प्रयागराज, उत्तर प्रदेश: कुंभ मेले के दौरान हुई भगदड़ में सैकड़ों लोगों की जान चली गई, लेकिन प्रशासन ने इस घटना को छिपाने की कोशिश की। यह घटना संगम घाट के अलावा झूसी इलाके में भी हुई, जिसे प्रशासन ने जानबूझकर दबा दिया। यहां के लोगों ने बताया कि भीड़ इतनी ज्यादा थी कि लोगों को सांस लेने तक की जगह नहीं मिल रही थी। लोग पानी के लिए तरस रहे थे, और कुछ लोग गंगाजल फेंककर उनकी प्यास बुझाने की कोशिश कर रहे थे।
घटना की शुरुआत तब हुई जब झूसी इलाके में भीड़ इकट्ठा होनी शुरू हुई। लोगों ने बताया कि यहां पर कोई बैरिकेडिंग या पुलिस व्यवस्था नहीं थी। भीड़ इतनी ज्यादा थी कि लोग एक-दूसरे के ऊपर चढ़ने लगे। कई लोग टावरों और गाड़ियों पर चढ़ गए, ताकि अपनी जान बचा सकें। लेकिन भीड़ के दबाव में कई लोग नीचे गिर गए और उनकी मौत हो गई।
नेहा झा, जो यहां एक दुकान संभाल रही थीं, ने बताया कि उन्होंने अपनी आंखों के सामने लोगों को मरते देखा। उन्होंने कहा, "लोग पानी मांग रहे थे, लेकिन हमारे पास पानी खत्म हो गया था। हम गंगाजल फेंक रहे थे, और लोग अपना हाथ चाट रहे थे। लोग चिल्ला रहे थे कि उन्हें एक बूंद पानी दे दो, लेकिन हम कुछ नहीं कर पा रहे थे।"
नेहा ने आगे बताया कि प्रशासन की तरफ से कोई मदद नहीं मिली। उन्होंने कहा, "हमने 3 बजे से लेकर 7 बजे तक अकेले ही भीड़ को संभाला। इस दौरान केवल दो पुलिसकर्मी आए, लेकिन उनके आने तक कई लोग मर चुके थे।"
घटना के बाद प्रशासन ने मलबा और लोगों के जूते-चप्पल हटाने का काम शुरू कर दिया, ताकि किसी को इस घटना का पता न चले। लोगों के आधार कार्ड, पैन कार्ड और अन्य दस्तावेज भी मलबे में पड़े हुए थे, जिन्हें जेसीबी से हटाया जा रहा था।
इस घटना को प्रशासन ने जानबूझकर छिपाया। मीडिया को केवल संगम घाट की भगदड़ की जानकारी दी गई, जबकि झूसी इलाके में हुई घटना को दबा दिया गया। नेहा ने कहा, "मैंने जो देखा, वह किसी को नहीं दिखाना चाहिए। लोगों की लाशें ऐसे पड़ी थीं, जैसे कूड़ा हो। उनके ऊपर से लोग गुजर रहे थे, और कोई उनकी परवाह नहीं कर रहा था।"
घटना के बाद लोगों में गुस्सा है। उनका कहना है कि प्रशासन ने उनकी जान की कोई कीमत नहीं समझी। एक शख्स ने कहा, "हमारी कार के ऊपर लोग चढ़ गए, ताकि अपनी जान बचा सकें। अब हमारी कार का नुकसान हुआ है, लेकिन कोई इसकी जिम्मेदारी नहीं ले रहा।"
इस घटना ने प्रशासन की तैयारियों पर सवाल खड़े कर दिए हैं। लोगों का कहना है कि अगर प्रशासन को पता था कि इतनी भीड़ आएगी, तो उन्हें पहले से बेहतर व्यवस्था करनी चाहिए थी। नेहा ने कहा, "हम यहां दुकान चलाने आए थे, लेकिन हमारी दुकान तोड़ दी गई। हमारा सामान लूट लिया गया। इसकी जिम्मेदारी कौन लेगा?"
इस घटना के बाद लोगों ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मांग की है कि वे इस मामले की जांच कराएं और जिम्मेदार अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई करें। लोगों का कहना है कि इस तरह की घटनाओं को रोकने के लिए बेहतर प्रबंधन और सुरक्षा व्यवस्था की जरूरत है।
नेहा ने कहा, "मैंने जो देखा, वह कभी नहीं भूल पाऊंगी। लोगों की जान बचाने की कोशिश करते हुए मैंने खुद को बेबस महसूस किया। यह सच्चाई है, जिसे छिपाया नहीं जा सकता।"
यह घटना न केवल प्रशासन की लापरवाही को उजागर करती है, बल्कि यह भी दिखाती है कि कैसे आम लोगों की जान की कीमत सिस्टम के लिए महज एक संख्या बनकर रह गई है।
रिपोर्ट: अभिनव पांडे
प्रयागराज, उत्तर प्रदेश