पूजा स्थलों पर अनुशासन और नैतिकता बनाए रखने की कितनी आवश्यकता है। स्थानीय प्रशासन और पुलिस से मांग की जा रही है कि दोषियों पर सख्त से सख्त कार्रवाई की जाए और पीड़ितों को न्याय दिलाया जाए।
यह घटना हमारी सोच और व्यवहार पर पुनर्विचार करने के लिए मजबूर करती है। क्या धर्म और पूजा का यही मतलब है, जहां मानवता और संवेदनशीलता को दरकिनार कर दिया जाए?