BJP के मुस्लिम प्रवक्ताओं पर दबाव बनाया जाता है मुस्लिम विरोधी बातें करने का: निघत अब्बास का बड़ा आरोप, BJP छोड़ कांग्रेस में हुई शामिल

 

नई दिल्ली: भारतीय जनता पार्टी (BJP) छोड़कर कांग्रेस में शामिल हुईं निघत अब्बास ने बीजेपी पर गंभीर आरोप लगाए हैं। एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में उन्होंने दावा किया कि पार्टी के मुस्लिम प्रवक्ताओं पर टीवी डिबेट और अन्य मंचों पर मुस्लिम विरोधी बातें करने का दबाव डाला जाता है।

निघत अब्बास, जो लंबे समय से बीजेपी की सक्रिय प्रवक्ता थीं, ने पार्टी की विचारधारा और कार्यप्रणाली पर सवाल उठाते हुए कहा, "मैंने हमेशा समाज में समावेश और शांति की बात की है, लेकिन बीजेपी में रहते हुए मुझसे ऐसी बातें करने को कहा गया, जो मेरे समुदाय और मेरे मूल्यों के खिलाफ थीं। पार्टी के भीतर काम करने का माहौल ऐसा है कि मुस्लिम प्रवक्ताओं को अपने धर्म और समुदाय के खिलाफ बोलने के लिए मजबूर किया जाता है।"

उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि बीजेपी अपने मुस्लिम नेताओं को केवल "सजावट" के तौर पर इस्तेमाल करती है, ताकि पार्टी की छवि को बहुसंख्यक समुदाय तक सीमित न दिखाया जाए। "यह पार्टी अल्पसंख्यकों को केवल दिखावे के लिए आगे रखती है, लेकिन उनकी असली समस्याओं पर कोई ध्यान नहीं देती," उन्होंने कहा।

कांग्रेस में शामिल होने का फैसला
निघत अब्बास ने कांग्रेस पार्टी में शामिल होकर इसे अपने "नैतिक मूल्यों के साथ एकजुटता" बताया। उन्होंने कहा, "कांग्रेस की नीति धर्मनिरपेक्षता और सभी समुदायों को साथ लेकर चलने की है। मुझे विश्वास है कि यहां मैं अपनी आवाज को स्वतंत्र रूप से उठा पाऊंगी और अपने समुदाय के लिए काम कर सकूंगी।"

कांग्रेस पार्टी ने निघत अब्बास का स्वागत करते हुए कहा कि उनका शामिल होना पार्टी के लिए एक सकारात्मक कदम है। कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने कहा, "निघत अब्बास का कांग्रेस में स्वागत है। यह कदम भाजपा की सांप्रदायिक राजनीति के खिलाफ हमारे संघर्ष को और मजबूत करेगा।"

बीजेपी की प्रतिक्रिया
बीजेपी ने निघत अब्बास के आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि यह एक "राजनीतिक स्टंट" है। बीजेपी प्रवक्ता गौरव भाटिया ने कहा, "निघत अब्बास कांग्रेस की चाल का हिस्सा बन गई हैं। उनके आरोप झूठे और बेबुनियाद हैं। बीजेपी में सभी धर्मों और समुदायों के लिए समान सम्मान है।"

राजनीतिक विशेषज्ञों की राय
विशेषज्ञों का मानना है कि निघत अब्बास का कांग्रेस में शामिल होना और उनके द्वारा लगाए गए आरोप, आगामी लोकसभा चुनावों से पहले दोनों पार्टियों के बीच अल्पसंख्यक समुदाय को लेकर बढ़ती प्रतिस्पर्धा को दर्शाते हैं।

यह घटनाक्रम ऐसे समय में हुआ है, जब विपक्षी पार्टियां बीजेपी पर सांप्रदायिकता और अल्पसंख्यकों के खिलाफ भेदभाव का आरोप लगाती रही हैं। निघत अब्बास के बयान से इस विवाद को और हवा मिल सकती है।

यह देखना दिलचस्प होगा कि निघत अब्बास के आरोप भारतीय राजनीति पर क्या असर डालते हैं और यह मुद्दा आने वाले चुनावों में कितना अहम साबित होता है।

Rangin Duniya

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