लखनऊ: न्याय के मंदिर कहे जाने वाले कोर्टरूम में भ्रष्टाचार के मामले ने न्यायपालिका की छवि को सवालों के घेरे में ला दिया है। सोशल मीडिया पर एक बयान तेजी से वायरल हो रहा है, जिसमें कोर्टरूम की हालत पर गहरा अफसोस जताया गया है।
एक व्यक्ति ने लिखा, "जज साहब की कुर्सी से मात्र 2 मीटर दूर बैठे सिपाही/पेशकार घूस ले रहे हैं, फिर भी मेरा देश महान है। जब कोर्ट रूम का ये हाल है, तो थाना/चौकी का क्या हाल होगा?"
जज साहब की कुर्सी से मात्र 2 मीटर दूर बैठे सिपाही/पेशकर घूस ले रहे हैं फिर भी मेरा देश महान है।
— कलम की चोट (@kalamkeechot) January 5, 2025
जब कोर्ट रुम का ये हाल है तो थाना/चौकी का क्या हाल होगा ?
"वक्त ऐसा कि बगावत भी नहीं कर सकते
और जालिम की हिमायत भी नहीं कर सकते
हमने इंसाफ को मरते हुए देखा है मगर
हम तो… pic.twitter.com/cbPTYDLie9
शायर बिलाल की भावनात्मक प्रतिक्रिया
घटना पर प्रतिक्रिया देते हुए प्रसिद्ध शायर बिलाल ने अपनी कविता के माध्यम से हालात का वर्णन किया। उन्होंने लिखा:
"वक्त ऐसा कि बगावत भी नहीं कर सकते,
और जालिम की हिमायत भी नहीं कर सकते।
हमने इंसाफ को मरते हुए देखा है मगर,
हम तो तोहीन-ए-अदालत भी नहीं कर सकते।"
उनकी यह पंक्तियां न्याय प्रणाली की मौजूदा स्थिति पर गहरा कटाक्ष करती हैं।
क्या कहता है यह भ्रष्टाचार?
कोर्टरूम में रिश्वतखोरी की यह घटना न्यायपालिका की पारदर्शिता और निष्पक्षता पर गंभीर सवाल खड़े करती है। जब न्याय का स्थान, जहां हर नागरिक को निष्पक्ष सुनवाई का भरोसा दिया जाता है, ऐसी घटनाओं का गवाह बनता है, तो आम जनता का विश्वास डगमगाना स्वाभाविक है।
सवाल जो उठाए जाने चाहिए
- न्यायपालिका की निगरानी: कोर्टरूम जैसे संवेदनशील स्थान पर रिश्वतखोरी रोकने के लिए क्या कदम उठाए जा रहे हैं?
- पुलिस और कोर्ट स्टाफ का व्यवहार: क्या पुलिस और पेशकारों की जवाबदेही सुनिश्चित करने के लिए सख्त नियम बनाए जा रहे हैं?
- जनता का विश्वास: ऐसी घटनाओं से जनता का विश्वास कैसे बहाल किया जाएगा?
जनता का आक्रोश
घटना के उजागर होने के बाद जनता ने सोशल मीडिया पर अपनी नाराजगी व्यक्त की। कई लोगों ने इसे न्याय प्रणाली के गिरते स्तर का संकेत बताया।
प्रशासन की चुप्पी
घटना पर अभी तक किसी प्रशासनिक अधिकारी या न्यायालय का बयान नहीं आया है। यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि इस मामले में क्या कार्रवाई की जाती है और भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए क्या उपाय किए जाते हैं।
न्यायपालिका में सुधार की जरूरत
कोर्टरूम में ऐसी घटनाएं हमारे न्याय प्रणाली की कमियों को उजागर करती हैं। यह समय है कि प्रशासन इस मुद्दे पर गंभीरता से ध्यान दे और भ्रष्टाचार के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करे। जब तक न्याय व्यवस्था पर लोगों का विश्वास नहीं बहाल होता, तब तक न्याय की आत्मा पूरी तरह जीवित नहीं हो सकती।