नैनीताल, उत्तराखंड: नैनीताल के रामनगर स्थित राजकीय इंटर कॉलेज (GIC) के प्रिंसिपल तिलक चंद जोशी को जुमे की नमाज के लिए मुस्लिम छात्रों को आधे दिन की छुट्टी देने के मामले में निलंबित कर दिया गया है। शिक्षा विभाग ने इस निर्णय के तहत जोशी को निलंबित कर शिक्षा निदेशालय से अटैच कर दिया है। यह कार्रवाई हिंदू संगठनों के विरोध के बाद मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के मामले का संज्ञान लेने पर की गई।
हिंदू संगठनों का विरोध
मामला तब गरमाया जब विश्व हिंदू परिषद (VHP) के जिला मंत्री सूरज चौधरी और अन्य कार्यकर्ताओं ने कॉलेज परिसर में पहुंचकर विरोध प्रदर्शन किया। उनका आरोप था कि इस तरह की छुट्टी से कॉलेज की दिनचर्या बाधित होती है और यह पक्षपातपूर्ण निर्णय है। चौधरी और उनके समर्थकों ने कॉलेज प्रशासन के खिलाफ जमकर नारेबाजी की।
शिक्षकों का आंदोलन
प्रिंसिपल जोशी के निलंबन के खिलाफ अब शिक्षक आंदोलन पर उतर आए हैं। उन्होंने इसे अन्यायपूर्ण बताते हुए निलंबन वापस लेने की मांग की है। साथ ही, उन्होंने विरोध प्रदर्शन करने वाले सूरज चौधरी की गिरफ्तारी की भी मांग उठाई है। शिक्षकों का कहना है कि छात्रों की धार्मिक आस्थाओं का सम्मान करना किसी भी संस्थान के सामंजस्यपूर्ण वातावरण का हिस्सा है, और इसे लेकर प्रिंसिपल को दंडित करना गलत है।
एक शिक्षक संघ के प्रवक्ता ने कहा, "इस तरह का कदम शिक्षकों के मनोबल को गिराने वाला है। हमें न्याय चाहिए और प्रशासन को अपनी कार्रवाई पर पुनर्विचार करना चाहिए।"
सरकार का पक्ष
शासन ने अपने निर्णय का बचाव करते हुए कहा कि यह अनुशासन बनाए रखने और शिक्षण संस्थानों में निष्पक्षता सुनिश्चित करने के लिए लिया गया कदम है। हालांकि, सरकार ने चौधरी के खिलाफ शिक्षकों की मांग पर अभी कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है।
मामले के व्यापक प्रभाव
यह घटना शैक्षणिक संस्थानों में सांस्कृतिक और धार्मिक विविधता को प्रबंधित करने की बढ़ती चुनौतियों को उजागर करती है। धार्मिक मान्यताओं के लिए छुट्टी देना कोई नई बात नहीं है, लेकिन यह स्पष्ट नीतियों की आवश्यकता को रेखांकित करता है, जो समावेशिता और नियमों के बीच संतुलन बनाए रखे।
जैसे-जैसे यह विवाद बढ़ रहा है, सरकार पर सभी पक्षों की चिंताओं को सुलझाने और स्थिति को और अधिक ध्रुवीकृत होने से रोकने का दबाव है।